रंग तितलियों में भर सकती हूँ मैं......
फूलो से खुशबू भी चुरा सकती हूँ मैं......
यूँ ही कुछ लिखते-लिखते
चाह लूँ तो उस आसमां को भी
छू सकती हूँ मैं.....
देख लेना कभी आसमां पर,
बिना पंखो के बादलो के संग भी
उड़ सकती हूँ मैं.....
दोस्त बन जाऊं जो किसी की.....
उसे हर मुश्किल से
जीतना सिखा सकती हूँ मैं.....
हमसफ़र बन जाऊं जो किसी की,
उसकी हर राह मंजिल बना सकती हूँ मैं.....
नज़र भर कर देख लूँ जिसको,
उसे अपना बना सकती हूँ मैं.....
जज्बा तो वो रखती हूँ,
की पार पर्वत भी कर सकती हूँ मैं....
कभी देखना सागर की गहराइयो में,
लहरों के साथ गहराइयो को भी
छू सकती हूँ मैं....
मेरे प्यार,मेरे समर्पर्ण को,
मेरी कमजोरी न समझना
मिट सकती हूँ किसी पर
तो मिटा भी सकती हूँ मैं....
खुद पर आ जाऊं तो
इस दिल को पत्थर भी बना सकती हूँ मैं......
जीत सको तो प्यार से जीत लेना मुझे,
प्यार में सब कुछ हार सकती हूँ मैं.....
कमजोर नही हूँ,मजबूर भी नही हूँ,
जिद पर आ जाऊं तो
दुनिया भी बदल सकती हूँ मैं.....
यूँ ही कुछ लिखते-लिखते
इतिहास भी रच सकती हूँ मैं......
मेरे प्यार,मेरे समर्पर्ण को,
ReplyDeleteमेरी कमजोरी न समझना
मिट सकती हूँ किसी पर
तो मिटा भी सकती हूँ मैं....very nice....,
जज्बा तो वो रखती हूँ, की पार पर्वत भी कर सकती हूँ मैं....
ReplyDeleteकभी देखना सागर की गहराइयो में,
लहरों के साथ गहराइयो को भी
छू सकती हूँ मैं....
इसे कहते है , खुदी को बुलंद कर इतना .................... रज़ा क्या है.... :)
आपके हौसला - जज्बा को सलाम.... :)
यूँ ही कुछ लिखते-लिखते
ReplyDeleteइतिहास भी रच सकती हूँ मैं......
बस तो देर किस बात की रच ही दीजिये इतिहास हमारी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं।
बेहद अच्छी लगी आपकी यह कविता।
सादर
इसे कहते हैं आत्मविश्वास ... शब्द में दम , भाव में दम - एकदम अलग अंदाज ! आत्मविश्वास से भरी शानदार अभिव्यक्ति
ReplyDeleteफिर कहूँगी - इस रचना के माध्यम से तुमने इतिहास रच दिया ...
ReplyDeletewaah...har panktiyo me ek naya josh aur kuch kar gujarne ki lalak.....its the wonderfull self confidence...nice poetry :)
ReplyDeleteबात में दम है...
ReplyDeleteमेरे प्यार,मेरे समर्पर्ण को,
ReplyDeleteमेरी कमजोरी न समझना
मिट सकती हूँ किसी पर
तो मिटा भी सकती हूँ मैं....
सच है...
बेहद सुन्दर सशक्त रचना सुषमा जी..
खुद पर आ जाऊं तो
ReplyDeleteइस दिल को पत्थर भी बना सकती हूँ मैं.
यूँ ही कुछ लिखते-लिखते
इतिहास भी रच सकती हूँ मैं.
प्रत्येक पंक्ती में जोश है
कुछ कर गुजरने का दम है , साहस है, विश्वास है.
आत्मविश्वास से भरी शानदार रचना..
बेहतरीन भाव पूर्ण सार्थक रचना.....
