Wednesday 4 January 2012

सागर की अथाह गहराइयो में........!!!



आज मैं उतर जाना चाहती हूँ....                                    
सागर की अथाह गहराइयो में....
मैं  ढूढ लेना चाहती हूँ.... वो शब्द.....
जो खुद में समेट ले मेरी तन्हाइयो को........ 






आज मैं छू लेना चाहती हूँ ....आसमान की उचाईयो को,
मैं थाम लेना चाहती हूँ....मुझसे भागती मेरी परछाइयो को....


आज मैं बुन लेना चाहती हूँ....खुबसूरत कहानियो को......
मैं मिटा देना चाहती हूँ...जिन्दगी की वीरानियो को.......


आज मैं सिमट जाना चाहती हूँ....प्यार की सरगोशियो में....
मैं शब्दों में पिरो देना चाहती हूँ ..... अपनी खामोशियो को......

54 comments:

  1. बहुत सुन्दर सुषमा जी...
    बड़ी प्यारी चाहतें हैं..
    सादर.

    ReplyDelete
  2. भावों को समेटे ........उत्तम रचना..... बधाई...

    ReplyDelete
  3. सुंदर भावाभिव्‍यक्ति।

    गहरे अहसास।

    ReplyDelete
  4. सराहनीय प्रस्तुति

    जीवन के विभिन्न सरोकारों से जुड़ा नया ब्लॉग 'बेसुरम' और उसकी प्रथम पोस्ट 'दलितों की बारी कब आएगी राहुल ...' आपके स्वागत के लिए उत्सुक है। कृपा पूर्वक पधार कर उत्साह-वर्द्धन करें

    ReplyDelete
  5. बहुत भाव पूर्ण रचना |
    आशा

    ReplyDelete
  6. आसमान को तो हम हर वक्त छू रहे हैं -
    और पी रहे है अपने साँसों से,
    परन्तु यह मन जो है - यह ऊपर - और ऊपर जाना चाहता है,
    छूना चाहता है कोई और ही आसमान
    - जो बहुत ऊंचा है -
    लेकिन
    जब छू लेगा यह मन उसे -
    तो क्या रुक जाएगा वहां - ?
    या फिर
    और ऊपर
    कोई नया आस्मां ढूंढेगा यह मन ?
    फिर एक नए आसमान की और भागने के लिए ?

    ReplyDelete
  7. मैं शब्दों में पिरो देना चाहती हूँ ..... अपनी खामोशियो को.....
    वाह ..बहुत खूब ।

    ReplyDelete
  8. आप की सुंदर चाहतें पूरी हों .....
    शुभकामनाएँ!

    ReplyDelete
  9. काश कि ये तनहाइयां न होती
    न तुम यूं मिलकर जुदा होते

    न मैं यूं शब्दों के इस गहरे सागर में खोती

    आपकी सारी वीरानियां मिट जाएं...

    ReplyDelete
  10. आपकी ये दुआ कबूल हो

    ReplyDelete
  11. बेजोड़.. बहुत बढ़िया लिखा है...

    ReplyDelete
  12. कल 06/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

    ReplyDelete
  13. बहुत ही खुबसूरत अहसास हैं |

    ReplyDelete
  14. chahto ka khoobsoorat chitran

    ReplyDelete
  15. बहुत सुन्दर ... खामोशियों को शब्द मिलें ..आमीन

    ReplyDelete
  16. bas thodi si koshish kijiye...sab paa lengi. :-)
    sunder prastuti.

    ReplyDelete
  17. बहुत ही खूबसूरत एहसास हैं ...

    ReplyDelete
  18. आज मैं सिमट जाना चाहती हूँ....प्यार की सरगोशियो में....
    मैं शब्दों में पिरो देना चाहती हूँ ..... अपनी खामोशियो को......
    bahut khoob.....

    ReplyDelete
  19. सागर की अथाह गहराइयो में....
    मैं ढूढ लेना चाहती हूँ.... वो शब्द.....
    जो खुद में समेट ले मेरी तन्हाइयो को........
    hum bhi dhoob gaye es rachna ki gahraiyo main.......

