Friday 20 January 2012

तुम पर विश्वास करती हूँ.......!!!


मैं निष्पक्ष,निस्वार्थ हमेसा तुम्हारे साथ रहती हूँ.....             
इसलिए नही कि ...मैं तुमसे प्यार करती हूँ........
बल्कि इसलिए....तुम पर विश्वास  करती हूँ....

मैं तुम्हारी हर बात पर,
तुम्हारे किये हर फैसले के साथ रहती हूँ.....
इसलिए नही कि...मैं तुमसे प्यार करती हूँ.....
बल्कि इसलिए....तुम  कभी गलत नही होते हो....
मैं तुम पर विश्वास करती हूँ......

मोड़ चाहे कोई भी हो.....हालात चाहे कोई भी हो.....
मुश्किले हो.... नाकामिया मिले चाहे जितनी .....
मैं तुम्हारे साथ रहती हूँ....इसलिए नही कि...
मैं तुमसे प्यार करती हूँ....
बल्कि इसलिए.....तुम्हे जीतना आता है.... 
मैं तुम पर विश्वास करती हूँ.....

मुझे विश्वास है कि....तुम समझोगे एक दिन,
फर्क प्यार और विश्वास में....
खुद से अधिक जब हम किसी पर विश्वास करते है....
तभी हम उससे प्यार करते है.........

67 comments:

  1. Yahi to prem ka anokha samarpan hai..laazwab lekhni :)

    ReplyDelete
  2. विश्वास है तभी प्यार है ... बहुत अच्छी रचना

    ReplyDelete
  3. प्यार के लिए विश्वास जरूरी है ..बेहद ख़ूबसूरत.... आपकी यह कविता लाजवाब है...

    ReplyDelete
  4. kishee bhee rishte ki dhuri hota hai vishvaas
    jitnaa asaanee se naam liyaa jaataa
    utnaa hee kathin hotaa hai
    use banaaye rakhnaa
    ek badhiyaa rachna

    ReplyDelete
  5. खुद से अधिक जब हम किसी पर विश्वास करते है....
    तभी हम उससे प्यार करते है.........

    बिलकुल सही... विश्वास है इसलिए तो प्यार है... बहुत खूबसूरत

    ReplyDelete
  6. खुद से अधिक जब हम किसी पर विश्वास करते है....
    तभी हम उससे प्यार करते है.........बहुत सुन्दर भाव ...

    ReplyDelete
  7. मुझे विश्वास है की....तुम समझोगे एक दिन,
    फर्क प्यार और विश्वास में....
    खुद से अधिक जब हम किसी पर विश्वास करते है....
    तभी हम उससे प्यार करते है.........
    बहुत सुंदर पंक्तियाँ! प्यार हमें सुंदर बनाता है और विश्वास दिव्य !

    ReplyDelete
  8. इसलिए नही की...मैं तुमसे प्यार करती हूँ........
    बल्कि इसलिए....तुम पर विश्वाश करती हूँ....

    माफ़ किजिये बात कुछ जमी नहीं.......बिना प्यार के विश्वास ???

    ReplyDelete
  9. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  10. खुद से अधिक जब हम किसी पर विश्वास करते है....
    तभी हम उससे प्यार करते है.........

    ....बहुत सच कहा है...समर्पित प्रेम और विश्वास की सुन्दर प्रस्तुति..

    ReplyDelete
  11. विश्वास हर रिश्ते का आधार है।

    बहुत ही खूबसूरत लिखा है आपने।


    सादर

    ReplyDelete
  12. मुझे विश्वास है की....तुम समझोगे एक दिन,
    फर्क प्यार और विश्वास में....
    खुद से अधिक जब हम किसी पर विश्वास करते है....
    तभी हम उससे प्यार करते है.........
    कितनी सच्‍ची और गहरी बात कही है आपने इन पंक्तियों में ...बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

    ReplyDelete
  13. विश्वास ही जड़ है रिश्तों की.. खूबसूरत ख़याल.. :)

    ReplyDelete
  14. मुझे विश्वास है की....तुम समझोगे एक दिन,
    फर्क प्यार और विश्वास में....
    खुद से अधिक जब हम किसी पर विश्वास करते है....
    तभी हम उससे प्यार करते है.........

    behad sundar aur gahare antarman ke bhavon se pripoorn rachana ......sadar Abahar Sushma ji.

    ReplyDelete
  15. मैं निष्पक्ष,निस्वार्थ हमेसा तुम्हारे साथ रहती हूँ.....
    इसलिए नही कि ...मैं तुमसे प्यार करती हूँ........
    बल्कि इसलिए....तुम पर विश्वास करती हूँ....very nice......

