मेरे आस-पास वो भी मेरी है नही ......
मेरे होटों की हसीं भी....
एक किताब में बंद है कहीं .....
मुझे प्रस्तुत करती........
ये पंक्तिया भी मेरी है नही .....
मैं तो खुद एक किताब में बंद हूँ कहीं ..........
कब से इंतज़ार कर रही हूँ की.....
कोई पढ़ेगा मुझे
इस इंतज़ार में खुद को अभी तक पढ़ा ही नही.........!!!
आप खुद को पढ़ें या ना पर सबने पढ़ लिया ...
ReplyDeleteयकीनन कोई पढ़ेगा
ReplyDeleteएहसास ...
बहुत सुन्दर बात कह डाली आपने..
ReplyDeleteकोई खुली किताब है..किसी ने पढ़ा नहीं खुद को..
वाह वाह..
SACH MEN BAHUT SUNDAR NAZM UKAR KE AAYEE HAI...
ReplyDeleteBehtarin rachna..:)
ReplyDeleteBhavo ki mahima hai
Keh kr sab kuch bhi
kuch baat hai baaki
"PAD" rahe hai aapko
Apka KHUD ko padna hai Baaki
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
ReplyDeleteसूचनार्थ!
बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteइन बंद किताबों से,
ReplyDeleteचुराकर अल्फ़ाज़-
लिख लो कुछ अफ़साने
आगाज़ की हद तक...
क्या पता सख्सियत को नया मुकाम मिले !!
कब से इंतज़ार कर रही हूँ की.....
ReplyDeleteकोई पढ़ेगा मुझे
इस इंतज़ार में खुद को अभी तक पढ़ा ही नही.........!!! bahut khub...
वाह बेहतरीन!!!
ReplyDeletezindgi pyar ka geeet hai ....
ReplyDeleteवो किताब ज़रूर कोई पढ़ेगा और समझेगा .. सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteइतना सुंदर लिख कर खुद से दूर कहाँ भागी जा रहीं हैं आप ...?
ReplyDeleteसुंदर भाव ...
hamne pad kar dekh liya hai...........
ReplyDeletesushmaji..achhi rachna,badhayi... aapki kitaab jald hi koi padhe,shubhkaamnayen:)
ReplyDeleteखूबसूरत ख्वाहिशें हैं क्यूँ किताब के अन्दर...
ReplyDeleteजब इतना खूबसूरत खुद है तुम्हारा अंतर..... (मनोज)
सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteगहरे भाव....
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति।
beautiful.
ReplyDelete:) ekdam nice
ReplyDeletepadh lo ... hansi to baahar aa jaye
ReplyDeleteख़ूबसूरत अभिव्यक्ति! लाजवाब रचना!
ReplyDeleteसशक्त उम्दा रचना....
ReplyDeleteखुद को पढ़ना जरूरी होता है ... अपना आप जानने के लिए ...
ReplyDeleteप्रभावी रचना है ...
सुभानाल्लाह बहुत खूब|
ReplyDeleteकब से इंतज़ार कर रही हूँ की.....
ReplyDeleteकोई पढ़ेगा मुझे
इस इंतज़ार में खुद को अभी तक पढ़ा ही नही.........!!!
SUNDAR
बहुत बहुत बधाई |
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति ||
मनोदशा को बहुत प्रभावी ढंग से लिखा है..अति सुन्दर..
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लिखा है |
ReplyDeleteख्वाब और ख्वाहिशों से भरी बहुत सुन्दर है किताब जरुर पढ़ी जाएगी और समझी भी... शुभकामनाएं
ReplyDeleteएक नए अंदाज में लिखी गई सुंदर कविता।
ReplyDeleteकब से इंतज़ार कर रही हूँ की.....
ReplyDeleteकोई पढ़ेगा मुझे
इस इंतज़ार में खुद को अभी तक पढ़ा ही नही.........!!!
नया अंदाज नए अल्फाज ......जिन्दगी के बंद हैं कई राज किताबों में ......!
ये ख्वाहिशें ये हंसी ये ख़ुशी और इंतज़ार
ReplyDeleteकिताबों में कब तक बंद रखोगे सरकार
इन्हें खोलिए और एक नै उड़ान दीजिये !
बेहद खूबसूरत रचना बधाई !
किताब के माध्यम से बड़ी खूबसूरती से अपनी बात कह दी
ReplyDeleteपहली बार आपके ब्लॉग पर आया ...
