Tuesday 10 January 2012

एक किताब में बंद है कहीं .......!!!


मेरे ख्वाब मेरी ख्वाईशे                                           
एक किताब में बंद है कही.......

यह जो दिख रही है खुशिया,
मेरे आस-पास वो भी मेरी है नही ......
मेरे होटों की हसीं भी....
एक किताब में बंद है कहीं ..... 

मुझे प्रस्तुत करती........
ये पंक्तिया भी मेरी है नही .....
मैं तो खुद एक किताब में बंद हूँ कहीं ..........

कब से इंतज़ार कर रही हूँ की.....
कोई पढ़ेगा मुझे 
इस इंतज़ार में खुद को अभी तक पढ़ा ही नही.........!!!

66 comments:

  1. आप खुद को पढ़ें या ना पर सबने पढ़ लिया ...

    ReplyDelete
  2. यकीनन कोई पढ़ेगा
    एहसास ...

    ReplyDelete
  3. बहुत सुन्दर बात कह डाली आपने..
    कोई खुली किताब है..किसी ने पढ़ा नहीं खुद को..
    वाह वाह..

    ReplyDelete
  4. SACH MEN BAHUT SUNDAR NAZM UKAR KE AAYEE HAI...

    ReplyDelete
  5. Behtarin rachna..:)
    Bhavo ki mahima hai
    Keh kr sab kuch bhi
    kuch baat hai baaki
    "PAD" rahe hai aapko
    Apka KHUD ko padna hai Baaki

    ReplyDelete
  6. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

    ReplyDelete
  7. इन बंद किताबों से,
    चुराकर अल्फ़ाज़-
    लिख लो कुछ अफ़साने
    आगाज़ की हद तक...
    क्या पता सख्सियत को नया मुकाम मिले !!

    ReplyDelete
  8. कब से इंतज़ार कर रही हूँ की.....
    कोई पढ़ेगा मुझे
    इस इंतज़ार में खुद को अभी तक पढ़ा ही नही.........!!! bahut khub...

    ReplyDelete
  9. वो किताब ज़रूर कोई पढ़ेगा और समझेगा .. सुन्दर अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  10. इतना सुंदर लिख कर खुद से दूर कहाँ भागी जा रहीं हैं आप ...?
    सुंदर भाव ...

    ReplyDelete
  11. hamne pad kar dekh liya hai...........

    ReplyDelete
  12. sushmaji..achhi rachna,badhayi... aapki kitaab jald hi koi padhe,shubhkaamnayen:)

    ReplyDelete
  13. खूबसूरत ख्वाहिशें हैं क्यूँ किताब के अन्दर...
    जब इतना खूबसूरत खुद है तुम्हारा अंतर..... (मनोज)

    ReplyDelete
  14. सुन्दर अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  15. गहरे भाव....

    सुंदर प्रस्‍तुति।

    ReplyDelete
  16. ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति! लाजवाब रचना!

    ReplyDelete
  17. सशक्त उम्दा रचना....

    ReplyDelete
  18. खुद को पढ़ना जरूरी होता है ... अपना आप जानने के लिए ...
    प्रभावी रचना है ...

    ReplyDelete
  19. सुभानाल्लाह बहुत खूब|

    ReplyDelete
  20. कब से इंतज़ार कर रही हूँ की.....
    कोई पढ़ेगा मुझे
    इस इंतज़ार में खुद को अभी तक पढ़ा ही नही.........!!!

    SUNDAR

    ReplyDelete
  21. बहुत बहुत बधाई |
    बढ़िया प्रस्तुति ||

    ReplyDelete
  22. मनोदशा को बहुत प्रभावी ढंग से लिखा है..अति सुन्दर..

    ReplyDelete
  23. बहुत बढ़िया लिखा है |

    ReplyDelete
  24. ख्वाब और ख्वाहिशों से भरी बहुत सुन्दर है किताब जरुर पढ़ी जाएगी और समझी भी... शुभकामनाएं

    ReplyDelete
  25. एक नए अंदाज में लिखी गई सुंदर कविता।

    ReplyDelete
  26. कब से इंतज़ार कर रही हूँ की.....
    कोई पढ़ेगा मुझे
    इस इंतज़ार में खुद को अभी तक पढ़ा ही नही.........!!!

    नया अंदाज नए अल्फाज ......जिन्दगी के बंद हैं कई राज किताबों में ......!

    ReplyDelete
  27. ये ख्वाहिशें ये हंसी ये ख़ुशी और इंतज़ार
    किताबों में कब तक बंद रखोगे सरकार

    इन्हें खोलिए और एक नै उड़ान दीजिये !

    बेहद खूबसूरत रचना बधाई !

