तन्हा बैठी आज कुछ लिखने जा रही हूँ...
खुली आखों से कुछ सपने बुनने जा रही हूँ.....
सालो पहले कुछ सवाल किये थे खुद से,
उन सवालो के जवाब लिख रही हूँ मैं....
आज ख्वाब लिख रही हूँ मैं......
जीवन की आपाधापी से दूर दिन वो बचपन के,
जब आखों में सिर्फ ख्वाब हुआ करते थे
एक जादू की नगरी थी,परियो की बाते थी,
दिल में छिपे हैं कही अभी भी,
वो एहसास लिख रही हूँ मैं.....
आज ख्वाब लिख रही हूँ मैं......
भला लगता था पूरी दुनिया को भूल,
खुद में खोये रहना..
उस छोटे से घर को ही सारा संसार समझना...
उन पलो,उन लम्हों में जिन्दगी है गुजरी,
कुछ खास लिख रही हूँ मैं.....
आज ख्वाब लिख रही हूँ मैं.............
जीवन की आपाधापी से दूर दिन वो बचपन के,
ReplyDeleteजब आखों में सिर्फ ख्वाब हुआ करते थे वो एहसास लिख रही हूँ मैं...verynice..
सुन्दर प्रस्तुति पर हमारी बधाई ||
ReplyDeleteterahsatrah.blogspot.com
सबको अपना बचपन याद आ जायेगा आपकी रचना पढकर............बहुत सुंदर
ReplyDeleteवो एहसास लिख रही हूँ ... आज ख्वाब लिख रही हूँ मैं..
ReplyDeletekhoobsurat kavita... bahut sundar
ReplyDeleteएक ख्वाब पढ़ रही हूँ मैं ...
ReplyDeleteसच है मै भी एक ख्वाब पढ़ रही हूँ..वो भी बहुत प्यारा और मासूम सा....
ReplyDeleteसुंदर रचना।
ReplyDeleteबेहतरीन जज्बात।
bahut dard hai is dil me - sabass
ReplyDeleteKabil-e-taareef hai ye sunder khwaab....
ReplyDeletebahut accha - sabaass
ReplyDeletenirmal pyari si prastuti.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर....
ReplyDeleteदाद कबूल करें.
बहुत सुन्दर....
ReplyDeleteक्या खूबसूरत ख्वाब लिखा है!
ReplyDeleteबेहतरीन रचना ..
ReplyDeleteफुर्सत के दो क्षण मिले, लो मन को बहलाय |
ReplyDeleteघूमें चर्चा मंच पर, रविकर रहा बुलाय ||
शुक्रवारीय चर्चा-मंच
charchamanch.blogspot.com
अरे मेरी टिपण्णी कहाँ गई ... स्पैम टिपण्णी में देखिये अब्ली ब्लॉग सेट्टिंग में ...
ReplyDeleteवाह ... लाजवाब लिखा है आपने ..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना ... ख़्वाबों में खो जाने का मन होता है
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत और कोमल भावों से भरी पोस्ट|
ReplyDeleteबचपन के दिन भी क्या दिन थे..ख्वाबों की बहुत सुंदर प्रस्तुति...
ReplyDeleteउन सवालो के जवाब लिख रही हूँ मैं....
ReplyDeleteआज ख्वाब लिख रही हूँ मैं......
वाह! बहुत खूबसूरत रचना....
सादर बधाई...
बहुत खूब!
ReplyDeleteसादर
्सुन्दर भावाव्यक्ति।
ReplyDeleteआप यूँ ही ख्वाब लिखती रहिये...उन्हें जीती रहिये..बधाई
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर रचना है ... आपकी भावनाओ का प्रस्तुतिकरण उम्दा होता है !!
ReplyDeleteसुंदर रचना।
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति!
अभिव्यक्ति का माध्यम
ReplyDeleteकाव्य है
और काव्य अनुपम, अनूठा और
प्रभावशाली है ....
वाह !!
bahut sundar prastuti.komal ehsaas jagati hui panktiyan.
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना....
ReplyDeleteसुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति है आपकी.
ReplyDeleteआभार.
