Saturday 6 October 2012

ऐसा कोई जिक्र नही करना चाहती हूँ......!!!

अपनी पुरानी डायरी में तुम्हे संजोना चाहती हूँ.....                           
चंद खुबसूरत लब्जों में तुम्हे पिरोना चाहती हूँ.....

 कुछ पंक्तियों में जिक्र तुम्हारी बातो का करना चाहती हूँ....
जिक्र तुम्हारे साथ सुबह और शामो का करना चाहती हूँ....

कुछ पंक्तियों में जिक्र मेरे रूठने तुम्हारे मनाने का करना चाहती हूँ.....
जिक्र उन खुबसूरत लम्हों का करना चाहती हूँ......
जिनमे तुमने साथ चलते-चलते....
यूँ ही अचानक मेरे हाथो को थाम लिया था.....

जिक्र उस लम्हे का करना  चाहती हूँ,
जब बिना बात के तुमने मेरा नाम लिया था......
मैं जिक्र तुम्हारी हँसी का...
बहुत कुछ कहती तुम्हारी ख़ामोशी का करना चाहती हूँ.....

मैं अपनी डायरी में तुम्हारी हर बात  करना चाहती हूँ....
तुम मुझे छोड़ कर जाओगे,
ऐसा कोई जिक्र नही करना चाहती हूँ...
तुम्हारे साथ हर सफ़र तय करना चाहती हूँ....
तन्हा मंजिल तक पहुची  हूँ....ऐसा कोई जिक्र नही करना चाहती हूँ......

25 comments:

  1. तुम्हारे साथ हर सफ़र तय करना चाहती हूँ....
    AAMIN.....

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  2. जिक्र हर उस लम्हे का ....
    जिसमे सिर्फ तुम हो...

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  3. तुम्हारे साथ हर सफ़र तय करना चाहती हूँ....
    तन्हा मंजिल तक पहुची हूँ....ऐसा कोई जिक्र नही करना चाहती हूँ......
    DEDICATED TO YOUR LINES
    संजोकर खुबसूरत याद में, हर सुबह शाम ज़िक्र मेरा?
    थामकर हाथ हर लम्हा, जिया किसने हर ख्वाब मेरा?

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  4. sach hai achchhi yadon ko lekar age badhna chahiye jindagi isi ka nam hai

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  5. हर सफर की साक्षी रहे ये डायरी तुम्हारी .....

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  6. जिक्र उस लम्हे का करना चाहती हूँ,
    जब बिना बात के तुमने मेरा नाम लिया था......
    मैं जिक्र तुम्हारी हँसी का...
    बहुत कुछ कहती तुम्हारी ख़ामोशी का करना चाहती हूँ.....

    बेजोड़ भाव इन पंक्तियों में, वाह !!!!!!!!!!

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  7. सिर्फ अपनी बात अपनी डायरी में ...

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  8. मैं जिक्र तुम्हारी हँसी का...
    बहुत कुछ कहती तुम्हारी ख़ामोशी का करना चाहती हूँ.....wah....kya likha hai.....

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  9. जिक्र सिर्फ अच्छी बातों का हो
    तो जीना आसान लगता है..
    सुन्दर भावपूर्ण रचना..
    :-)

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  10. man ko chhoo gayee panktiyan.... sunder prastuti.

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  11. बहुत ही बढ़िया


    सादर

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  12. जिक्र उस लम्हे का करना चाहती हूँ,
    जब बिना बात के तुमने मेरा नाम लिया था......
    मैं जिक्र तुम्हारी हँसी का...
    बहुत कुछ कहती तुम्हारी ख़ामोशी का करना चाहती हूँ.....
    बहुत खूबसूरत पंक्तियाँ

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  13. मनोभावों का सुंदर निरूपण।

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  14. ऐसा ही कुछ हमने भी लिखा था कभी......
    :-)
    http://allexpression.blogspot.in/2012/09/blog-post_10.html

    बहुत सुन्दर .....
    अनु

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  15. bhavon se bharpooor hridaysparshi rachna!

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  16. बहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति .

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  17. खूबसूरत व मीठे अहसास देती पंक्तियाँ. बेहतरीन

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  18. कुछ पंक्तियों में जिक्र तुम्हारी बातो का करना चाहती हूँ....
    जिक्र तुम्हारे साथ सुबह और शामो का करना चाहती हूँ....bahut sundar

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