अपनी पुरानी डायरी में तुम्हे संजोना चाहती हूँ.....
चंद खुबसूरत लब्जों में तुम्हे पिरोना चाहती हूँ.....
कुछ पंक्तियों में जिक्र तुम्हारी बातो का करना चाहती हूँ....
जिक्र तुम्हारे साथ सुबह और शामो का करना चाहती हूँ....
कुछ पंक्तियों में जिक्र मेरे रूठने तुम्हारे मनाने का करना चाहती हूँ.....
जिक्र उन खुबसूरत लम्हों का करना चाहती हूँ......
जिनमे तुमने साथ चलते-चलते....
यूँ ही अचानक मेरे हाथो को थाम लिया था.....
जिक्र उस लम्हे का करना चाहती हूँ,
जब बिना बात के तुमने मेरा नाम लिया था......
मैं जिक्र तुम्हारी हँसी का...
बहुत कुछ कहती तुम्हारी ख़ामोशी का करना चाहती हूँ.....
मैं अपनी डायरी में तुम्हारी हर बात करना चाहती हूँ....
तुम मुझे छोड़ कर जाओगे,
ऐसा कोई जिक्र नही करना चाहती हूँ...
तुम्हारे साथ हर सफ़र तय करना चाहती हूँ....
तन्हा मंजिल तक पहुची हूँ....ऐसा कोई जिक्र नही करना चाहती हूँ......
तुम्हारे साथ हर सफ़र तय करना चाहती हूँ....
ReplyDeleteAAMIN.....
जिक्र हर उस लम्हे का ....
ReplyDeleteजिसमे सिर्फ तुम हो...
तुम्हारे साथ हर सफ़र तय करना चाहती हूँ....
ReplyDeleteतन्हा मंजिल तक पहुची हूँ....ऐसा कोई जिक्र नही करना चाहती हूँ......
DEDICATED TO YOUR LINES
संजोकर खुबसूरत याद में, हर सुबह शाम ज़िक्र मेरा?
थामकर हाथ हर लम्हा, जिया किसने हर ख्वाब मेरा?
sach hai achchhi yadon ko lekar age badhna chahiye jindagi isi ka nam hai
ReplyDeleteहर सफर की साक्षी रहे ये डायरी तुम्हारी .....
ReplyDeleteजिक्र उस लम्हे का करना चाहती हूँ,
ReplyDeleteजब बिना बात के तुमने मेरा नाम लिया था......
मैं जिक्र तुम्हारी हँसी का...
बहुत कुछ कहती तुम्हारी ख़ामोशी का करना चाहती हूँ.....
बेजोड़ भाव इन पंक्तियों में, वाह !!!!!!!!!!
sundar rachana....
ReplyDeleteसिर्फ अपनी बात अपनी डायरी में ...
ReplyDeleteमैं जिक्र तुम्हारी हँसी का...
ReplyDeleteबहुत कुछ कहती तुम्हारी ख़ामोशी का करना चाहती हूँ.....wah....kya likha hai.....
Chaahat adbhut hai....
ReplyDeleteजिक्र सिर्फ अच्छी बातों का हो
ReplyDeleteतो जीना आसान लगता है..
सुन्दर भावपूर्ण रचना..
:-)
shbd shbd samrpan ke bhaw se bhara...
ReplyDeleteअच्छी रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
Lajwab.....bahoot badhiya
ReplyDeleteman ko chhoo gayee panktiyan.... sunder prastuti.
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteसादर
जिक्र उस लम्हे का करना चाहती हूँ,
ReplyDeleteजब बिना बात के तुमने मेरा नाम लिया था......
मैं जिक्र तुम्हारी हँसी का...
बहुत कुछ कहती तुम्हारी ख़ामोशी का करना चाहती हूँ.....
बहुत खूबसूरत पंक्तियाँ
मनोभावों का सुंदर निरूपण।
ReplyDeleteऐसा ही कुछ हमने भी लिखा था कभी......
ReplyDelete:-)
http://allexpression.blogspot.in/2012/09/blog-post_10.html
बहुत सुन्दर .....
अनु
खूबसूरत एहसास
ReplyDeletebhavon se bharpooor hridaysparshi rachna!
ReplyDeleteबहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति .
ReplyDeleteखूबसूरत व मीठे अहसास देती पंक्तियाँ. बेहतरीन
ReplyDeletesunder :)
ReplyDeleteकुछ पंक्तियों में जिक्र तुम्हारी बातो का करना चाहती हूँ....
ReplyDeleteजिक्र तुम्हारे साथ सुबह और शामो का करना चाहती हूँ....bahut sundar