हर साल की तरह ये साल भी गुज़र गया, कुछ दिल में सिमट गया तो कुछ टूट कर बिखर गया...
कभी तो लगा की एक पल में साल गुज़र गया....
तो कभी इस साल के इक-इक पल को,
गुजरने में सदिया गुज़र गयी......
यूँ लगा की बहुत कुछ कहना सा बाकी रह गया,
वक़्त बंद मुट्ठी में रेत की तरह गुज़र गया...
पूरा साल गम और खुशी को संजोती और समेटती रही,
जो संजो न पायी वो मेरे शब्दों में बिखर गया...
कभी ठहरा हुआ सा लगा,
तो कभी दौड़ता हुआ ये साल गुज़र गया......
क्या खोया क्या पाया?
इसी कशमकश ये वक़्त.....पूरा साल गुज़रता गया.....
हम क्यों उदास होते है ये सोच कर कि,
जिन्दगी का एक साल बीत गया
जब कि वक़्त कभी बीतता नही.....
यूँ लगा की बहुत कुछ कहना सा बाकी रह गया,
ReplyDeleteवक़्त बंद मुट्ठी में रेत की तरह गुज़र गया...
पूरा साल गम और खुशी को संजोती और समेटती रही,
जो संजो न पायी वो मेरे शब्दों में बिखर गया...
कभी ठहरा हुआ सा लगा,
तो कभी दौड़ता हुआ ये साल गुज़र गया......सामने नया साल है, जो अनकहा रहा - कह लो , रफ़्तार तो बनी रहेगी
जिन्दगी का एक साल बीत गया
ReplyDeleteजब कि वक़्त कभी बीतता नही.....
वो तो हममे जीता है एक नया रूप धर कर..........!!!
...सच कहा है वक़्त हमेशा जीतता है एक नया रूप रख कर और इसी तरह वक़्त निकलता रहता है...बहुत सुंदर अभिव्यक्ति...नव वर्ष के लिये हार्दिक शुभकामनायें!
पूरा साल गम और खुशी को संजोती और समेटती रही,
ReplyDeleteजो संजो न पायी वो मेरे शब्दों में बिखर गया...
कभी ठहरा हुआ सा लगा,
तो कभी दौड़ता हुआ ये साल गुज़र गया......very nice....
vaah aapne to naye saal ka shankhnaad se swagat bhi kar diya.bahut behtreen likha hai.
ReplyDeleteक्या खोया क्या पाया?
ReplyDeleteइसी कशमकश ये वक़्त.....पूरा साल गुज़रता गया.....
हम क्यों उदास होते है ये सोच कर कि,
जिन्दगी का एक साल बीत गया
जब कि वक़्त कभी बीतता नही.....
वो तो हममे जीता है एक नया रूप धर कर..........!!!
एक नए वर्ष की नयी आहट पर विचारों को को प्रेरित करने वाली रचना है ....आभार सुषमा जी | मै तो बस इतना कहना चाहूँगा -
ग़मों के दौर को बस दिल से हटाये तेरा ख़याल |
होठो पे तब्बसुम की लहर लाये नया साल ||
Awesome....
ReplyDeleteजिन्दगी का एक साल बीत गया
ReplyDeleteजब कि वक़्त कभी बीतता नही.....
वो तो हममे जीता है एक नया रूप धर कर..........!!!
शत प्रतिशत सहमत आपसे बहुत सुंदर भाव बधाई
गहरी अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर शब्दों सुन्दर सा वर्णन वक़्त की रफ़्तार का...
ReplyDeleteयूँ लगा की बहुत कुछ कहना सा बाकी रह गया,
वक़्त बंद मुट्ठी में रेत की तरह गुज़र गया...
पूरा साल गम और खुशी को संजोती और समेटती रही,
जो संजो न पायी वो मेरे शब्दों में बिखर गया...
बहुत ही सुन्दर शब्दों सुन्दर सा वर्णन वक़्त की रफ़्तार का...
