sushma ji aaj aapke blog ko hamne ye blog achchha laga par liya hai.aap bhi aayengi to hame achchha lagega.blog ka url hai[http://yeblogachchhalaga.blogspot.com]
इक जिद है मेरी, तुम्हे जीत लेने की.. इक जिद है मेरी, तुमसे हार जाने की....!!!
... कैसे थी वो जिद तुम्हे पाने की कैसी थी जिद वो तुम्हारे पास आने की कैसी थी वो उम्मीद तुझमे समां जाने की कैसे थी वो हसरत हर अक्स में तेरा निशा पाने की ......बहुत सुन्दर ,ख्याल उस की रूह में समां जाने का ,,,,,,आभार ,,,,,
इक जिद है मेरी, तुम्हे जीत लेने की.. इक जिद है मेरी, तुमसे हार जाने की....!!!
... कैसे थी वो जिद तुम्हे पाने की कैसी थी जिद वो तुम्हारे पास आने की कैसी थी वो उम्मीद तुझमे समां जाने की कैसे थी वो हसरत हर अक्स में तेरा निशा पाने की ......बहुत सुन्दर ,ख्याल उस की रूह में समां जाने का ,,,,,,आभार ,,,,,
तुमसे हार जाने की एक जिद है मेरी । (मोहब्बत में जो हार गया वो जीत गया ,) जीत के हार जाने की जिद है मेरी । वैसे .... यहाँ जो भी आया गया हाथ मलके , मोहब्बत की राहों में चलना संभल के । कोमल भाव की ,हौसले की ,विल पावर की ,फसल है ये ... बहुत अच्छा बहावों का गुम्फन ..
aakhiri zid hi poori hoti hai aksar
ReplyDeleteइक जिद है मेरी,
ReplyDeleteतुमसे हार जाने की....!!!
bahut khoobsoorat zid hai.
shaandaar abhivyakti.
krupya mere blog par bhee aayein.
sundar prastuti,
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteइक जिद है मेरी,
ReplyDeleteतुमसे हार जाने की....!!!
Sahi kaha sushma ji ye bhi ek jid ho jati hai.bahut sundar bhavabhivyakti.
क्या कन्फ्यूजन है भाई--
ReplyDeleteचित भी मेरी पट भी मेरी ||
तुम्हे जीत लेने की और तुमसे हार जाने की.......वल्लाह.......बहुत खूबसूरत......कभी भूले-भटके हमारे ब्लॉग पर भी आयें|
ReplyDeletesushma ji aaj aapke blog ko hamne ye blog achchha laga par liya hai.aap bhi aayengi to hame achchha lagega.blog ka url hai[http://yeblogachchhalaga.blogspot.com]
ReplyDeleteज़िद तुमको जीतने की और तुमसे हारने की ...बढ़िया रचना
ReplyDeleteबहुत बढ़िया.
ReplyDeleteसादर
आदरणीय सुषमा आहुति जी,
ReplyDeleteयथायोग्य अभिवादन् ।
शानदार जिद्, खुद हार कर किसी को जीत लेने की जिद्। पाकर उसको, उसे ही भूलाने की जिद्, आपकी इस रचना में छिपी तमाम जिद् पूरी हों, कामना है ईश्वर से।
रविकुमार बाबुल
ग्वालियर
behatar rachana , jeet aur zid,sundar samanvay.
ReplyDeleteS.N.Shukla
शानदार अभिव्यक्ति। प्यार में ऐसा ही होता है।
ReplyDeleteचलो जी ये जिद ही सही , जिन्दा दिली तो है ना .
ReplyDeleteबहुत सुन्दर....
ReplyDeleteयही जिद ही तो सही मायनो में असली जिंदगी का जुनून है बिना इसके जिंदगी , जिंदगी कहाँ ?
मन को गहरे तक छू गई एक-एक पंक्ति...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर....
ये जिद ही सही..बहुत सुन्दर..
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ReplyDeleteइक जिद है मेरी,
ReplyDeleteतुमसे हार जाने की....!!!
ऐसी जिद किसी - किसी की होती है ..वर्ना सब तो जीत जाना चाहते हैं ..!
bhut khubsurat panktiya....
ReplyDeleteइक जिद है मेरी,
ReplyDeleteतुम्हे जीत लेने की..
इक जिद है मेरी,
तुमसे हार जाने की....!!!
... कैसे थी वो जिद तुम्हे पाने की
कैसी थी जिद वो तुम्हारे पास आने की
कैसी थी वो उम्मीद तुझमे समां जाने की
कैसे थी वो हसरत हर अक्स में तेरा निशा पाने की ......बहुत सुन्दर ,ख्याल उस की रूह में समां जाने का ,,,,,,आभार ,,,,,
इक जिद है मेरी,
ReplyDeleteतुम्हे जीत लेने की..
इक जिद है मेरी,
तुमसे हार जाने की....!!!
... कैसे थी वो जिद तुम्हे पाने की
कैसी थी जिद वो तुम्हारे पास आने की
कैसी थी वो उम्मीद तुझमे समां जाने की
कैसे थी वो हसरत हर अक्स में तेरा निशा पाने की ......बहुत सुन्दर ,ख्याल उस की रूह में समां जाने का ,,,,,,आभार ,,,,,
तुमसे हार जाने की एक जिद है मेरी ।
ReplyDelete(मोहब्बत में जो हार गया वो जीत गया ,)
जीत के हार जाने की जिद है मेरी ।
वैसे ....
यहाँ जो भी आया गया हाथ मलके ,
मोहब्बत की राहों में चलना संभल के ।
कोमल भाव की ,हौसले की ,विल पावर की ,फसल है ये ...
बहुत अच्छा बहावों का गुम्फन ..
जिद..खुबसूरत भाव-प्रवर रचना ..
ReplyDeleteइसे ही प्यार कहते है !
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत रचना प्रस्तुत की है आपने!
ReplyDeletezid achhi hai, meethi hai, pyaari hai....
ReplyDeletezaroor puri hogi....
यह जिद नहीं मुझे तो समर्पण सा लगता है,जिसमें अपनेपन की महक आ रही है.
ReplyDeleteभावपूर्ण अभिव्यक्ति के लिए बधाई.
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
बहुत ही प्यारी जिद, और उतनी ही प्यारी अभिव्यक्ति।
ReplyDelete------
तांत्रिक शल्य चिकित्सा!
…ये ब्लॉगिंग की ताकत है...।
khoobsurat zid hai aapkii...
ReplyDeleteye zid achchi hai shushma ji
ReplyDeletezid achchi hai shushma ji
ReplyDeleteबहुत खूब ... ये जिद्द ही है जो मुकाम तक पंहुचाती है ... अच्छी रचना है ..
ReplyDeletebahut badiya.
ReplyDeleteise haar me bhee jeet hee chipee hai.
Kitnee pyaaree rachana hai! Tumharee zid kee hee tarah!
ReplyDeleteएक जिद है मेरी सकारात्मक बने रहें की ,
ReplyDeleteआस का पल्लू थामे रहने की ,
उनका बने रहने की ,
वो माने न माने ...
क्या समर्पण है आपकी कविता में,
ReplyDeleteआभार,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteइक जिद है मेरी,
ReplyDeleteतुम्हे जीत लेने की..
इक जिद है मेरी,
तुमसे हार जाने की....!!!
वाह सुषमा जी क्या खूब जिद है आपकी ..भगवान आपकी हर जिद पूरी करें !
jaldi hi aapki jidd puri ho:)
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.