आज मैं उतर जाना चाहती हूँ....
सागर की अथाह गहराइयो में....
मैं ढूढ लेना चाहती हूँ.... वो शब्द.....
जो खुद में समेट ले मेरी तन्हाइयो को........
आज मैं छू लेना चाहती हूँ ....आसमान की उचाईयो को,
मैं थाम लेना चाहती हूँ....मुझसे भागती मेरी परछाइयो को....
आज मैं बुन लेना चाहती हूँ....खुबसूरत कहानियो को......
मैं मिटा देना चाहती हूँ...जिन्दगी की वीरानियो को.......
आज मैं सिमट जाना चाहती हूँ....प्यार की सरगोशियो में....
मैं शब्दों में पिरो देना चाहती हूँ ..... अपनी खामोशियो को......
बहुत सुन्दर सुषमा जी...
ReplyDeleteबड़ी प्यारी चाहतें हैं..
सादर.
भावों को समेटे ........उत्तम रचना..... बधाई...
ReplyDeleteआमीन.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर चाहत ........
ReplyDeleteसुंदर भावाभिव्यक्ति।
ReplyDeleteगहरे अहसास।
सराहनीय प्रस्तुति
ReplyDeleteजीवन के विभिन्न सरोकारों से जुड़ा नया ब्लॉग 'बेसुरम' और उसकी प्रथम पोस्ट 'दलितों की बारी कब आएगी राहुल ...' आपके स्वागत के लिए उत्सुक है। कृपा पूर्वक पधार कर उत्साह-वर्द्धन करें
बहुत भाव पूर्ण रचना |
ReplyDeleteआशा
sundar chaahat!
ReplyDeleteतथास्तु
ReplyDeleteaaj hi karne ki dhun...:)
ReplyDeleteachchhi lagi:)
आसमान को तो हम हर वक्त छू रहे हैं -
ReplyDeleteऔर पी रहे है अपने साँसों से,
परन्तु यह मन जो है - यह ऊपर - और ऊपर जाना चाहता है,
छूना चाहता है कोई और ही आसमान
- जो बहुत ऊंचा है -
लेकिन
जब छू लेगा यह मन उसे -
तो क्या रुक जाएगा वहां - ?
या फिर
और ऊपर
कोई नया आस्मां ढूंढेगा यह मन ?
फिर एक नए आसमान की और भागने के लिए ?
मैं शब्दों में पिरो देना चाहती हूँ ..... अपनी खामोशियो को.....
ReplyDeleteवाह ..बहुत खूब ।
आप की सुंदर चाहतें पूरी हों .....
ReplyDeleteशुभकामनाएँ!
काश कि ये तनहाइयां न होती
ReplyDeleteन तुम यूं मिलकर जुदा होते
न मैं यूं शब्दों के इस गहरे सागर में खोती
आपकी सारी वीरानियां मिट जाएं...
आपकी ये दुआ कबूल हो
ReplyDeleteबेजोड़.. बहुत बढ़िया लिखा है...
ReplyDeleteकल 06/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
बहुत ही खुबसूरत अहसास हैं |
ReplyDeletechahto ka khoobsoorat chitran
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ... खामोशियों को शब्द मिलें ..आमीन
ReplyDeletebas thodi si koshish kijiye...sab paa lengi. :-)
ReplyDeletesunder prastuti.
बहुत ही खूबसूरत एहसास हैं ...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति!
ReplyDeleteBhavpurn..:)
ReplyDeleteआज मैं सिमट जाना चाहती हूँ....प्यार की सरगोशियो में....
ReplyDeleteमैं शब्दों में पिरो देना चाहती हूँ ..... अपनी खामोशियो को......
bahut khoob.....
सागर की अथाह गहराइयो में....
ReplyDeleteमैं ढूढ लेना चाहती हूँ.... वो शब्द.....
जो खुद में समेट ले मेरी तन्हाइयो को........
hum bhi dhoob gaye es rachna ki gahraiyo main.......
