आज लिखते-लिखते यूँ ही मेरे हाथ थम गए थे....
जाने क्यों आज शब्दों की पंक्तियाँ नही बन रही है..
मैं लिख तो रही हूँ पर शब्द बिखरे -बिखरे ,
इधर-उधर पड़े है....
जाने क्यों मन की उथल-पुथल,
मेरे शब्दों में दिख रही है।.....
मैं जितनी ही कोशिश करती हूँ,
मन को शांत करके शब्दों को समेटने की,
उन्हें पिरोने की...
उतनी ही बार मेरे हाथो से,
ये शब्द रेत की तरह निकल जाते है...और
मैं मौन सिर्फ देखती रहती हूँ.......
आज मैं सोच में हूँ कि...
मैं क्यों लिखना चाहती हूँ ......??
शायद मन को शांत करने के लिये,
अपनी उलझनों को शब्दों में उतर देना चाहती हूँ......या
शब्दों को मरहम से मन को शांत करना चाहती हूँ......
हो.....कुछ भी हो....सच तो ये है कि...
मैं कुछ लिखना चाहती हूँ।.....
कुछ ऐसा जो अभी तक खुद से भी नही कह पायी हूँ......
पर क्या है वो.......
अब यही समझना है.....
जाने क्यों आज शब्दों की पंक्तियाँ नही बन रही है..
मैं लिख तो रही हूँ पर शब्द बिखरे -बिखरे ,
इधर-उधर पड़े है....
जाने क्यों मन की उथल-पुथल,
मेरे शब्दों में दिख रही है।.....
मैं जितनी ही कोशिश करती हूँ,
मन को शांत करके शब्दों को समेटने की,
उन्हें पिरोने की...
उतनी ही बार मेरे हाथो से,
ये शब्द रेत की तरह निकल जाते है...और
मैं मौन सिर्फ देखती रहती हूँ.......
आज मैं सोच में हूँ कि...
मैं क्यों लिखना चाहती हूँ ......??
शायद मन को शांत करने के लिये,
अपनी उलझनों को शब्दों में उतर देना चाहती हूँ......या
शब्दों को मरहम से मन को शांत करना चाहती हूँ......
हो.....कुछ भी हो....सच तो ये है कि...
मैं कुछ लिखना चाहती हूँ।.....
कुछ ऐसा जो अभी तक खुद से भी नही कह पायी हूँ......
पर क्या है वो.......
अब यही समझना है.....
जब तक मन शांत न हो लिखना मुश्किल होता है,,,
ReplyDeleteवे क़त्ल होकर कर गये देश को आजाद,
अब कर्म आपका अपने देश को बचाइए!
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,,
RECENT POST...: शहीदों की याद में,,
बहुत सुन्दर.....जय हिन्द
Deleteहर किसी को ऐसी उथल-पुथल से कभी न कभी गुज़रना पड़ता है
ReplyDeleteयही है कवि/कवियत्री की विवशता...भावों के लिए शब्द नहीं मिलते...बहुत खूब...
ReplyDeletelikhne ke liye man ki becheni jaruri hai par ik seema tak...
ReplyDeleteये शब्द रेत की तरह निकल जाते है...और
ReplyDeleteमैं मौन सिर्फ देखती रहती हूँ.......
sahaj, saral si baaat.... acchhi baat....
achhi kavita..
ReplyDeleteकल 17/08/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
ना लिखूं तो सोचना ही नहीं ... हाँ ये स्थिति आती है - कुछ लिखना तो है , पर ...
ReplyDeleteक्या तय है , क्यूँ तय है .... मन असमंजसता में होता है तो ऐसी स्थिति होती है
होता है शब्द अक्सर कम पड़ जाते हैं।
ReplyDeleteuthal-puthal aur vivashata...
ReplyDeleteachha likha hai...
आज मैं सोच में हूँ कि...
ReplyDeleteमैं क्यों लिखना चाहती हूँ ......??