भला लगता था पूरी दुनिया को भूल,
ReplyDeleteखुद में खोये रहना...
बहुत खुबसूरत और भावपूर्ण रचना |
ख्वाबों का जग भी सुन्दर है .....एक पंख लगी लड़की जो आकाश के हर कोने में घुमा करती थी ......कभी कभी चंदा की सेर कर आया करती थी ....कभी तारों से आकाश सजाया करती थी ..
ReplyDeleteयादों को जिवंत करती अनुपम कृति ....भावनावों का अदभुत संगम ...और विचारों की आहुति ..... awesome sach a unique feelings
जवाब लिख रही हो, एक ख्वाब लिख रही हो
ReplyDeleteखूबसूरत भाव , लाजवाब लिख रही हो.
भला लगता था पूरी दुनिया को भूल,
ReplyDeleteखुद में खोये रहना..
उस छोटे से घर को ही सारा संसार समझना...
उन पलो,उन लम्हों में जिन्दगी है गुजरी,
कुछ खास लिख रही हूँ मैं.....
आज ख्वाब लिख रही हूँ मैं.............
vah Sushma ji bahut sundar ... abhar
apne to bachpan chitrit karke use jeene pe majboor kar diya,
ReplyDeletebahut khoob
बहुत प्यारे से एहसास .......
ReplyDeleteवाह ...बहुत खूब ।
ReplyDeletekya baat kah di.......wah.
ReplyDeleteबचपन जो कभी दुबारा नहीं आता ..वाह ! बहुत खुबसूरत !
ReplyDeletebahut hi achchha hai.
ReplyDeleteसटीक सार्थक रचना |बधाई
ReplyDeleteआशा
bachapan ki yad dilati bahut hi sundar rachana hai..
ReplyDeleteखाब तो बस खाब है जी...
ReplyDeleteआपके पोस्ट पर आना सार्थक होता है । मेरे नए पोस्ट "खुशवंत सिंह" पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
ReplyDeleteआप काफी अच्छा लिखती है ,पहली बात आप के ब्लॉग पर आना हुआ,रचना और ब्लॉग दोनों हो बेहतरीन है......
ReplyDeleteकुछ खास लिख रही हूँ मैं.....
आज ख्वाब लिख रही हूँ मैं.............हमे तो ख्वाब देखने ही आते है और आप लिख भी सकती है ,अच्छा लगा सुन कर,ख्वाब लिखने पर बधाई स्वीकारें .....
50 वीं टिप्पणी, बधाई हो!
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा है आपने! उम्दा रचना! बधाई!
ReplyDeleteमेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
http://seawave-babli.blogspot.com/
सुंदर रचना लिखने बधाई,....सटीक सार्थक पोस्ट,....
ReplyDeleteमेरे नये पोस्ट लिए काव्यान्जलि..: महत्व .. में click करे
This comment has been removed by the author.
ReplyDeletekhubsurat rachna..bahut hi gehre soch se likhe gye!u'r a good writer,I'll keep revisiting.
ReplyDeletesundar abhivyakti.
ReplyDeletebahut badhiya
ReplyDeleteBahut achi kavita hai..:)
ReplyDeleteक्रिसमस की हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDeleteमेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
http://seawave-babli.blogspot.com/
भला लगता था पूरी दुनिया को भूल,
ReplyDeleteखुद में खोये रहना..
उस छोटे से घर को ही सारा संसार समझना...
उन पलो,उन लम्हों में जिन्दगी है गुजरी,
कुछ खास लिख रही हूँ मैं.....
आज ख्वाब लिख रही हूँ मैं.............
सुन्दर रचना
Bahut sundar kavita
ReplyDeleteबेहतरीन रचना ...सच्ची न होकर भी वो बाते सच्ची लगती थी....
ReplyDeleteदिल में छिपे हैं कही अभी भी,
वो एहसास लिख रही हूँ मैं..... !!
aapke khawab padh aaj apne khawab yaad aa gye...sundar rachna
ReplyDeleteभला लगता था पूरी दुनिया को भूल,
ReplyDeleteखुद में खोये रहना..bahut achchha