मैं निष्पक्ष,निस्वार्थ हमेसा तुम्हारे साथ रहती हूँ.....
इसलिए नही कि ...मैं तुमसे प्यार करती हूँ........
बल्कि इसलिए....तुम पर विश्वास करती हूँ....
मैं तुम्हारी हर बात पर,
तुम्हारे किये हर फैसले के साथ रहती हूँ.....
इसलिए नही कि...मैं तुमसे प्यार करती हूँ.....
बल्कि इसलिए....तुम कभी गलत नही होते हो....
मैं तुम पर विश्वास करती हूँ......
मोड़ चाहे कोई भी हो.....हालात चाहे कोई भी हो.....
मुश्किले हो.... नाकामिया मिले चाहे जितनी .....
मैं तुम्हारे साथ रहती हूँ....इसलिए नही कि...
मैं तुमसे प्यार करती हूँ....
बल्कि इसलिए.....तुम्हे जीतना आता है....
मैं तुम पर विश्वास करती हूँ.....
मुझे विश्वास है कि....तुम समझोगे एक दिन,
फर्क प्यार और विश्वास में....
खुद से अधिक जब हम किसी पर विश्वास करते है....
तभी हम उससे प्यार करते है.........
Yahi to prem ka anokha samarpan hai..laazwab lekhni :)
ReplyDeleteविश्वास है तभी प्यार है ... बहुत अच्छी रचना
ReplyDeleteप्यार के लिए विश्वास जरूरी है ..बेहद ख़ूबसूरत.... आपकी यह कविता लाजवाब है...
ReplyDeletekishee bhee rishte ki dhuri hota hai vishvaas
ReplyDeletejitnaa asaanee se naam liyaa jaataa
utnaa hee kathin hotaa hai
use banaaye rakhnaa
ek badhiyaa rachna
खुद से अधिक जब हम किसी पर विश्वास करते है....
ReplyDeleteतभी हम उससे प्यार करते है.........
बिलकुल सही... विश्वास है इसलिए तो प्यार है... बहुत खूबसूरत
खुद से अधिक जब हम किसी पर विश्वास करते है....
ReplyDeleteतभी हम उससे प्यार करते है.........बहुत सुन्दर भाव ...
khoobsurat kavita... bahut sundar..
ReplyDeleteमुझे विश्वास है की....तुम समझोगे एक दिन,
ReplyDeleteफर्क प्यार और विश्वास में....
खुद से अधिक जब हम किसी पर विश्वास करते है....
तभी हम उससे प्यार करते है.........
बहुत सुंदर पंक्तियाँ! प्यार हमें सुंदर बनाता है और विश्वास दिव्य !
इसलिए नही की...मैं तुमसे प्यार करती हूँ........
ReplyDeleteबल्कि इसलिए....तुम पर विश्वाश करती हूँ....
माफ़ किजिये बात कुछ जमी नहीं.......बिना प्यार के विश्वास ???
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteखुद से अधिक जब हम किसी पर विश्वास करते है....
ReplyDeleteतभी हम उससे प्यार करते है.........
....बहुत सच कहा है...समर्पित प्रेम और विश्वास की सुन्दर प्रस्तुति..
विश्वास हर रिश्ते का आधार है।
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत लिखा है आपने।
सादर
मुझे विश्वास है की....तुम समझोगे एक दिन,
ReplyDeleteफर्क प्यार और विश्वास में....
खुद से अधिक जब हम किसी पर विश्वास करते है....
तभी हम उससे प्यार करते है.........
कितनी सच्ची और गहरी बात कही है आपने इन पंक्तियों में ...बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
विश्वास ही जड़ है रिश्तों की.. खूबसूरत ख़याल.. :)
ReplyDeleteBehtareeen :):)
ReplyDeletenice...dil ko touch kar gayi
ReplyDeletenice...dil ko touch kar gayi
ReplyDeleteमुझे विश्वास है की....तुम समझोगे एक दिन,
ReplyDeleteफर्क प्यार और विश्वास में....
खुद से अधिक जब हम किसी पर विश्वास करते है....
तभी हम उससे प्यार करते है.........
behad sundar aur gahare antarman ke bhavon se pripoorn rachana ......sadar Abahar Sushma ji.
bahut achchi lagi......
ReplyDeleteमैं निष्पक्ष,निस्वार्थ हमेसा तुम्हारे साथ रहती हूँ.....