ReplyDeleteखबरनामा की ओर से आभार
सशक्त रचना!
ReplyDeletesahi kaha ...chahu to kuch bhi kar sakti hun..
ReplyDeleteयकीनन ....
ReplyDeleteBehtarin rachna.
ReplyDeleteयकीनन इतिहास भी रच सकती हूँ मैं . शानदार भावना
ReplyDeletenice to come on ur blog........
ReplyDeleteBahut Badiya.....Agyey ki panktiyaan aapke blog par dekh kar khinchi chali aai...aana sarthak hua
आनंद से भर दिया आपने सुषमा जी, ये न हुई बात .. इतिहास में दर्ज होने वाली रचना के लिए बधाई..
ReplyDeleteसुषमा जी, बहुत सुंदर भाव और जोश भरा अंदाज...बहुत बहुत बधाई!
ReplyDeleteमिट सकती हूँ किसी पर
ReplyDeleteतो मिटा भी सकती हूँ मैं...बहुत सशक्त शब्दो द्वारा भाव को व्यक्त कर अपने आत्मविश्वास को दर्शाया...बहुत सुन्दर रचना सुषमा जी..
आपके इतिहास रचने के इंतज़ार में....
ReplyDeleteसकारात्मक सोच वाली रचना.
itnihas rach hi daala bahut achi poem likh kr :)
ReplyDeleteसुभानाल्लाह बहुत ही खुबसूरत पोस्ट.....सच इंसान अगर चाहे तो क्या नहीं कर सकता.....जहाँ चाह वहां राह |
ReplyDeleteकल 07/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
क्षमताओ को शब्दों का खूबसूरत आवरण दिया है
ReplyDeletebhaw acche lage....
ReplyDeleteचित्र और रचना...दोनों बेजोड़
ReplyDeleteनीरज
जज्बा तो वो रखती हूँ,
ReplyDeleteकी पार पर्वत भी कर सकती हूँ मैं....
कभी देखना सागर की गहराइयो में,
लहरों के साथ गहराइयो को भी
छू सकती हूँ मैं....
parvat aur sagar ki chunautiya sweekar karana asan nahi ho sakata fir bhi hausle buland ho to jaroor sagar ko chhoona aasan hai....bahut hi urjavan rachana badhai sweekaren Sushma ji .
खुद पर विश्वास करने की अदम्य शक्ति को दर्शाती बेहतरीन रचना।
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर की गई है। चर्चा में शामिल होकर इसमें शामिल पोस्ट पर नजर डालें और इस मंच को समृद्ध बनाएं.... आपकी एक टिप्पणी मंच में शामिल पोस्ट्स को आकर्षण प्रदान करेगी......
यूँ ही कुछ लिखते-लिखते
ReplyDeleteइतिहास भी रच सकती हूँ मैं......
वाकई आपकी अभिव्यक्ति इतनी ही सशक्त है ...शुभकामनाएं
बहुत सार्थक प्रस्तुति!
ReplyDeleteक्या बात है सुषमा जी बहुत खुबसूरत रचना
ReplyDeletevaah ,...vaah himmate naari madade khuda.
ReplyDeletesoch aur himmat ho to eysi.bahut bahut achcha likha.
मेरे प्यार,मेरे समर्पर्ण को,
ReplyDeleteमेरी कमजोरी न समझना
मिट सकती हूँ किसी पर
तो मिटा भी सकती हूँ मैं....
खुद पर आ जाऊं तो ...
बहुत खूब ... ये शक्ति भी प्यार से ही आती है ... पर मिटना मिटाना क्यूँ प्यार में ...? इसे तो जीना चाहिए ...
ise hahte hai sakratmak najriya.....behad sundar shushma ji...kavitao mein sirf drd hi drd nahin hoto uska yah rang bhi hota hai..
ReplyDeleteजीत सको तो प्यार से जीत लेना मुझे,
ReplyDeleteप्यार में सब कुछ हार सकती हूँ मैं.....