ReplyDeleteयूँ लगा की बहुत कुछ कहना सा बाकी रह गया,
वक़्त बंद मुट्ठी में रेत की तरह गुज़र गया...
पूरा साल गम और खुशी को संजोती और समेटती रही,
जो संजो न पायी वो मेरे शब्दों में बिखर गया...
बहुत सुंदर रचना,...अच्छी प्रस्तुती,
ReplyDeleteमेरे पोस्ट के लिए--"काव्यान्जलि"--बेटी और पेड़-- मे click करे
क्या खोया क्या पाया?
ReplyDeleteइसी कशमकश ये वक़्त.....पूरा साल गुज़रता गया.....
हम क्यों उदास होते है ये सोच कर कि,
जिन्दगी का एक साल बीत गया
जब कि वक़्त कभी बीतता नही.....
वो तो हममे जीता है एक नया रूप धर कर..........!!!
bahut umda shusma ji or apko nav vars ki haardik shubhkamnaye.........
क्या खोया क्या पाया?
ReplyDeleteइसी कशमकश ये वक़्त.....पूरा साल गुज़रता गया.....
हम क्यों उदास होते है ये सोच कर कि,
जिन्दगी का एक साल बीत गया
जब कि वक़्त कभी बीतता नही.....
वो तो हममे जीता है एक नया रूप धर कर..........!!!
bahut umda shusma ji or apko nav vars ki haardik shubhkamnaye.........
क्या खोया क्या पाया?
ReplyDeleteइसी कशमकश ये वक़्त.....पूरा साल गुज़रता गया.
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति...नव वर्ष के लिये हार्दिक शुभकामनायें!
Bahut khoob kaha apne, naya sal sabhi ke liye apar khushiya laye!
ReplyDeleteबहुत खूब!
ReplyDeleteसादर
naya saal shubh ho
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
ReplyDeleteकल 28/12/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है, कौन कब आता है और कब जाता है ...
धन्यवाद!
जिन्दगी का एक साल बीत गया
ReplyDeleteजब कि वक़्त कभी बीतता नही.....
वो तो हममे जीता है एक नया रूप धर कर.........वाह ……क्या बात कही है……………
सुन्दर शब्द और भाव संयोजन....
ReplyDeleteआगामी नए वर्ष की सादर बधाईयां.
वक़्त के साथ हम भी तो बीत ही जाते है ..
ReplyDeletebahut ache navvarsh mubarak ho
ReplyDeletesundar.....happy new year...
ReplyDeleteबहुत सुंदर...
ReplyDeleteशुभकामनाएं...नव वर्ष के लिए...
Happy New Year 2 u Too!
ReplyDeleteक्या खोया क्या पाया?
ReplyDeleteशायद यह शाश्वत प्रश्न है
हाँ सही बात है इस मनन कि क्या खोया क्या पाया साल के अंत में......सुन्दर|
ReplyDeleteवक़्त उधार नहीं रखता कभी मुस्कराहट का जवाब मुस्कराहट से देता है...
ReplyDeleteखुबसूरत रचना....
सुन्दर प्रस्तुति ...नववर्ष की शुभकामनाएं
ReplyDeleteबात हुवा साल यादें बन के जीता अहि हमारे अंदर ... सही कहा है .. आपको नव वर्ष २०१२ की मंगल कामनाएं ..
ReplyDeleteसुंदर स्वागत । नववर्ष के आगमन पर आपको भी बहुत बहुत शुभकामनाएं
ReplyDeleteachchi rachna...happy new year
ReplyDeletewelcome to my blog :)
बहोत अच्छी प्रस्तुती ।
ReplyDeleteआपको मेरी तरफ़ से नये साल के ढेंरो बधांइयां ।
नया हिंदी ब्लॉग
हिन्दी दुनिया ब्लॉग
Pahlee baar padha aapko! Behad sundar!
ReplyDeleteNaye saal kee anek shubh kamnayen!
बहुत सुन्दर ......नव वर्ष की शुभकामनाएँ
ReplyDeleteबहुत खूब. सुंदर रचना. आभार.
