तुम्हारी उँगलियों में उलझती....
मेरी उंगलिया..
मेरी उलझनों को सुलझा रही है....
सवाल जो करती...
मेरी उंगलिया,
तो कितने ही बहाने से....
ये बहला रही है...
आज हम चुप-चाप बैठे है...
हाथो में लिये हाथ......
आज बाते हमारी उंगलिया कर रही है.....
जैसे ही डर हमारे दिल में......
बिछड़ने का उठता है.....
उंगलियों की पकड़ और,
कसती जा रही है...
हम नही बिछडेंगे....
आपस में उलझती उंगलिया.......
ये एहसास दिला रही है.......
तुम्हारी उंगलिया जो......
मेरी उंगलियों से...
कुछ कहती है....
तो वो मुस्करा कर लिपट जाती है.....
तुम्हारी उंगलियो ने की..
जो कोई शरारत तो....
मेरी उंगलिया.....
तुम्हारी उंगलियों में सिमट जाती है......
अरसे बाद मिली है....
तुमसे अफ़साने कितने सुना रही है......
अरे....ये कहा तुमने.....
मेरी उंगलियों से......कि
धड़कने मेरी थम सी गयी है...
तुम जा रहे हो....
तुम्हारी उंगलियो की पकड़ ढीली सी हुई....
कि.… बैचैनिया बढ़ सी गयी है....
मेरी उंगलिया तुमको रोकती बहुत है.....
कि ना जाओ तुमसे......
अभी बहुत कुछ कहना है...
तुम्हारी उंगलिया मुझसे.....
फिर से मिलने का वादा करके....
मुझसे जुदा होती जा रही है...........!!!
मेरी उंगलिया..
मेरी उलझनों को सुलझा रही है....
सवाल जो करती...
मेरी उंगलिया,
तो कितने ही बहाने से....
ये बहला रही है...
आज हम चुप-चाप बैठे है...
हाथो में लिये हाथ......
आज बाते हमारी उंगलिया कर रही है.....
जैसे ही डर हमारे दिल में......
बिछड़ने का उठता है.....
उंगलियों की पकड़ और,
कसती जा रही है...
हम नही बिछडेंगे....
आपस में उलझती उंगलिया.......
ये एहसास दिला रही है.......
तुम्हारी उंगलिया जो......
मेरी उंगलियों से...
कुछ कहती है....
तो वो मुस्करा कर लिपट जाती है.....
तुम्हारी उंगलियो ने की..
जो कोई शरारत तो....
मेरी उंगलिया.....
तुम्हारी उंगलियों में सिमट जाती है......
अरसे बाद मिली है....
तुमसे अफ़साने कितने सुना रही है......
अरे....ये कहा तुमने.....
मेरी उंगलियों से......कि
धड़कने मेरी थम सी गयी है...
तुम जा रहे हो....
तुम्हारी उंगलियो की पकड़ ढीली सी हुई....
कि.… बैचैनिया बढ़ सी गयी है....
मेरी उंगलिया तुमको रोकती बहुत है.....
कि ना जाओ तुमसे......
अभी बहुत कुछ कहना है...
तुम्हारी उंगलिया मुझसे.....
फिर से मिलने का वादा करके....
मुझसे जुदा होती जा रही है...........!!!
beautiful composition Sushma ji....
ReplyDeletedil ko chhu see gayee...
meri 100th post pe aapka swagat hai
http://raaz-o-niyaaz.blogspot.com/2014/09/blog-post.html
उँगलियाँ छुट जाये किसी की तो एक होंने में वक्त लगता है
ReplyDeleteबहुत ही शानदार रचना :)
पासबां-ए-जिन्दगी: हिन्दी
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावों को शब्दों में समेट कर रोचक शैली में प्रस्तुत करने का आपका ये अंदाज बहुत अच्छा लगा, शब्दों व नई कविता के प्रति आपका प्रेम सच्चा लगा.
ReplyDeleteअरे....ये कहा तुमने.....
ReplyDeleteमेरी उंगलियों से की......
धड़कने मेरी थम सी गयी है...
बहुत खुबसुरत पक्तियाँ
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (20-09-2014) को "हम बेवफ़ा तो हरगिज न थे" (चर्चा मंच 1742) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच के सभी पाठकों को
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
bahut sundar ahsaas liye rachna .....
ReplyDeleteउँगलियों के माध्यम से ट्रांसमिट होता प्रेम ...
ReplyDeleteगहरा एहसास ...
वाह, कितना कुछ कहती ये उंगलियां तुम्हारी मेरी।
ReplyDeleteउम्दा प्रस्तुति.
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर भी आइए ना ...थोड़ा अच्छा लिख लेता हूँ.
http://iwillrocknow.blogspot.in/
वाह, बिल्कुल अलग अंदाज़
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर प्रस्तुति ।मेरे पोस्ट पर आप आमंश्रित हैं।!
ReplyDelete