Saturday 28 January 2012

तुम्ही को ढूढती हूँ मैं........!!!


हर किसी में तुम्ही को ढूढती हूँ मैं....                                   
मिलू किसी से भी तुम्ही को ढूढती हूँ मैं......

तुम्हारे ख्याल,तुम्हारे एहसास
इस तरह लिपटे है मुझसे.....
कि किसी और का
एहसास मुझे छूता ही नही......
हर मोड़ हर राह कि....
मंजिल तुम्ही को देखती है.....मैं....
तुम्हारे साथ जीती हूँ मैं....
तुम गुज़रते हो जिस राह से,
उन्ही कदमो के निशाँ पर चलती हूँ मैं.......

जब भी धड़कने धड़कती है मेरी .....
हर धड़कन में तुम्हे महसूस करती हूँ मैं.....
हर खुशी,हर गम में, 
अपने हर सवाल का जवाब
तुमसे ही पूछती हूँ मैं.....
तुम कहो न कहो तुम.....
मुझे चाहते हो....
तुम्हारी आखों में पढ़ सकती हूँ मैं..........

जब कलम उठाती हूँ मैं,
तुम को ही सोचती हूँ मैं,
तुम्ही से रूठती हूँ,
तुम्हारे लिए ही मान जाती हूँ मैं.....
हर दुआ में तुम्हारी ही दुआ मांगती हूँ......
हर बार तुम्हारे ही सजदे में सर झुकाती हूँ मैं......!!!

62 comments:

  1. ओह!!! कितना चाहती हूँ मैं तुम्हें
    तुममे ही जीती हूँ
    और तुमसे ही जीती हूँ मैं...

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  2. एहसास के समंदर में डूबती उतरती रचना ..खूबसूरत अभिव्यक्ति

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  3. कभी कभी किसी एक में ही हम जीवन का सार पा जाते हैं...वो कोई इंसान हो या फिर ईश्वर.
    बहुत सुन्दर रचना ..

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  4. पढ़ रहा हूँ ...समझ रहा हूँ
    कितनी सरलता से व्यक्त कर लेती हैं गहरी बातों को सुषमा जी
    आपको वसंत पंचमी की ढेरों शुभकामनाएं!

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  5. pyar par bahut hi khoobsurat prastuti......!!!!!!!!!!!!

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  6. हर बार तुम्हारे ही सजदे में सर झुकाती हूँ मैं .....बहुत सुंदर हार्दिक बधाई |

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  7. अहसासो की सुन्दर अभिव्यक्ति..आपको वसंत पंचमी की ढेरों शुभकामनाएं!

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  8. खूबसूरत एहसास

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  9. भावों की सरल एवं सशक्त अभिव्यक्ति ....

    वैसे अग्रिम क्षमा याचना के साथ...एक लघु टिप्पणी.....

    मेरे बारे में कहा, माना दिल की बात...
    व्यक्त नहीं करते प्रिय, ऐसे यूँ जज्बात..
    ऐसे यूँ जज्बात, लोग हैं नज़र लगाते..
    दो लोगों की प्रीत, को घूरें आँख गड़ाते...
    कह मनोज की भीत ही प्रीत की मीठी रीत..
    चलो कहीं छुपकर चलें, गायें प्रेम के गीत... .... (मनोज)

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  10. जब भी धड़कने धड़कती है मेरी .....
    हर धड़कन में तुम्हे महसूस करती हूँ मैं.....bahut khub....

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  11. बहुत ही प्यार भरी प्रस्तुति ...

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  12. sirf itnaa hee kah do
    tumhaare liye jeetee hoon
    nice one

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  13. सुंदर रचना।
    गहरे अहसास।

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  14. खूबसूरत ..नाजुक सी रचना के लिए बधाई..

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  15. जब कलम उठाती हूँ मैं,
    तुम को ही सोचती हूँ मैं,
    तुम्ही से रूठती हूँ,
    तुम्हारे लिए ही मान जाती हूँ मैं.....

    क्या बात है ...वाह!

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  16. कल 30/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  17. तुम्हारे ख्याल,तुम्हारे एहसास
    इस तरह लिपटे है मुझसे.....
    कि किसी और का
    एहसास मुझे छूता ही नही......


    उत्तम भाव-सृजन !

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  18. बहुत सुंदर अहसास की मीठी कविता.

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  19. यादेँ ही अपनी यादों को ...ढूंढती हैं !
    खूबसूरत अहसास !

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  20. जब भी धड़कने धड़कती है मेरी .....
    हर धड़कन में तुम्हे महसूस करती हूँ मैं.....
    हर खुशी,हर गम में,
    अपने हर सवाल का जवाब
    तुमसे ही पूछती हूँ मैं.....
    तुम कहो न कहो तुम.....
    मुझे चाहते हो....
    तुम्हारी आखों में पढ़ सकती हूँ मैं........इन आँखों में ही तो होता है सबकुछ

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  21. सुखद अहसासों वाली कविता...