आज मैं सिमट जाना चाहती हूँ....प्यार की सरगोशियो में....
ReplyDeleteमैं शब्दों में पिरो देना चाहती हूँ ..... अपनी खामोशियो को......
Sushma ji bahut hi sundar rachana sath hi ak Gahri abhivykti ...badhai ke sath hi abhar.
बड़ी प्यारी चाहतें ... व्यर्थ की चिन्ताओ से दूर जीवन का सदृश्य चित्रण |
ReplyDeleteवाह ...बहुत बढ़िया प्रस्तुति!
ReplyDeleteखुबसूरत अहसास !
आज मैं सिमट जाना चाहती हूँ....प्यार की सरगोशियो में....
ReplyDeleteमैं शब्दों में पिरो देना चाहती हूँ ..... अपनी खामोशियो को......
Bahut khoob...bahut sundar...
dil ke gaharayi se likhi bahut hi sundar ,pyari or bhavpurn rachana hai...
ReplyDeleteapki yah rachana mujhe bahut pasand aayi iski tarif me shabd kam pad rahe hai...
behtarin abhivykti...
बहुत सुन्दर दिल की गहरे से निकली रचना
ReplyDeleteमैं शब्दों में पिरो देना चाहती हूँ ..... अपनी खामोशियो को......
ReplyDeletewaah... bahut khoob
वाह!!!!बहुत अच्छी प्रस्तुति,मन की भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति ......
ReplyDeleteWELCOME to--जिन्दगीं--
बेहद खूबसूरत पंक्तियाँ है. आभार.
ReplyDeletebehatareen abhivyakti
ReplyDeleteमैं शब्दों में पिरो देना चाहती हूँ ..... अपनी खामोशियो को......main bhi......
ReplyDeletesundar prastuti ...mere naye post pr apka swagat hai
ReplyDeleteअच्छी लगी आपकी कवितायें - सुंदर, सटीक और सधी हुई।
ReplyDeleteअनुभूति शब्द में ही आकार लेती है...वह किसी और का हो जाना चाहती है...वह चुन लेना चाहती अलिखित कहानियों के प्लॉट...और बंट कर खुश होती है।
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति!!!
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ...वो गाना याद आ गया - आज फिर जीने की तमन्ना है ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteदृढ़ इच्छा शक्ति,
ReplyDeleteसकारात्मक सोच,
आशावादी दृष्टिकोण,
सटीक नजरिया,
सब कुछ है रचना में।
बहुत सार्थक प्रयास .......
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कामना ....ईश्वर आपको मनचाहे मार्ग पर चलने मे सहायक हों
ReplyDeleteसुषमा जी नमस्कार, नव वर्ष की बधाई। सुन्दर कामना की है आपने श्ब्दो के माध्यम से ।
ReplyDeletesundar rachna..sundar kamna :)
ReplyDeleteमिश्री की डली ज़िंदगी हो चली
bahut hi gahre ehsas ke sath sunder prastuti.
ReplyDeleteगहरे भाव ....
ReplyDeleteबेहद ख़ूबसूरत एवं उम्दा अभिव्यक्ति ! बधाई !
ReplyDelete"आज मैं सिमट जाना चाहती हूँ....प्यार की सरगोशियो में
ReplyDeleteमैं शब्दों में पिरो देना चाहती हूँ ..... अपनी खामोशियो को"
Atisundar rachna,badhaai.
http://isangam.blogspot.com/
आपके पोस्ट पर आकर का विचरण करना बड़ा ही आनंददायक लगता है । कविता अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट "लेखनी को थाम सकी इसलिए लेखन ने मुझे थामा": पर आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद। .
ReplyDeleteसुषमाजी, आपका ब्लॊग पढ हम उसके दिवाने हो गये है. सभि कविताये पढ बहुत आनंद होता है, मन उत्साहित होता है. बहुत ही बढ़िया। धन्यवाद!
ReplyDeletevery beautiful
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