Friday 1 July 2011

इक जिद है मेरी ....!!!

इक जिद है मेरी,                         
तुम्हे पाने की..                    
इक जिद है मेरी,
तुम्हे ना भुलाने की..
इक जिद है मेरी,
तुम्हारे साथ मंजिल तक जाने की..
इक जिद है मेरी,
हर पल तुम्हारा साथ देने की...
इक जिद है मेरी,
तुम्हे जीत लेने की..
इक जिद है मेरी,
तुमसे हार जाने की....!!!

41 comments:

  1. इक जिद है मेरी,
    तुमसे हार जाने की....!!!

    bahut khoobsoorat zid hai.
    shaandaar abhivyakti.

    krupya mere blog par bhee aayein.

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  3. इक जिद है मेरी,
    तुमसे हार जाने की....!!!
    Sahi kaha sushma ji ye bhi ek jid ho jati hai.bahut sundar bhavabhivyakti.

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  4. क्या कन्फ्यूजन है भाई--
    चित भी मेरी पट भी मेरी ||

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  5. तुम्हे जीत लेने की और तुमसे हार जाने की.......वल्लाह.......बहुत खूबसूरत......कभी भूले-भटके हमारे ब्लॉग पर भी आयें|

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  6. sushma ji aaj aapke blog ko hamne ye blog achchha laga par liya hai.aap bhi aayengi to hame achchha lagega.blog ka url hai[http://yeblogachchhalaga.blogspot.com]

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  7. ज़िद तुमको जीतने की और तुमसे हारने की ...बढ़िया रचना

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  8. बहुत बढ़िया.

    सादर

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  9. आदरणीय सुषमा आहुति जी,
    यथायोग्य अभिवादन् ।

    शानदार जिद्, खुद हार कर किसी को जीत लेने की जिद्। पाकर उसको, उसे ही भूलाने की जिद्, आपकी इस रचना में छिपी तमाम जिद् पूरी हों, कामना है ईश्वर से।

    रविकुमार बाबुल
    ग्वालियर

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  10. behatar rachana , jeet aur zid,sundar samanvay.
    S.N.Shukla

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  11. शानदार अभिव्यक्ति। प्यार में ऐसा ही होता है।

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  12. चलो जी ये जिद ही सही , जिन्दा दिली तो है ना .

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  13. बहुत सुन्दर....

    यही जिद ही तो सही मायनो में असली जिंदगी का जुनून है बिना इसके जिंदगी , जिंदगी कहाँ ?

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  14. मन को गहरे तक छू गई एक-एक पंक्ति...
    बहुत सुन्दर....

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  15. ये जिद ही सही..बहुत सुन्दर..

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  17. इक जिद है मेरी,
    तुमसे हार जाने की....!!!

    ऐसी जिद किसी - किसी की होती है ..वर्ना सब तो जीत जाना चाहते हैं ..!

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  18. bhut khubsurat panktiya....

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  19. इक जिद है मेरी,
    तुम्हे जीत लेने की..
    इक जिद है मेरी,
    तुमसे हार जाने की....!!!



    ... कैसे थी वो जिद तुम्हे पाने की
    कैसी थी जिद वो तुम्हारे पास आने की
    कैसी थी वो उम्मीद तुझमे समां जाने की
    कैसे थी वो हसरत हर अक्स में तेरा निशा पाने की ......बहुत सुन्दर ,ख्याल उस की रूह में समां जाने का ,,,,,,आभार ,,,,,

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  20. इक जिद है मेरी,
    तुम्हे जीत लेने की..
    इक जिद है मेरी,
    तुमसे हार जाने की....!!!



    ... कैसे थी वो जिद तुम्हे पाने की
    कैसी थी जिद वो तुम्हारे पास आने की
    कैसी थी वो उम्मीद तुझमे समां जाने की
    कैसे थी वो हसरत हर अक्स में तेरा निशा पाने की ......बहुत सुन्दर ,ख्याल उस की रूह में समां जाने का ,,,,,,आभार ,,,,,

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  21. तुमसे हार जाने की एक जिद है मेरी ।
    (मोहब्बत में जो हार गया वो जीत गया ,)
    जीत के हार जाने की जिद है मेरी ।
    वैसे ....
    यहाँ जो भी आया गया हाथ मलके ,
    मोहब्बत की राहों में चलना संभल के ।
    कोमल भाव की ,हौसले की ,विल पावर की ,फसल है ये ...
    बहुत अच्छा बहावों का गुम्फन ..

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  22. जिद..खुबसूरत भाव-प्रवर रचना ..

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  23. इसे ही प्यार कहते है !

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  24. बहुत खूबसूरत रचना प्रस्तुत की है आपने!

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  25. zid achhi hai, meethi hai, pyaari hai....

    zaroor puri hogi....

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  26. यह जिद नहीं मुझे तो समर्पण सा लगता है,जिसमें अपनेपन की महक आ रही है.
    भावपूर्ण अभिव्यक्ति के लिए बधाई.

    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.

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  27. बहुत ही प्‍यारी जिद, और उतनी ही प्‍यारी अभिव्‍यक्ति।

    ------
    तांत्रिक शल्‍य चिकित्‍सा!
    …ये ब्‍लॉगिंग की ताकत है...।

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  28. ye zid achchi hai shushma ji

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  29. बहुत खूब ... ये जिद्द ही है जो मुकाम तक पंहुचाती है ... अच्छी रचना है ..

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  30. bahut badiya.

    ise haar me bhee jeet hee chipee hai.

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  31. Kitnee pyaaree rachana hai! Tumharee zid kee hee tarah!

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  32. एक जिद है मेरी सकारात्मक बने रहें की ,
    आस का पल्लू थामे रहने की ,
    उनका बने रहने की ,
    वो माने न माने ...

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  33. क्या समर्पण है आपकी कविता में,
    आभार,
    विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

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  34. इक जिद है मेरी,
    तुम्हे जीत लेने की..
    इक जिद है मेरी,
    तुमसे हार जाने की....!!!

    वाह सुषमा जी क्या खूब जिद है आपकी ..भगवान आपकी हर जिद पूरी करें !

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  35. बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

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