ReplyDeleteइसलिए नही कि ...मैं तुमसे प्यार करती हूँ........
बल्कि इसलिए....तुम पर विश्वास करती हूँ....very nice......
विश्वास और प्यार कि पारदर्शिता बहुत खूबसूरती से उकेरी है, बहुत खूब
ReplyDeletevishwas ho to galat bhi theek lagta hai...lekin ant me apni baat ko yu kah dene ka andaaz bahut bhaya.
ReplyDeletePrabal Vishwas, bahut khub
ReplyDelete"बल्कि इसलिए.....तुम्हे जीतना आता है....
मैं तुम पर विश्वास करती हूँ....."
Visit my blog
आपकी किसी पोस्ट की चर्चा है नयी पुरानी हलचल पर कल शनिवार 21/1/2012 को। कृपया पधारें और अपने अनमोल विचार ज़रूर दें।
ReplyDeleteजब कुछ नहीं बचता तब विश्वास ही कायम रहता है।
ReplyDeleteसुंदर रचना।
गहरी अभिव्यक्त्ति।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
सूचनार्थ!
विश्वास हो तो पत्थर मे भी भगवान तलाश लेता है ...
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत रचना
bahut khoob :)
ReplyDeleteविश्वास को परिभाषित करने का सुंदर प्रयास...भावपूर्ण हृदय से निकली रचना....
ReplyDeleteअरे वाह! बहुत सुदृढ़ विश्वास है आपका.
ReplyDeleteस्थाई आश्रय के बिना कैसी निश्चिन्तता.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा सुषमा जी.
मेरे अनुरोध को आप ठुकराया न कीजियेगा,प्लीज.
आप सच मानिए,अनुरोध हर किसी से नही किया जाता.
बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteसच में ..प्यार और विश्वास एक सिक्के के ही दो पहलू हैं...
सस्नेह.
विश्वास ही प्रेम है ..सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteविश्वास तो प्यार के पंखुड़ियों पर ठहरी हुई ओस की वह नाजुक बूंद है जिसे सहेज कर रखने की उम्र हमारे हाथों में होती है !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव डालें है !
आभार !
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteविश्वास हि है जो हमे एक - दुसरे से जोडता है
ReplyDeleteऔर जोडे रखता है ..
बहूत हि अच्छी. सच्ची और सुंदर भाव व्यक्त करती है आपकी यह रचना...
बहूत हि बेहतरीन भावाभिव्यक्ती है
बहुत अच्छी रचना ......
ReplyDeleteमुझे विश्वास है कि....तुम समझोगे एक दिन,
ReplyDeleteफर्क प्यार और विश्वास में....
खुद से अधिक जब हम किसी पर विश्वास करते है....
तभी हम उससे प्यार करते है.........
बहुत अच्छी रचना|
मुझे विश्वास है कि....तुम समझोगे एक दिन,
ReplyDeleteफर्क प्यार और विश्वास में....
खुद से अधिक जब हम किसी पर विश्वास करते है....
तभी हम उससे प्यार करते है.........
बहुत खूब ..
यूँ ही विशवास की डोर थामे रहिये ...
मुझे विश्वास है कि....तुम समझोगे एक दिन,
ReplyDeleteफर्क प्यार और विश्वास में....
खुद से अधिक जब हम किसी पर विश्वास करते है....
तभी हम उससे प्यार करते है.........जल्दी समझ जाएँ ,काश!!
very nice kavita
ReplyDeleteati sunder.
ReplyDeleteविश्वास की डोर थामे रखें ...आप का विश्वास रंग लाएगा !
ReplyDeleteशुभकामनाएँ!
बहोत अच्छा लगा आपका ब्लॉग पढकर ।
ReplyDeleteनया हिंदी ब्लॉग
http://hindidunia.wordpress.com/
वाह ..अत्यंत प्रभावी व सुन्दर लिखा है
ReplyDeleteइसलिए नही कि ...मैं तुमसे प्यार करती हूँ........
ReplyDeleteबल्कि इसलिए....तुम पर विश्वास करती हूँ....bahut hi pyaari rachna hai ...bdhai aap ko :)
मुझे विश्वास है कि...तुम समझोगे एक दिन,
ReplyDeleteफर्क प्यार और विश्वास में...
