Wednesday 15 August 2012

मैं कुछ लिखना चाहती हूँ......!!!

आज लिखते-लिखते यूँ ही मेरे हाथ थम गए थे....
जाने क्यों आज शब्दों की पंक्तियाँ नही बन रही है..
मैं लिख तो रही हूँ पर शब्द बिखरे -बिखरे ,
इधर-उधर पड़े है....
जाने क्यों मन की उथल-पुथल,
मेरे शब्दों में दिख रही है।..... 

मैं जितनी ही कोशिश करती हूँ,
मन को शांत करके शब्दों को समेटने की,
उन्हें पिरोने की...
उतनी ही बार मेरे हाथो से,
ये शब्द रेत की तरह निकल जाते है...और 
मैं मौन सिर्फ देखती रहती हूँ.......

आज मैं सोच में हूँ कि...
मैं क्यों लिखना चाहती हूँ ......??
शायद मन को शांत करने के लिये,
अपनी उलझनों को शब्दों में उतर देना चाहती हूँ......या 
शब्दों को मरहम से मन को शांत करना चाहती हूँ......

हो.....कुछ भी हो....सच तो ये है कि...
मैं कुछ लिखना चाहती हूँ।.....
कुछ ऐसा जो अभी तक खुद से भी नही कह पायी हूँ......
पर क्या है वो.......
अब यही समझना है.....





39 comments:

  1. जब तक मन शांत न हो लिखना मुश्किल होता है,,,

    वे क़त्ल होकर कर गये देश को आजाद,
    अब कर्म आपका अपने देश को बचाइए!

    स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,,
    RECENT POST...: शहीदों की याद में,,

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    1. बहुत सुन्दर.....जय हिन्द

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  2. हर किसी को ऐसी उथल-पुथल से कभी न कभी गुज़रना पड़ता है

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  3. यही है कवि/कवियत्री की विवशता...भावों के लिए शब्द नहीं मिलते...बहुत खूब...

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  4. likhne ke liye man ki becheni jaruri hai par ik seema tak...

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  5. ये शब्द रेत की तरह निकल जाते है...और
    मैं मौन सिर्फ देखती रहती हूँ.......

    sahaj, saral si baaat.... acchhi baat....

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  6. कल 17/08/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  7. ना लिखूं तो सोचना ही नहीं ... हाँ ये स्थिति आती है - कुछ लिखना तो है , पर ...
    क्या तय है , क्यूँ तय है .... मन असमंजसता में होता है तो ऐसी स्थिति होती है

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  8. होता है शब्द अक्सर कम पड़ जाते हैं।

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  9. uthal-puthal aur vivashata...
    achha likha hai...

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  10. आज मैं सोच में हूँ कि...
    मैं क्यों लिखना चाहती हूँ ......??
    शायद मन को शांत करने के लिये,
    अपनी उलझनों को शब्दों में उतर देना चाहती हूँ......या
    शब्दों को मरहम से मन को शांत करना चाहती हूँ......
    बेहतरीन भाव

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  11. आप जो भी लिखती हैं पढ़ना अच्छा लगता है ..

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  12. जो खुद से भी अपरिचित है वह शब्दों में उतरने में कुछ तो देर लगायेगा...

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  13. मन की उथल पुथल एक दिन तोड़ देती है सारे बन्ध...फिर जो बहता भावनाओं का रेला,तो लेखनी रुकती नहीं......

    अनु

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  14. सबके मन की बात....
    सादर।

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  15. ये शब्द रेत की तरह निकल जाते है...और
    मैं मौन सिर्फ देखती रहती हूँ.......
    बहुत सुन्दर रचना ............

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  16. लिखना चाहती हूँ में ही
    जब इतना कुछ
    आपने लिख दिया
    जब लिखने लगेंगी तो
    लोग कहेंगे देखो
    इसने कितना लिख दिया ।

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  17. रचनाकार के मन के भावों की बहुत प्रभावी अभिव्यक्ति..

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  18. मन की उलझन...
    कभी -कभी इतनी भावनाए
    भरी होती है मन में, पर
    पता नहीं शब्द नहीं मिल पाते कुछ कहने को...
    अक्सर टिप्पणी देते वक्त मेरे साथ ऐसा ही होता है...
    मन की बात सुन्दरता और सरलता के साथ
    रचना में व्यक्त किया है..
    :-)

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  19. मन की उथल पुथल ही है जो शब्दों में बांध कर सुन्दर कविता बंटी है ...सुन्दर रचना

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  20. हम वही लिखना चाहते हैं जो शिद्दत से महसूस करते हैं । कई बार शब्द हमें छलते हैं हाथ से,लेखनी से फिसलते हैं ।

    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ।

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  21. रंज ओ गम के हालत में कौन कहाँ दिखता है ?
    दर्द दिल के बयां करने को शब्द कहाँ मिलता है ?

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  22. बहुत बार मनस्थिति बयान नहीं हो पाती ...
    शुभकामनायें !

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  23. अनेकों बार शब्द नहीं मिलते अपने आप को अभिव्यक्त करने के ...
    सही लिखा है ...

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  24. बस दुआ करती हूँ तुम्हे वो शब्द मिल जाये तो तुम्हारी भावनाओ को अभिव्यक्त करने मे तुम्हारा सहयोग करे...
    चाहा हमने जब कभी लिख दूँ दिल की बात दिल के पन्नो पर,
    कभी शब्द मेरी भावना ना समझे कभी भावनाओ को शब्द ना मिला.....

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  25. बहुत खूब ...
    शुभकामनायें स्वीकारें !

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  26. भावपूर्ण रचना, बधाई.

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  27. बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!
    शुभकामनायें.

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  28. अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करने के लिए कभी शब्द निशब्द हो जाते हैं
    भाव पूर्ण प्रस्तुति ....

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  29. निःशब्द भावनाओ को शब्दों में बखूबी पिरोया है आपने ...

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  30. sahi kaha aapne maan ke bhaavo ko vyakt karne ke liye aksar shabd nahin milte.......or jise samajhna baaki ho use shabdo me utarne me waqt to lagega.....khubsurat abhivyakti

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  31. वह वक्त भी आता है जब बिखर जाते हैं शब्द
    कितना भी चाहें हम समेटना हाथ नहीं आते हैं शब्द.....
    बेहतरीन अभिव्यक्ति....मन के उथल-पुथल की |

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  32. बेह्तरीन अभिव्यक्ति ..

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