    ReplyDelete
  16. विश्वास और प्यार कि पारदर्शिता बहुत खूबसूरती से उकेरी है, बहुत खूब

    ReplyDelete
  17. vishwas ho to galat bhi theek lagta hai...lekin ant me apni baat ko yu kah dene ka andaaz bahut bhaya.

    ReplyDelete
  18. Prabal Vishwas, bahut khub
    "बल्कि इसलिए.....तुम्हे जीतना आता है....
    मैं तुम पर विश्वास करती हूँ....."

    Visit my blog

    ReplyDelete
  19. आपकी किसी पोस्ट की चर्चा है नयी पुरानी हलचल पर कल शनिवार 21/1/2012 को। कृपया पधारें और अपने अनमोल विचार ज़रूर दें।

    ReplyDelete
  20. जब कुछ नहीं बचता तब विश्‍वास ही कायम रहता है।
    सुंदर रचना।
    गहरी अभिव्‍यक्त्ति।

    ReplyDelete
  21. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    --
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
    सूचनार्थ!

    ReplyDelete
  22. विश्वास हो तो पत्थर मे भी भगवान तलाश लेता है ...
    बहुत खूबसूरत रचना

    ReplyDelete
  23. विश्वास को परिभाषित करने का सुंदर प्रयास...भावपूर्ण हृदय से निकली रचना....

    ReplyDelete
  24. अरे वाह! बहुत सुदृढ़ विश्वास है आपका.
    स्थाई आश्रय के बिना कैसी निश्चिन्तता.
    सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.

    मेरे ब्लॉग पर आईयेगा सुषमा जी.
    मेरे अनुरोध को आप ठुकराया न कीजियेगा,प्लीज.
    आप सच मानिए,अनुरोध हर किसी से नही किया जाता.

    ReplyDelete
  25. बहुत सुन्दर...
    सच में ..प्यार और विश्वास एक सिक्के के ही दो पहलू हैं...
    सस्नेह.

    ReplyDelete
  26. विश्वास ही प्रेम है ..सुन्दर अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  27. विश्वास तो प्यार के पंखुड़ियों पर ठहरी हुई ओस की वह नाजुक बूंद है जिसे सहेज कर रखने की उम्र हमारे हाथों में होती है !
    बहुत सुन्दर भाव डालें है !
    आभार !

    ReplyDelete
  28. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!

    ReplyDelete
  29. विश्वास हि है जो हमे एक - दुसरे से जोडता है
    और जोडे रखता है ..
    बहूत हि अच्छी. सच्ची और सुंदर भाव व्यक्त करती है आपकी यह रचना...
    बहूत हि बेहतरीन भावाभिव्यक्ती है

    ReplyDelete
  30. मुझे विश्वास है कि....तुम समझोगे एक दिन,
    फर्क प्यार और विश्वास में....
    खुद से अधिक जब हम किसी पर विश्वास करते है....
    तभी हम उससे प्यार करते है.........
    बहुत अच्छी रचना|

    ReplyDelete
  31. मुझे विश्वास है कि....तुम समझोगे एक दिन,
    फर्क प्यार और विश्वास में....
    खुद से अधिक जब हम किसी पर विश्वास करते है....
    तभी हम उससे प्यार करते है.........

    बहुत खूब ..

    यूँ ही विशवास की डोर थामे रहिये ...

    ReplyDelete
  32. मुझे विश्वास है कि....तुम समझोगे एक दिन,
    फर्क प्यार और विश्वास में....
    खुद से अधिक जब हम किसी पर विश्वास करते है....
    तभी हम उससे प्यार करते है.........जल्दी समझ जाएँ ,काश!!

    ReplyDelete
  33. विश्वास की डोर थामे रखें ...आप का विश्वास रंग लाएगा !
    शुभकामनाएँ!

    ReplyDelete
  34. बहोत अच्छा लगा आपका ब्लॉग पढकर ।

    नया हिंदी ब्लॉग

    http://hindidunia.wordpress.com/

    ReplyDelete
  35. वाह ..अत्यंत प्रभावी व सुन्दर लिखा है

    ReplyDelete
  36. इसलिए नही कि ...मैं तुमसे प्यार करती हूँ........
    बल्कि इसलिए....तुम पर विश्वास करती हूँ....bahut hi pyaari rachna hai ...bdhai aap ko :)

    ReplyDelete
  37. मुझे विश्वास है कि...तुम समझोगे एक दिन,
    फर्क प्यार और विश्वास में...
    खुद से अधिक जब हम किसी पर विश्वास करते है...
    तभी हम उससे प्यार करते है...