शायद मन को शांत करने के लिये,
अपनी उलझनों को शब्दों में उतर देना चाहती हूँ......या
शब्दों को मरहम से मन को शांत करना चाहती हूँ......
बेहतरीन भाव
आप जो भी लिखती हैं पढ़ना अच्छा लगता है ..
ReplyDeleteजो खुद से भी अपरिचित है वह शब्दों में उतरने में कुछ तो देर लगायेगा...
ReplyDeleteमन की उथल पुथल एक दिन तोड़ देती है सारे बन्ध...फिर जो बहता भावनाओं का रेला,तो लेखनी रुकती नहीं......
ReplyDeleteअनु
सबके मन की बात....
ReplyDeleteसादर।
ये शब्द रेत की तरह निकल जाते है...और
ReplyDeleteमैं मौन सिर्फ देखती रहती हूँ.......
बहुत सुन्दर रचना ............
लिखना चाहती हूँ में ही
ReplyDeleteजब इतना कुछ
आपने लिख दिया
जब लिखने लगेंगी तो
लोग कहेंगे देखो
इसने कितना लिख दिया ।
रचनाकार के मन के भावों की बहुत प्रभावी अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteमन की उलझन...
ReplyDeleteकभी -कभी इतनी भावनाए
भरी होती है मन में, पर
पता नहीं शब्द नहीं मिल पाते कुछ कहने को...
अक्सर टिप्पणी देते वक्त मेरे साथ ऐसा ही होता है...
मन की बात सुन्दरता और सरलता के साथ
रचना में व्यक्त किया है..
:-)
मन की उथल पुथल ही है जो शब्दों में बांध कर सुन्दर कविता बंटी है ...सुन्दर रचना
ReplyDeleteहम वही लिखना चाहते हैं जो शिद्दत से महसूस करते हैं । कई बार शब्द हमें छलते हैं हाथ से,लेखनी से फिसलते हैं ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति ।
रंज ओ गम के हालत में कौन कहाँ दिखता है ?
ReplyDeleteदर्द दिल के बयां करने को शब्द कहाँ मिलता है ?
बहुत सुंदर
ReplyDeleteक्या कहने
बहुत बार मनस्थिति बयान नहीं हो पाती ...
ReplyDeleteशुभकामनायें !
बहुत ही उम्दा कविता |
ReplyDeletebahut khub man ki baat
ReplyDeleteअनेकों बार शब्द नहीं मिलते अपने आप को अभिव्यक्त करने के ...
ReplyDeleteसही लिखा है ...
nice..
ReplyDeleteबस दुआ करती हूँ तुम्हे वो शब्द मिल जाये तो तुम्हारी भावनाओ को अभिव्यक्त करने मे तुम्हारा सहयोग करे...
ReplyDeleteचाहा हमने जब कभी लिख दूँ दिल की बात दिल के पन्नो पर,
कभी शब्द मेरी भावना ना समझे कभी भावनाओ को शब्द ना मिला.....
बहुत खूब ...
ReplyDeleteशुभकामनायें स्वीकारें !
भावपूर्ण रचना, बधाई.
ReplyDeleteबेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!
ReplyDeleteशुभकामनायें.
अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करने के लिए कभी शब्द निशब्द हो जाते हैं
ReplyDeleteभाव पूर्ण प्रस्तुति ....
निःशब्द भावनाओ को शब्दों में बखूबी पिरोया है आपने ...
ReplyDeletesahi kaha aapne maan ke bhaavo ko vyakt karne ke liye aksar shabd nahin milte.......or jise samajhna baaki ho use shabdo me utarne me waqt to lagega.....khubsurat abhivyakti
ReplyDeleteवह वक्त भी आता है जब बिखर जाते हैं शब्द
ReplyDeleteकितना भी चाहें हम समेटना हाथ नहीं आते हैं शब्द.....
बेहतरीन अभिव्यक्ति....मन के उथल-पुथल की |
बेह्तरीन अभिव्यक्ति ..
ReplyDeletehttp://vyakhyaa.blogspot.in/2012/09/4.html
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