उस रात मेरी हथेली पर,
तुम अपनी उँगलियों से जाने क्या ढूंढ रहे थे,
शायद कुछ लिख रहे थे...
शायद अपना नाम लिख कर मिटा दिया था,
या मेरा नाम लिख कर मिटा रहे थे..
तुम्हे लगा मैं सो गई हूँ,
पर सच कहूं...
मैं तो उस एहसास में गुम थी,
जब तुम मेरी हथेली पर,
उंगलिया अपनी गोल-गोल घुमा रहे थे....
मैं समझ तो नही पायी थी कि,
उस रात तुमने क्या लिखा था मेरी हथेली पर..
तुमने मिटा तो दिया था,
पर निशान रह गए थे,
तुम्हारी उँगलियों के मेरी हथेली पर...!!!
सुन्दर भाव
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteNice Sushmaji
ReplyDeletePls do visit my blog too for feedback
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