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  22. बहोत अच्छे ।

    नया ब्लॉग

    http://hindidunia.wordpress.com/

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  23. बहुत सुन्दर प्रस्तुति
    आपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 30-01-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर भी होगी। सूचनार्थ

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  24. जब कलम उठाती हूँ मैं,
    तुम को ही सोचती हूँ मैं,
    तुम्ही से रूठती हूँ,
    तुम्हारे लिए ही मान जाती हूँ मैं.....
    हर दुआ में तुम्हारी ही दुआ मांगती हूँ......
    हर बार तुम्हारे ही सजदे में सर झुकाती हूँ मैं......!!!
    सकारात्मक प्रेम की पराकाष्ठा, वाह !!!!!!!!!!!!!

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  25. सम्पूर्ण समर्पण भाव बहुत सुन्दर

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  26. क्या बात है ...वाह

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  27. प्रेमपगी रचना.....सुंदर अहसास

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  28. अब तो आइना भी देखू तो सूरत तेरी नजर आती है .

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  29. खूबसूरत अहसासों से लबरेज़ रचना।

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  30. Pehli baar aapki kavita padhi bahut achi lagi :)

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  31. तुम्ही से रूठती हूँ,
    तुम्हारे लिए ही मान जाती हूँ मैं.....
    हर दुआ में तुम्हारी ही दुआ मांगती हूँ......
    हर बार तुम्हारे ही सजदे में सर झुकाती हूँ मैं......!!!
    बहुत खूब ..अनुपम भाव संयोजन ।

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  32. विशुद्ध समर्पण की सुन्दर झांकी!

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  33. प्रेम का सुन्दर अहसास |

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  34. देखा है तेरी आँखों में प्यार ही प्यार....

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  35. बहुत सुन्दर

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  36. जब मैं खो जाता है तू ही तू रह जाता है...प्रेम की यही रीत है, सुंदर कविता!

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  37. where is my comment sushma ji?

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  38. वाह! कोमल एहसास के साथ बेहद ख़ूबसूरत और मनमोहक रचना लिखा है आपने!

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  39. very nicely maintained the rhythm of the poem..liked it and enjoyed...:)

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  40. लाज़वाब! बहुत सुंदर और भावपूर्ण प्रस्तुति...
    सार्थक, सुन्दर व बेहतरीन प्रस्तुती ,

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  41. khoob soorat sahsasat ke sundar rachana ....badhai sushma ji .....mere naye post pr amantran sweekaren

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  42. सच है किसी खास का अहसास इस तरह लपेटता है कि किसी और का अहसास होने नहीं देता...

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  43. बहुत सुन्दर..... कहने के लिये उचित शब्दों का चयन कठिन,,,,
    नेता,कुत्ता और वेश्या

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  44. हृदय में अंकित हो जाने वाली रचना.......
    कृपया इसे भी पढ़े
    नेता,कुत्ता और वेश्या

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  45. समर्पित प्रेम की बहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति...

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  46. हर किसी में तुम्ही को ढूढती हूँ मैं....
    मिलू किसी से भी तुम्ही को ढूढती हूँ मैं......

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  47. हर किसी में तुम्ही को ढूढती हूँ मैं....
    मिलू किसी से भी तुम्ही को ढूढती हूँ मैं......

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  48. हर किसी में तुम्ही को ढूढती हूँ मैं....
    मिलू किसी से भी तुम्ही को ढूढती हूँ मैं......

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  49. हर किसी में तुम्ही को ढूढती हूँ मैं....
    मिलू किसी से भी तुम्ही को ढूढती हूँ मैं......

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  50. हर किसी में तुम्ही को ढूढती हूँ मैं....
    मिलू किसी से भी तुम्ही को ढूढती हूँ मैं......

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  51. गहरे जज्बात के साथ लिखी बेहतरीन पंक्तियाँ ... सुंदर प्रस्तुति.
    पुरवईया : आपन देश के बयार: कलेंडर

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  52. "जब कलम उठाती हूँ मैं,
    तुम को ही सोचती हूँ मैं,
    तुम्ही से रूठती हूँ,
    तुम्हारे लिए ही मान जाती हूँ मैं."

    Wah.. Behatreen :)

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  53. बहूत हि सुंदर प्यारी रचना है --

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  54. यही है प्यार का जज़्बा । सुंदर भावभीनी रचना ।

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  55. मेरे प्यार,मेरे समर्पर्ण को,
    मेरी कमजोरी न समझना
    मिट सकती हूँ किसी पर
    तो मिटा भी सकती हूँ मैं....
    खुद पर आ जाऊं तो
    इस दिल को पत्थर भी बना सकती हूँ मैं......
    यही है प्यार

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