ReplyDeleteनव वर्ष की मंगल कामना ...
रोमांचित करने वाली रचना है आपकी
babanpandey.blogspot.com
written beautifully..good luck and all the best..
ReplyDeletejarur padega aur samjhega bhi....sundar rachna
ReplyDeletebahut khoobsurat panktiyan...
ReplyDeleteकब से इंतज़ार कर रही हूँ की.....
कोई पढ़ेगा मुझे
इस इंतज़ार में खुद को अभी तक पढ़ा ही नही.........!!!
बढ़िया प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत , बधाई
sundar abhivyakti
ReplyDeleteकोई पढ़ेगा मुझे...?
ReplyDeleteउम्मीद बाकी है ?
बढ़िया कविता !
कब से इंतज़ार कर रही हूँ की.....
ReplyDeleteकोई पढ़ेगा मुझे
इस इंतज़ार में खुद को अभी तक पढ़ा ही नही.........!!!
गहरी सोच को दर्शाती रचना !
बहुत सुन्दर ..!
मेरी नई पोस्ट पे आपका इनतजार रहेगा !
कब से इंतज़ार कर रही हूँ की.....
ReplyDeleteकोई पढ़ेगा मुझे
इस इंतज़ार में खुद को अभी तक पढ़ा ही नही.........!!!
...यही इंतज़ार तो जीवन है...बहुत सुन्दर भावमयी अभिव्यक्ति..
इंतज़ार का फल मीठा होता है.
ReplyDeleteसुंदर रचना.
मै तो आपको हमेशा पढ़ती हु..
ReplyDeleteऔर पढ़ती रहूंगी ...
बेहद प्रभावी रचना है
waah! kya baat hai.....bahut hi umda likhti hai aap.....aise hi likhti rhiye,......bdhaai...
ReplyDeleteगहन पीड़ा की अनुभूति कराती रचना, वैसे खुद को पढ़ना बेहद जरूरी होता है.
ReplyDeleteबस पढ़े कोई, और पन्नो के बीच एक फूल रख दे अपनी खुश्बू का..
ReplyDeleteव्यक्ति की यह मूल प्यास है कि उसे कोई ऐसा इंसान मिले जो उसे उससे भी अधिक जाने...इसी बात को अभिव्यक्त करती एक गहन अनुभूति से उपजी सुंदर रचना। बधाई।
ReplyDeleteasha hai jald hi koi mile jo padh sake
ReplyDeletemujhe
mere shabdon me
बहुत ही सार्थक व सटीक लेखन| मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएँ|
ReplyDeleteकुछ लोग किताबें शेल्फ में सजाने के लिये रखते हैं किन्तु किताब तो सदैव आतुर रहती है कि कोई उसे पढ़े, समझे और शब्दों में निहित अनुभूति को समझे.
ReplyDeleteसुन्दर प्रयास...
कब से इंतज़ार कर रही हूँ की.....
ReplyDeleteकोई पढ़ेगा मुझे
इस इंतज़ार में खुद को अभी तक पढ़ा ही नही.........!!!
SUSHMA JI BAHUT HI LAJAB RACHANA HAI .......KYA LIKHUN .....MERE PAS TO SHABD HI NAHI HAIN.....BADHAI
प्रेरणादायी कविता
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट " हो जाते हैं क्यूं आद्र नयन पर ": पर आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद। .
ReplyDeletebahut behtreen prastuti.
ReplyDeletewonderfully written
ReplyDeletetouching,impactful.
ReplyDeletebahut kam shabdo me gehre soch wikyat kre hai apne.gehre,prabhavsali rachna sushmaji.
wah......kya baat hai.....
ReplyDeleteवाह ....भावमयी रचना........अच्छा लिखा .....
ReplyDeleteबधाई ...
मेरी नयी कविता तो नहीं उस जैसी पंक्तियाँ "जोश "पढने के लिए मेरे ब्लॉग पे आयें...
http://dilkikashmakash.blogspot.com/
गहरा भाव लिए बहुत सुन्दर रचना ।
ReplyDeleteआभार ।
प्रभावशाली अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteशुभकामनायें आपको ..
कब से इंतज़ार कर रही हूँ की.....
ReplyDeleteकोई पढ़ेगा मुझे
इस इंतज़ार में खुद को अभी तक पढ़ा ही नही.........!!!
बहुत ही बढि़या।
बहुत ही लाजवाब रचना!
ReplyDeletebeautiful expression with great feelings
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना
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