    जब दूसरा नहीं रहता
    तभी तो प्यार होता है
    खुद से अधिक विश्वास भी
    तभी तो होता है जब
    हमरा वजूद किसी से बहुत बौना
    लगता है और हमें लगता है
    कि हम उसके बिना अधूरे हैं

    खूबसुरत अभिव्यक्ति !!!

    ReplyDelete
  38. प्यार और विश्वास एक धागे के दो छोर हैं।
    बहुत बढि़या रचना।

    ReplyDelete
  39. खुद से अधिक जब हम किसी पर विश्वास करते है....
    तभी हम उससे प्यार करते है.........


    adbhut rachana....sundar chintan

    ReplyDelete
  40. आप का विश्वास रंग लाएगा| शुभकामनाएँ|

    ReplyDelete
  41. खुद से अधिक जब हम किसी पर विश्वास करते है....
    तभी हम उससे प्यार करते है.........
    bilkul sach...:)

    ReplyDelete
  42. बहुत बढ़िया रचना

    ReplyDelete
  43. खुद से अधिक जब हम किसी पर विश्वास करते है....
    तभी हम उससे प्यार करते है.........

    ....बहुत सच कहा है...बहुत सुन्दर प्रस्तुति..

    ReplyDelete
  44. प्रेम विश्वास का आधार है और विश्वास प्रेम का. सुंदर रचना.

    ReplyDelete
  45. इसलिए नही कि ...मैं तुमसे प्यार करती हूँ........
    बल्कि इसलिए....तुम पर विश्वास करती हूँ..EXCELLENT.

    ReplyDelete
  46. बहुत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! विश्वास हो तो कोई भी नामुमकिन काम मुमकिन हो जाता है!

    ReplyDelete
  47. AK SUNDAR RACHANA PR BADHAI ......MERE NAYE POST PR AMANTRAN SWEEKAREN.

    ReplyDelete
  48. wah...bahut sundar

    ReplyDelete
  49. बल्कि इसलिए.....तुम्हे जीतना आता है....
    मैं तुम पर विश्वास करती हूँ.....


    इस विशवास पर ही तो जीवन टिका है...बहुत अच्छी रचना..
    नीरज

    ReplyDelete
  50. मैं निष्पक्ष निस्वार्थ हमेशा
    तुम्हारे साथ रहती हूँ
    इसलिए नहीं कि तुमसे
    प्यार करती हूँ
    बल्कि इसलिये कि
    तुमपर विश्वास करती हूँ।
    खूबसूरत कविता की प्यारी पंक्तियाँ
    बहुत ही सराहनीय....
    कृपया इसे भी पढ़े-
    क्या यही गणतंत्र है

    ReplyDelete
  51. मैं निष्पक्ष,निस्वार्थ हमेसा तुम्हारे साथ रहती हूँ.....
    इसलिए नही कि ...मैं तुमसे प्यार करती हूँ........
    बल्कि इसलिए....तुम पर विश्वास करती हूँ....chand sabdo me kya baat kah daali aapne .... super poem

    ReplyDelete
  52. aapne kavita ko bahut sundarta se samapta kiya

    ReplyDelete
  53. प्यार तो विश्वास की ही नींव पर टिक पाता है..

    ReplyDelete
  54. Bahut hi Bhavmayee prastuti. sarahniy. kabhi blog par padhariye to meri "viswas" kavita jaroor padiye. shayad achchhi lage.

    ReplyDelete
  55. प्यार के भावों से सजी बहुत ही प्यारी रचना । आभार ।
    बसंत पंचमी और माँ सरस्वती पूजा की हार्दिक शुभकामनाएँ । मेरे ब्लॉग "मेरी कविता" पर माँ शारदे को समर्पित 100वीं पोस्ट जरुर देखें ।

    "हे ज्ञान की देवी शारदे"

    ReplyDelete
  56. गौ वंश रक्षा मंच ,सब गौ प्रेमियों को सादर आमंत्रित करता है के अपने विचार /सुझाव/लेख/ कविताये मंच पर रक्खें ,मंच के सदस्य बने ,और मंच के लेखको में अपना नाम जोड़ कर मंच को गरिमा प्रदान करें ....गौ हम सब की माँ है , माँ के लिए एक जुट होना हमारा फ़र्ज़ है....

    http://gauvanshrakshamanch.blogspot.com/


    yadi aap manch par lekhk ke rup me sahyog pardaan karna chaahe to apni rachnaa yhan bheje... raadheji@gmail.com

    ReplyDelete
  57. bahoot sunder bhav,,,mja aa gaya. :)

    ReplyDelete