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति
ReplyDelete।नव वर्ष की शुभकामनायें.
vikram7: आ,मृग-जल से प्यास बुझा लें.....
बहुत सुन्दर प्रस्तुति|
ReplyDeleteनव वर्ष की शुभकामनायें|
नव वर्ष के उपलक्ष्य में आप ने बहुत ही बेहतरीन लिखा आहुति जी,आप को नव वर्ष की खूब सारी बधाइयां ....:) :)
ReplyDeletegod bless you.
ReplyDeletehappy new year...
अच्छी प्रस्तुति |
ReplyDeleteनव वर्ष शुभ और मंगलमय हो |
आशा
बेहतरीन प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । . नव वर्ष -2012 के लिए हार्दिक शुभ कामनाएँ ।
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । . नव वर्ष -2012 के लिए हार्दिक शुभ कामनाएँ ।
ReplyDeleteशब्द जैसे ढ़ल गये हों खुद बखुद, इस तरह कविता रची है आपने।
ReplyDelete.......नववर्ष आप के लिए मंगलमय हो
शुभकामनओं के साथ
संजय भास्कर
http://sanjaybhaskar.blogspot.com/
Well said...
ReplyDeletebahut khoob
ReplyDeleteआपको और आपके परिवारजनों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteHAARDIK SUBHKAMNAYE HAR PAL KHUSHNUMA HO....
ReplyDeleteAAPKI MUSKAAN PE IS 2012 KO bHI GUMAAN ho...
वाह! बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति है आपकी.
ReplyDeleteनववर्ष की आपको बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ.
समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईयेगा,सुषमा जी.
यूँ लगा की बहुत कुछ कहना सा बाकी रह गया,
ReplyDeleteवक़्त बंद मुट्ठी में रेत की तरह गुज़र गया...
पूरा साल गम और खुशी को संजोती और समेटती रही,
जो संजो न पायी वो मेरे शब्दों में बिखर गया...
bahut badhiya
प्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट पर आप आमंत्रित हैं । नव वर्ष की अशेष शुभकामनाएं । धन्यवाद ।
ReplyDeleteजो सँजो न पाई वो मेरे शब्दों में विखर गया।
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति। नये वर्ष की शुभकामनाओं के साथ....
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति...नव वर्ष के लिये हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteनव वर्ष मंगलमय हो !
ReplyDeleteबहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं ....
आपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्य को नये साल की ढेर सारी शुभकामनायें !
ReplyDeleteजब कि वक़्त कभी बीतता नही.....
ReplyDeleteवो तो हममे जीता है एक नया रूप धर कर..........!!
yahi sach..bakai satik rachna...
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं,....
ReplyDeleteनई रचना "काव्यान्जलि":
नही सुरक्षित है अस्मत, घरके अंदर हो या बाहर
अब फ़रियाद करे किससे,अपनों को भक्षक पाकर,
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ ...
ReplyDeleteक्या बात है ! नववर्ष के लिए आपको शुभकामनाएं.
ReplyDeleteक्या खोया क्या पाया?
ReplyDeleteइसी कशमकश ये वक़्त.....पूरा साल गुज़रता गया.....
हम क्यों उदास होते है ये सोच कर कि,
जिन्दगी का एक साल बीत गया
जब कि वक़्त कभी बीतता नही.....
वो तो हममे जीता है एक नया रूप धर कर..........!!!
...bilkul sahi kaha aapne.vqkt hamare samne naye nayee roop dhar kar hamare dware aa khada hota hai..
sundar rachna...
nav varsh ki aapko spariwar haardik shubhkamnayen!
Very beautiful
ReplyDeleteतो कभी इस साल के इक-इक पल को,
ReplyDeleteगुजरने में सदिया गुज़र गयी......
और
जो संजो न पायी वो मेरे शब्दों में बिखर गया...
ये दोनों पंक्तियाँ बहुत पसंद आयीं |
सादर
achchhi kavita hai ...
ReplyDelete