    ReplyDelete
  20. आज मैं सिमट जाना चाहती हूँ....प्यार की सरगोशियो में....
    मैं शब्दों में पिरो देना चाहती हूँ ..... अपनी खामोशियो को......

    Sushma ji bahut hi sundar rachana sath hi ak Gahri abhivykti ...badhai ke sath hi abhar.

    ReplyDelete
  21. बड़ी प्यारी चाहतें ... व्यर्थ की चिन्ताओ से दूर जीवन का सदृश्य चित्रण |

    ReplyDelete
  22. वाह ...बहुत बढ़िया प्रस्तुति!
    खुबसूरत अहसास !

    ReplyDelete
  23. आज मैं सिमट जाना चाहती हूँ....प्यार की सरगोशियो में....
    मैं शब्दों में पिरो देना चाहती हूँ ..... अपनी खामोशियो को......


    Bahut khoob...bahut sundar...

    ReplyDelete
  24. dil ke gaharayi se likhi bahut hi sundar ,pyari or bhavpurn rachana hai...
    apki yah rachana mujhe bahut pasand aayi iski tarif me shabd kam pad rahe hai...
    behtarin abhivykti...

    ReplyDelete
  25. बहुत सुन्दर दिल की गहरे से निकली रचना

    ReplyDelete
  26. मैं शब्दों में पिरो देना चाहती हूँ ..... अपनी खामोशियो को......
    waah... bahut khoob

    ReplyDelete
  27. वाह!!!!बहुत अच्छी प्रस्तुति,मन की भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति ......
    WELCOME to--जिन्दगीं--

    ReplyDelete
  28. बेहद खूबसूरत पंक्तियाँ है. आभार.

    ReplyDelete
  29. मैं शब्दों में पिरो देना चाहती हूँ ..... अपनी खामोशियो को......main bhi......

    ReplyDelete
  30. sundar prastuti ...mere naye post pr apka swagat hai

    ReplyDelete
  31. अच्छी लगी आपकी कवितायें - सुंदर, सटीक और सधी हुई।

    ReplyDelete
  32. अनुभूति शब्द में ही आकार लेती है...वह किसी और का हो जाना चाहती है...वह चुन लेना चाहती अलिखित कहानियों के प्लॉट...और बंट कर खुश होती है।

    बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति!!!

    ReplyDelete
  33. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ...वो गाना याद आ गया - आज फिर जीने की तमन्ना है ...

    ReplyDelete
  34. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...

    ReplyDelete
  35. दृढ़ इच्छा शक्ति,
    सकारात्मक सोच,
    आशावादी दृष्टिकोण,
    सटीक नजरिया,
    सब कुछ है रचना में।

    ReplyDelete
  36. बहुत सार्थक प्रयास .......

    ReplyDelete
  37. बहुत सुन्दर कामना ....ईश्वर आपको मनचाहे मार्ग पर चलने मे सहायक हों

    ReplyDelete
  38. सुषमा जी नमस्कार, नव वर्ष की बधाई। सुन्दर कामना की है आपने श्ब्दो के माध्यम से ।

    ReplyDelete
  39. बेहद ख़ूबसूरत एवं उम्दा अभिव्यक्ति ! बधाई !

    ReplyDelete
  40. "आज मैं सिमट जाना चाहती हूँ....प्यार की सरगोशियो में
    मैं शब्दों में पिरो देना चाहती हूँ ..... अपनी खामोशियो को"
    Atisundar rachna,badhaai.
    http://isangam.blogspot.com/

    ReplyDelete
  41. आपके पोस्ट पर आकर का विचरण करना बड़ा ही आनंददायक लगता है । कविता अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट "लेखनी को थाम सकी इसलिए लेखन ने मुझे थामा": पर आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद। .

    ReplyDelete
  42. सुषमाजी, आपका ब्लॊग पढ हम उसके दिवाने हो गये है. सभि कविताये पढ बहुत आनंद होता है, मन उत्साहित होता है. बहुत ही बढ़िया। धन्यवाद!

    ReplyDelete