खुद से अधिक जब हम किसी पर विश्वास करते है...
तभी हम उससे प्यार करते है...
जब दूसरा नहीं रहता
तभी तो प्यार होता है
खुद से अधिक विश्वास भी
तभी तो होता है जब
हमरा वजूद किसी से बहुत बौना
लगता है और हमें लगता है
कि हम उसके बिना अधूरे हैं
खूबसुरत अभिव्यक्ति !!!
प्यार और विश्वास एक धागे के दो छोर हैं।
ReplyDeleteबहुत बढि़या रचना।
खुद से अधिक जब हम किसी पर विश्वास करते है....
ReplyDeleteतभी हम उससे प्यार करते है.........
adbhut rachana....sundar chintan
आप का विश्वास रंग लाएगा| शुभकामनाएँ|
ReplyDeleteखुद से अधिक जब हम किसी पर विश्वास करते है....
ReplyDeleteतभी हम उससे प्यार करते है.........
bilkul sach...:)
बहुत बढ़िया रचना
ReplyDeleteखुद से अधिक जब हम किसी पर विश्वास करते है....
ReplyDeleteतभी हम उससे प्यार करते है.........
....बहुत सच कहा है...बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
प्रेम विश्वास का आधार है और विश्वास प्रेम का. सुंदर रचना.
ReplyDeleteइसलिए नही कि ...मैं तुमसे प्यार करती हूँ........
ReplyDeleteबल्कि इसलिए....तुम पर विश्वास करती हूँ..EXCELLENT.
बहुत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! विश्वास हो तो कोई भी नामुमकिन काम मुमकिन हो जाता है!
ReplyDeleteAK SUNDAR RACHANA PR BADHAI ......MERE NAYE POST PR AMANTRAN SWEEKAREN.
ReplyDeletewah...bahut sundar
ReplyDeleteबल्कि इसलिए.....तुम्हे जीतना आता है....
ReplyDeleteमैं तुम पर विश्वास करती हूँ.....
इस विशवास पर ही तो जीवन टिका है...बहुत अच्छी रचना..
नीरज
मैं निष्पक्ष निस्वार्थ हमेशा
ReplyDeleteतुम्हारे साथ रहती हूँ
इसलिए नहीं कि तुमसे
प्यार करती हूँ
बल्कि इसलिये कि
तुमपर विश्वास करती हूँ।
खूबसूरत कविता की प्यारी पंक्तियाँ
बहुत ही सराहनीय....
कृपया इसे भी पढ़े-
क्या यही गणतंत्र है
मैं निष्पक्ष,निस्वार्थ हमेसा तुम्हारे साथ रहती हूँ.....
ReplyDeleteइसलिए नही कि ...मैं तुमसे प्यार करती हूँ........
बल्कि इसलिए....तुम पर विश्वास करती हूँ....chand sabdo me kya baat kah daali aapne .... super poem
aapne kavita ko bahut sundarta se samapta kiya
ReplyDeleteप्यार तो विश्वास की ही नींव पर टिक पाता है..
ReplyDeleteBahut hi Bhavmayee prastuti. sarahniy. kabhi blog par padhariye to meri "viswas" kavita jaroor padiye. shayad achchhi lage.
ReplyDeleteप्यार के भावों से सजी बहुत ही प्यारी रचना । आभार ।
ReplyDeleteबसंत पंचमी और माँ सरस्वती पूजा की हार्दिक शुभकामनाएँ । मेरे ब्लॉग "मेरी कविता" पर माँ शारदे को समर्पित 100वीं पोस्ट जरुर देखें ।
"हे ज्ञान की देवी शारदे"
गौ वंश रक्षा मंच ,सब गौ प्रेमियों को सादर आमंत्रित करता है के अपने विचार /सुझाव/लेख/ कविताये मंच पर रक्खें ,मंच के सदस्य बने ,और मंच के लेखको में अपना नाम जोड़ कर मंच को गरिमा प्रदान करें ....गौ हम सब की माँ है , माँ के लिए एक जुट होना हमारा फ़र्ज़ है....
ReplyDeletehttp://gauvanshrakshamanch.blogspot.com/
yadi aap manch par lekhk ke rup me sahyog pardaan karna chaahe to apni rachnaa yhan bheje... raadheji@gmail.com
adbhut !!
ReplyDeletebahoot sunder bhav,,,mja aa gaya. :)
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