    ReplyDelete
  28. किताब के माध्यम से बड़ी खूबसूरती से अपनी बात कह दी

    ReplyDelete
  29. पहली बार आपके ब्लॉग पर आया ...
    नव वर्ष की मंगल कामना ...
    रोमांचित करने वाली रचना है आपकी
    babanpandey.blogspot.com

    ReplyDelete
  30. written beautifully..good luck and all the best..

    ReplyDelete
  31. jarur padega aur samjhega bhi....sundar rachna

    ReplyDelete
  32. bahut khoobsurat panktiyan...

    कब से इंतज़ार कर रही हूँ की.....
    कोई पढ़ेगा मुझे
    इस इंतज़ार में खुद को अभी तक पढ़ा ही नही.........!!!

    ReplyDelete
  33. बढ़िया प्रस्तुति
    बहुत खुबसूरत , बधाई

    ReplyDelete
  34. कोई पढ़ेगा मुझे...?

    उम्मीद बाकी है ?

    बढ़िया कविता !

    ReplyDelete
  35. कब से इंतज़ार कर रही हूँ की.....
    कोई पढ़ेगा मुझे
    इस इंतज़ार में खुद को अभी तक पढ़ा ही नही.........!!!

    गहरी सोच को दर्शाती रचना !
    बहुत सुन्दर ..!
    मेरी नई पोस्ट पे आपका इनतजार रहेगा !

    ReplyDelete
  36. कब से इंतज़ार कर रही हूँ की.....
    कोई पढ़ेगा मुझे
    इस इंतज़ार में खुद को अभी तक पढ़ा ही नही.........!!!

    ...यही इंतज़ार तो जीवन है...बहुत सुन्दर भावमयी अभिव्यक्ति..

    ReplyDelete
  37. इंतज़ार का फल मीठा होता है.

    सुंदर रचना.

    ReplyDelete
  38. मै तो आपको हमेशा पढ़ती हु..
    और पढ़ती रहूंगी ...
    बेहद प्रभावी रचना है

    ReplyDelete
  39. waah! kya baat hai.....bahut hi umda likhti hai aap.....aise hi likhti rhiye,......bdhaai...

    ReplyDelete
  40. गहन पीड़ा की अनुभूति कराती रचना, वैसे खुद को पढ़ना बेहद जरूरी होता है.

    ReplyDelete
  41. बस पढ़े कोई, और पन्नो के बीच एक फूल रख दे अपनी खुश्बू का..

    ReplyDelete
  42. व्यक्ति की यह मूल प्यास है कि उसे कोई ऐसा इंसान मिले जो उसे उससे भी अधिक जाने...इसी बात को अभिव्यक्त करती एक गहन अनुभूति से उपजी सुंदर रचना। बधाई।

    ReplyDelete
  43. asha hai jald hi koi mile jo padh sake
    mujhe
    mere shabdon me

    ReplyDelete
  44. बहुत ही सार्थक व सटीक लेखन| मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएँ|

    ReplyDelete
  45. कुछ लोग किताबें शेल्‍फ में सजाने के लिये रखते हैं किन्‍तु किताब तो सदैव आतुर रहती है कि कोई उसे पढ़े, समझे और शब्‍दों में निहित अनुभूति को समझे.
    सुन्‍दर प्रयास...

    ReplyDelete
  46. कब से इंतज़ार कर रही हूँ की.....
    कोई पढ़ेगा मुझे
    इस इंतज़ार में खुद को अभी तक पढ़ा ही नही.........!!!

    SUSHMA JI BAHUT HI LAJAB RACHANA HAI .......KYA LIKHUN .....MERE PAS TO SHABD HI NAHI HAIN.....BADHAI

    ReplyDelete
  47. प्रेरणादायी कविता

    ReplyDelete
  48. बहुत सुंदर प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट " हो जाते हैं क्यूं आद्र नयन पर ": पर आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद। .

    ReplyDelete
  49. wonderfully written

    ReplyDelete
  50. touching,impactful.
    bahut kam shabdo me gehre soch wikyat kre hai apne.gehre,prabhavsali rachna sushmaji.

    ReplyDelete
  51. वाह ....भावमयी रचना........अच्छा लिखा .....
    बधाई ...
    मेरी नयी कविता तो नहीं उस जैसी पंक्तियाँ "जोश "पढने के लिए मेरे ब्लॉग पे आयें...
    http://dilkikashmakash.blogspot.com/

    ReplyDelete
  52. गहरा भाव लिए बहुत सुन्दर रचना ।
    आभार ।

    ReplyDelete
  53. प्रभावशाली अभिव्यक्ति !
    शुभकामनायें आपको ..

    ReplyDelete
  54. कब से इंतज़ार कर रही हूँ की.....
    कोई पढ़ेगा मुझे
    इस इंतज़ार में खुद को अभी तक पढ़ा ही नही.........!!!
    बहुत ही बढि़या।

    ReplyDelete
  55. बहुत ही लाजवाब रचना!

    ReplyDelete
  56. beautiful expression with great feelings

    ReplyDelete