कमजोर नही हूँ,मजबूर भी नही हूँ,
जिद पर आ जाऊं तो
दुनिया भी बदल सकती हूँ मैं.....
यूँ ही कुछ लिखते-लिखते
इतिहास भी रच सकती हूँ मैं......
जे ब्बात......ऐसा आत्मविश्वास हो तो कुछ भी असम्भव नहीं है.बहुत ही बेहतरीन रचना, वाह !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
apki rachna ko padkar mujhe jhansi ki rani yaad aati he jo british sena se ladi. wahi laxmi bai es kavita ke madhyam se mujhe apme dikhi.
ReplyDeleteBADHAI HO ES KAVITA KE KIYE.
EK ETIHAS LAXMI BAI NE LIKHA THA.
ReplyDeleteEK ETIHAS KALPANA CHAWLA NE LIKHA THA.
EK ETIHAS INDRA GANDHI OUR PRATIBHA PATIL NE LIKHA HAI. ME DIL SE KAMNA KARTA HU KI APBHI YESA HI EK ETIHAS LIKHE BADHAI HO ETNI ACHCHHI RACHNA KE LIYE.
//मेरे प्यार,मेरे समर्पर्ण को,
ReplyDeleteमेरी कमजोरी न समझना
मिट सकती हूँ किसी पर
तो मिटा भी सकती हूँ मैं....
खुद पर आ जाऊं तो
इस दिल को पत्थर भी बना सकती हूँ मैं......
waah .. kya baat hai :)
palchhin-aditya.blogspot.in
चाह लूँ तो उस आसमां को भी
ReplyDeleteछू सकती हूँ मैं.....सारी बातें सच्ची है।
बहुत खूबसूरत रचना आप वाकई में इतिहास रच सकती हैं. शुभकामनायें.
ReplyDeleteऐसा आत्मविश्वास हो तो कुछ भी कर सकती हैं आप । बेहतरीन रचना ।
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत रचना.
ReplyDeletesundar rachna
ReplyDeleteआत्मविश्वास हो तो ऐसा बहुत सुंदर रचना ....
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत, बधाई.
ReplyDeleteकृपया मेरे ब्लॉग" meri kavitayen" की नवीनतम पोस्ट पर पधारकर अपना स्नेह प्रदान करें.
मन में हौसला हो तो कुछ भी असंभव नहीं।
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना।
bahut hi khubsurat likha hai...
ReplyDeleteदोस्त बन जाऊं जो किसी की.....
ReplyDeleteउसे हर मुश्किल से
जीतना सिखा सकती हूँ मैं..
दोस्त बन जाऊं जो किसी की.....
ReplyDeleteउसे हर मुश्किल से
जीतना सिखा सकती हूँ मैं..
नारी सशक्तिकरण की दिशा में एक अच्छी कविता के लिए वधाई।
ReplyDeleteभाई अरुण के माध्यम से आहुति में प्रवेश
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचनाओं का संग्रह पढ़ने को मिला
शक्ति,क्षमताओ,का उत्साह जनक प्रेरणा दायक
बहुत बढिया
बहुत सुंदर लिखा है.
ReplyDeleteprabhavshali rachana ke liye ak fir se badhai.
ReplyDeleteएक बेहद सशक्त रचना ....बहुत-बहुत बधाई
ReplyDeleteआज की युवा पीढ़ी को इसी जज़्बे कि ज़रुरत है. शुक्रिया इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिए.
ReplyDeleteयही हौसला होना चाहिए ... सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteआत्मा विश्वाससे ओतप्रोत यह रचना पढ़कर ..खुद पर विश्वास करने को जी चाहता है ! बहुत सुन्दर ..एक बहुत बड़ी उपलब्धि !!!!
ReplyDeletebahut hi sunder likha hai aapne
ReplyDeletewishes..