जिन्दगी की अँधेरी राहो पर
आपने ज्ञान का दीप जलाया है
जब भी हम हार कर निराश हुए है
आपने हर मुश्किल में हमें जीना सिखाया है..
जब भटके है मंजिल से अपनी
आप ने ही हमें सही राह दिखाई है
अगर हम मंजिलो को पाने के लिए
दिन रात दिये की तरह जले है
आप ने भी अपने आपको हमारे साथ जलाया है..
बहुत-बहुत धन्यवाद आपका
अपने अनुभवों का असीम ज्ञान दे कर
हमें इस दुनिया के काबिल बनाया है.....!!
ऊँ श्री गुरुवै नमः!
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति ...
ReplyDeleteगुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर चरण-वंदना ||
ReplyDeletesunder bhav.....
ReplyDeleteगुरू ही हमें सही रास्ता बताते है....
ReplyDeleteगुरू को नमस्कार....
sahi kaha aapne
ReplyDeleteguru se bada koi nahi
अति सुंदर,
ReplyDeleteसाभार,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
गुरु पूर्णिमा में आइए अपने गुरुओं क वन्दन करें!
ReplyDeleteतस्मै श्री गुरवे नमः!
ReplyDeletebalihari guru aapno jin govind diyo bataye
ReplyDeleteGuru bin likhe na stay ko
ReplyDeleteGuru bin mile na gyan...
guru srestha hai...bhut sundar likha hai aapne:)
ReplyDeleteSahi kaha apne...!
ReplyDeletejuru charano me naman....!!
गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर चरण-वंदना ||गुरु साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरुवे नमः ॥
ReplyDeleteगुरु पूर्णिमा के पवन पर्व पर हार्दिक मंगलकामनाये !!
ReplyDeleteगुरु ब्रह्मा गुरुर विष्णु: गुरुर्देवो महेश्वर: !
ReplyDeleteगुरु: साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवेनम: !!
....
ध्यान मुलं गुरुर पदम, पूजा मुलं गुरुर मूर्ति !
मन्त्र मुलं गुरुर वाक्यं, मोक्ष मुलं गुरुर कृपा !!
तस्मै श्री गुरवे नम:
ReplyDeleteगुरु पूर्णिमा के पवन पर्व पर हार्दिक शुभकामनाये
सुन्दर रचना
गुरु की महत्ता को प्रदर्शित करती शानदार पोस्ट है .........बहुत खूब|
ReplyDeleteगुरु को समर्पित आपकी रचना सराहनीय है .बधाई
ReplyDeleteगुरुदेव को समर्पित सुन्दर पोस्ट ...........इस अवसर पर लिखी गई मेरी भी पोस्ट देखें
ReplyDeleteगुरु पूर्णिमा के पवन पर्व पर हार्दिक मंगलकामनाये !!
ReplyDeleteगुरु के महत्व को प्रतिपादित करती सुंदर रचना.
ReplyDeleteगुरु पूर्णिमा के अवसर पर बहुत अच्छा लिखा है आपने.
ReplyDeleteसादर
बहुत ही आकर्षक एवं प्रभावशाली प्रस्तुति i
ReplyDeleteबस ऐसे ही चहकती-महकती रहो i
ईश्वर शुभ करे i
गुरु इस संसार ही नहीं पूरे ब्रह्मांड में सबसे ऊपर है और वह भगवान से भी ऊपर इसलिए है कि भगवान को शुद्ध अंतःकरण वाले लोग अच्छे लगते हैं तथा गुरु को पतित लोग अच्छे लगते हैं हलाकि गुरु और भगवान में कोई भेद नहीं होता क्योंकि भगवान स्वयं ही गुरु का रूप लेकर आते हैं।
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