Sunday 7 September 2014

कुछ बिखरी पंखुड़ियां.....!!! भाग-8

         61.
हमे हर रोज इन हवाओं में भी..
तुम्हारी खुसबू का एहसास मिला है....
और तुम कहते हो....
कि हमे मिले हुए अरसा गुजर गया है...
               62.
जितना तेज......
तुम्हारी धड़कनों का शोर था...
उतनी ही गहरी.....
मेरी खामोशिया थी....
जितनी तन्हा तुम्हारी महफिले थी.....
उतनी ही तुमसे रोशन.... मेरी तन्हाईया थी...
                63.
बादलो से ढका सारा आसमां है....
सुबह से ही बरस रही है....
ये बुँदे....
न जाने अपने सीने में इतना दर्द कहाँ से लाया है....
                   64.
मैं बहुत बड़ी writter बनना चाहती हूँ.....
शर्त ये कि.....
तुम उसकी वजह बन जाओ....
                  65.
इक तुम्हारे साथ अब आसमान के तारे
गिनना भी नामुकिन नही लगता.....
इक तुम्हारे बगैर जमी पर चलना भी मुश्किल लगता है......
                    66.
अपनी उदासियों से भागती रही हूँ मैं.....
एक ख्वाब कि तलाश में....
कितनी रातो से जागती रही हूँ मैं..
                   67.
मैंने एहसासो,जज्बातो,ख्वाबो को सजाया है..
अपने शब्दो में, 
जिसने भी पढ़ा है मुझको...
तुमको ही पाया है मेरे शब्दो में.....
                  68.
मुझे क्या पता....?
प्यार क्या होता है....? 
पर हां जब भी तुमसे बात करती हूँ...
होठो पर मुस्कान.....
दिल जोर से धड़क रहा होता है.....!!!
                 69.
कुछ सोचती हूँ....
एहसासो को शब्दो में बांध कर,
तुम तक भेजती हूँ..... 
तुम पढ़ो न पढ़ो.....ये मर्जी तुम्हारी है....! 
                 70.
रिश्ता नही कोई फिर...कोई रिश्ता लगता है 
सब कुछ खो कर...
कुछ ना पाना भी अच्छा लगता है....! 

1 comment:

  1. प्यार को बाखूबी हर पल उतारा है ... इन छोटी छोटी पंक्तियाँ में ...

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