Thursday 13 July 2017

जब मैं माँ बनूँगी,...!!!

जब मैं माँ बनूँगी,...
इक दुनिया का खूबसूरत एहसास,
जिसे शब्दो में बयां नही किया जा सकता है,
मैं चाहती हूँ तुम हर पल मेरे साथ रहना,
इस एहसास को मेरे साथ जीना,
तुम्हे ही हर पल देखना चाहती हूँ,
जिससे तुम्हारी ही छवि मुझमें आये,
अपनी उँगलियों से तुम्हारे होठो की,
मुस्कान की नाप ले लूँ,
कि जब तुम्हे देख कर वो मुस्कराये तो,
वो मुस्कान तुम्हे तुम्हारी लगे,
तुम्हारी आँखों में चाँद,तारे...
अपनी आँखों में भर लूँ,कि
जब तुम उसकी आँखों में,
देखो तो खुद को पाओगे,
तुम्हारी उँगलियों के निशाँ,
अपनी उँगलियों में ले लूँ,
कि तुम उसके उँगलियों को थामो,
वो एहसास तुम्हारा लगे...
मैं चाहती हूँ कि मैं नादानियाँ करूँ और,
तुम मुझ पर गुस्सा करो,
और मुस्करा कर मना भी लो,
मैं बताना चाहती हूँ उसको कि,
उसके पिता कितना प्यार करते है उसे...
मुझे पता तुम जताते नही हो,
पर उसकी हर सांस के साथ,
तुम्हारी सांसे चलती है...
मैं जानती हूँ उसके आने पहले ही,
तुमने लाखों सपने सजा लिए है,
उसके लिए तुमने इक,
नयी दुनिया बना ली है...
लोग कहते है कि इक माँ होने एहसास,
सिर्फ स्त्री ही महसूस करती है,
पर मैं कहती हूँ कि...
मुझे माँ कहने वाला तो,
नौ महीने बाद आये हो,
पर तुम मेरे लिए माँ पहले ही बन गए थे....!!!

3 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (14-07-2017) को "धुँधली सी रोशनी है" (चर्चा अंक-2667) (चर्चा अंक-2664) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. waah bahut hua hriday sparshi rachna

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