Monday 20 October 2014

कुछ बिखरी पंखुड़ियां.....!!! भाग-10

78.
तुम्हारे हाथों को अपने हाथो में लेकर,
यूँ ही सफ़र तय करना अभी बाकी है...
तुम्हारे सीने पर सर रख कर..
धड़कने सुनना अभी बाकी है....
धडकनों को भी खबर ना हो..
मेरे लबो को तुम्हारे लबो..
कुछ कहना अभी बाकी है...
79.
मेरे धडकनों को जैसे छू कर गया है कोई अभी-अभी...
मुझे भी हिचकियाँ आ रही है...
किसी के लबो ने मेरा नाम लिया है अभी-अभी...
80.
अपना धड़कता दिल तुम्हारे सीने में छोड़ आयी हूँ...
तुम्हारे होटों पर निशानी..
अपनी मुस्कराहटो की छोड़ आयी हूँ...
सभी पढ़ लेंगे अब तुम्हारी आखों में...
कहानी अपनी उनमे छोड़ आयी हूँ....
81.
बारिश की हल्की-हल्की बुँदे...
मुझे तुम्हारे स्पर्श का एहसास दिलाती है....
कभी मेरे पलकों पर ठहरती है...
कभी मेरे होटों पर मुस्कराती है...
82.
कभी-कभी किसी को जीतने के लिये..
खुद को हारना पड़ता है...
 83.
मैं तो हर दिन तुम्हारे लिये करवाचौथ रहती आई हूँ...
सुना है उम्र बढती है...
इसके व्रत रखने से...
मैं तो हर पल अपनी साँसों को..
तुम्हारी सांसो से जोडती आयी हूँ...
अब भी क्या कोई रस्म अदा करनी पड़ेगी..........!
    84.
दिल की बाते है... 
तुमको समझाए कैसे....
बाते कुछ कही नही जाती....
प्यार की हद है कि..तुमको बताये कैसे...
85.
जब कभी जो कही मैं डर जाऊं...
या हार के टूटने लगूं..
तुम मेरा हाथ अपने हाथो में मजबूती से पकड़ कर रखना...
यक़ीनन मैं टूट भी गयी तो..कभी बिखारुंगी नही....     
86.
बेफिक्र तेरा हाथ पकड़ कर चली आयी हूँ मैं...
मेरा तो अब मुझमे रहा नही कुछ...
ख्वाब भी तुम्हारे अपनी आखों में भर लायी हूँ मैं..
 87.
फिर एक सफ़र...न कुछ पाने की उम्मीद...
ना कुछ खोने का डर...सिर्फ इक कोशिश का सफ़र




2 comments:


  1. कभी-कभी बाते कर लेने से...बाते सुलझ जाती है.

    सही बात !
    सभी रचनाएं बहुत भावपूर्ण ।

    दीपावली की अशेष शुभकामनाएं !

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  2. फिर एक सफ़र...न कुछ पाने की उम्मीद...
    ना कुछ खोने का डर...सिर्फ इक कोशिश का सफ़र
    प्रेम में सफ़र हमेशा सुहाना होता हैं
    http://savanxxx.blogspot.in


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