Sunday 12 June 2011

बस एक आरजू है मेरे दिल की....!!!

कभी तुम्हे देखू तो देखती रहूँ 
कभी तुम्हे सोचूं तो सोचती रहूँ 
बस एक आरजू है मेरे दिल की 
एक शाम हो तुम्हारे साथ 
तुम कहते रहो और मैं सुनती रहूँ.!

तुम्हारे ख्वाब अपनी आँखोँ में बुनती रहूँ 
बस एक आरजू है मेरे दिल की 
तुम चलो जिस राह पर 
तुम्हारे हाथो को थाम 
मैं तुम्हारे साथ चलती रहूँ.!

तुम्हारी मुश्किलो को आसान मैं करती रहूँ 
बस एक आरजू है मेरे दिल की 
तुम्हारे बिना कोई सफ़र तय
मैं न करूँ 
तुमसे शुरु हर आगाज़,हर बात 
तुम पर ही ख़त्म अंजाम करती रहूँ....!!!

43 comments:

  1. तुम्ही पे शुरु...

    तुम्ही पे खतम....

    वाह...बहुत खूब..

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  2. सुंदर कविता बधाई और शुभकामनाएं |

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  3. एक आरजू है मेरे दिल की
    एक शाम हो तुम्हारे साथ
    तुम कहते रहो और मैं सुनती रहूँ.!... aur we pal sirf mere ho jayen , waah

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  4. प्रेम में समर्पण और अधिकार का मिश्रण . सुँदर भाव प्रवण .

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  5. तुम्हारे बिना कोई सफ़र तय
    मैं न करूँ
    खूबसूरत ख़्वाहिश ...

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  6. बहुत बढ़िया.
    --------------
    आपका स्वागत है "नयी पुरानी हलचल" पर...यहाँ आपके ब्लॉग की किसी पोस्ट की कल होगी हलचल...
    नयी-पुरानी हलचल

    धन्यवाद!

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  7. बहुत सुन्दर,
    बहुत कोमल भावो को शब्द दिए है आपने

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  8. बस एक आरजू हे मेरे दिल की
    में गिर जाऊ अगर कभी तो तुम मुझे थामने आओ
    अगर डरते हो हो जामने से तो मेरे खावो में आओ
    बहुत खूब .बस मानते रहो जरुर आएंगे ...?

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  9. very romantic and full of feelings and emotions
    well written !!

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  10. mam apki ye kavita dil ko chu gayi. . Bahut pyari kavita likhi hai apne. . . . . Exam chal rahe hain isliye der se aya hun lekin durust aya hun.
    Jai hind jai bharat.

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  11. बहुत सुन्दर प्रस्तुति है.....प्रेम का इतना गहन चित्रण वही कर सकता है जिसने प्रेम को महसूस किया है ......शानदार .......ये दो गलतियाँ लगीं देख लें -
    अखो - आँखों
    मुस्किलो - मुश्किलों

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  12. बस एक आरजू है मेरे दिल की
    एक शाम हो तुम्हारे साथ
    तुम कहते रहो और मैं सुनती रहूँ....

    बहुत खूब ... प्रेम और समर्पण का रस लिए भाव लिए सुंदर रचना ...

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  13. सुषमा जी प्रेम की गहन सुन्दर गूढ़ अभिव्यक्ति और प्रस्तुति -प्यार होता ही ऐसे है हर कुछ में अपने प्रेमी की मूर्ति ही दिखती है उसी से शुरू उसी पे ख़तम --

    बस एक आरजू है मेरे दिल की
    तुम्हारे बिना कोई सफ़र तय
    मैं न करूँ
    बधाई हो
    आइये अपने सुझाव व् समर्थन के साथ भ्रमर का दर्द और दर्पण में भी
    शुक्ल भ्रमर५

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  14. बस एक आरजू है मेरे दिल की
    एक शाम हो तुम्हारे साथ
    तुम कहते रहो और मैं सुनती रहूँ.!
    बुहत सुन्दर
    कभी हमारे ब्लॉग पर भी अपना आगमन करे
    vikasgarg23.blogspot.com

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  15. बस एक आरजू है मेरे दिल की
    तुम्हारे बिना कोई सफ़र तय
    मैं न करूँ

    बहुत बढ़िया रचना, बधाई और शुभकामनाएं |

    - विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

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  16. साथ निभाने की खूबसूरत आरज़ू..... बहुत सुंदर .

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  17. बहुत खूबसूरत आरज़ू ..प्यारी सी रचना

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  18. बहुत ही कोमल भावनाओं में रची-बसी खूबसूरत रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई।

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  19. आगाज का अंदाज गजब का .. बहुत सुन्दर

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  20. sushma ji
    bahut hi achhi lagi yah prem bhari abhilashhha.
    har pankti dil ko chhooti hai.
    badhai
    poonam

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  21. तुम्हारे ख्वाब अपनी आँखोँ में बुनती रहूँ
    बस एक आरजू है मेरे दिल की
    तुम चलो जिस राह पर
    तुम्हारे हाथो को थाम
    मैं तुम्हारे साथ चलती रहूँ.!bahut payari rachana....jitni payari aap khud hai utni hi payari har bar aapki abhibaykti hoti hai.....

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  22. I AM Deepak Verma..... THis poem is Really very sweet and touch to my heart
    Thanks for writing

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  23. बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति.

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  24. बहुत बढ़िया

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  25. this is a true affection. Nice poetry.

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  26. आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें
    चर्चा मंच{16-6-2011}

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  27. बहुत खूब |
    और "कुछ" की गुंजाइस
    ही नहीं छोड़ी आपने|

    आशीर्वाद ||

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  28. बहुत सुन्दर प्रेममयी प्रस्तुति..

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  29. बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति.....

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  30. लिखती रहें..प्रेम कविताओं तक ले जाता है..आप करीब हैं....

    सादर

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  31. इतने प्यारे से भाव .... सच दिल को छू गये .....

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  32. मेरी हर लफ्जो जो सुनती रही,
    जो मैं कह न सका वो भी समझती रही,
    जो दर्द मैं सम्हाल न सका,
    तुमको बताता रहा, तुम सहती रही.

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  33. सुन्‍दर भावमय करती शब्‍द रचना ।

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  34. सुन्दर प्रेममयी प्रस्तुति......

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  35. तुमसे शुरु हर आगाज़,हर बात
    तुम पर ही ख़त्म अंजाम करती रहूँ....!!!

    ---एक यक्ष प्रश्न है "क्यों ...." पुरुष प्रायः यह बात नहीं कहता...

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  36. Bahut pyari rachana .shubhkamana

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  37. बहुत ही अच्छा लिखा है।


    सादर

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  38. प्रेम की पराकाष्ठा है ये...
    बहुत सुन्दर...

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  39. बहूत हि कोमल भाव है ..
    आपकी हर रचना दिल को छु लेनेवाली है
    आपके ब्लॉग पर आकर तो मै एकदम भावूक हो जाती हु ..
    बहूत हि सुंदर लिखति है आप

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