ये ठण्डी हवाये ये बारिश की बूँदे
जरा देखा इन्हे गौर से तो,
इनमे अक्स तुम्हारा दिखने लगा...!
इन हवाओ के साथ,
तुम्हारे साथ बीती हुई अनछुई यादो का सिलसिला ,
बनके खुशबू मेरी सांसो मे घुलने लगा....!
इन बूँदो का स्पर्श,
तुम्हारे प्यार का अहसास दिलाने लगी,
इक पल मुझे यूँ लगा कि
ये मौसम,ये फुहार
भावनाओं की खूबसूरती शब्दों में देखते ही बन रही है.
ReplyDeleteबेहतरीन कविता है.
सादर
जरा देखा इन्हे गौर से तो,
ReplyDeleteइनमे अक्स तुम्हारा दिखने लगा...!
ऐसा ही होता है
her nanhin nahin bunden kuch kah jati hain kaanon me.......
ReplyDeletebhavnaon ke sundar abhivyakti.
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत एहसास को समेटे अच्छी रचना ...
ReplyDeleteशिलशिला को सिलसिला कर लें
baarish ki to bund bund mein romance racha basa hota hai..
ReplyDeletebahut khoob..
खूबसूरत कविता....
ReplyDeletebeautifully written.
ReplyDeleteखूबसूरत कविता....
ReplyDeleteNO TEN UPASTHIT HAI MAM. . . . BAHUT PYARI LAGI APKI YE KAVITA. .
ReplyDeleteJAI HIND JAI BHARAT
superb one
ReplyDeletei really like this poem
check out mine blog also
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बहुत खुबसूरत अहसास .....प्यार में भीगे हुए.....सुभानाल्लाह |
ReplyDeleteकल 21/06/2011को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की गयी है-
ReplyDeleteआपके विचारों का स्वागत है .
धन्यवाद
नयी-पुरानी हलचल
bhav poorn kavita
ReplyDeleteमुझे तुमसे मिलाने लगी...!
ReplyDeleteबहुत सुंदर भाव और अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteपहली बार आपके ब्लॉग पर हूं अच्छा लगा....आप भी आइए....
great thought. congratulation.
ReplyDelete.मन की तड़प और बेचैनी को इससे बेहतर अंदाज़ में व्यक्त करना मुश्किल है.
ReplyDeleteसुँदर भावपूर्ण कविता .
ReplyDeleteभावपूर्ण अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteआदरणीय सुषमा आहुति जी,
ReplyDeleteयथायोग्य अभिवादन् ।
बीते साथ को जब वक्त याद बनाकर अनछुआ बनाये रखने की जुर्रत जुटाये रखता है, तब निश्चित वह खुशबू सांसों में घुलती ही है? और बारिश में इसकी सौंधी महक सभी पढ़ लेते हैं। कामना है, अक्स यकीन में बदले।
रविकुमार बाबुल
ग्वालियर
बारिश की बूंदे और उनका एहसास ... रूमानी बना दिया है रचना को ..
ReplyDeleteये मौसम,ये फुहार
ReplyDeleteमुझे तुमसे मिलाने लगी...!भावपूर्ण कविता ...
bahut sundar ..hardik badhai ....
ReplyDeletepyar ke ehsaso se labrez rachna.
ReplyDeleteइन हवाओ के साथ,
ReplyDeleteतुम्हारे साथ बीती हुई अनछुई यादो का सिलसिला ,
बनके खुशबू मेरी सांसो मे घुलने लगा....!
kyaa baat hai....
baarish ki bundon jaisi suhaani rimjhim rimjhim barastee rachna...
बारिश की बुंदों में सिमटी ताजगी लिए एक खुबसुरत रचना।
ReplyDeleteबहुत सुंदर अहसास मुबारक हो ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना| धन्यवाद|
ReplyDeleteसावन की एक खूबी है....पिछली बातों को धो-पोंछ कर हमारे सामने लाकर खडा कर देता है ....इस खूबी को सुन्दर तरीके से प्रस्तुत किया है...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना,
ReplyDeleteआभार- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
सुन्दर भाव की प्रस्तुति
ReplyDeleteसादर
श्यामल सुमन
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ये ठण्डी हवाये ये बारिश की बूँदे
ReplyDeleteसुषमा जी बहुत सुन्दर रचना प्यार के रंग में सराबोर
मै तो इसे कुछ इस तरह गाने गुनगुनाने लगा -कैसा लगा ???
गौर फ़रमाया आँखें बरसने लगीं
छंटे बादल वो काले
दिल के धड़कन की यादें
अक्स इनमें तुम्हारा वो दिखने लगा...!
शुक्ल भ्रमर ५
मन करता है दर्द से बचने दुनिया से कही और चला मै जाऊं
ये ठण्डी हवाये ये बारिश की बूँदे
ReplyDeleteजरा देखा इन्हे गौर से तो,
इनमे अक्स तुम्हारा दिखने लगा
वो छोटी-2 बारिश की बूंदे मुझे अहसाश तुम्हारा दिलाने लगी
जब पलट कर देखा तो बस खामोश रास्ता था जो फिर मुझे मेरे आसुओ की बारिश में भीगने लगा ...... ... बहुत सुन्दर,,,,
इन हवाओ के साथ,
ReplyDeleteतुम्हारे साथ बीती हुई अनछुई यादो का सिलसिला
Vah! Bahut badhiya!
बहुत प्यारी भाव पूर्ण रचना
ReplyDeleteआशा
Barish ki boondein aisi hi hoti hain,
ReplyDeletekabhi chehre pe hansti hain,
aur kabhi aankhon se roti hain....
भावपूर्ण रचना.
ReplyDeleteजरा देखा इन्हे गौर से तो,
ReplyDeleteइनमे अक्स तुम्हारा दिखने लगा...!
लाली मेरे लाल की जित देखूं तित लाल ... समर्पण भाव में डूबी बेहतरीन रचना
accha likha hai susma my blog link- "samrat bundelkhand"
ReplyDeleteमन के आंचल को भिगा गयीं ये मधुर काव्य की लघु बूंदें।
ReplyDelete---------
रहस्यम आग...
ब्लॉग-मैन हैं पाबला जी...
khubsurat barish ki bunden..........:)
ReplyDeleteबारिश में भीगने का एहसास करा गयी ........ शुभकामनायें !
ReplyDeleteइन हवाओ के साथ,
ReplyDeleteतुम्हारे साथ बीती हुई अनछुई यादो का सिलसिला ,
बनके खुशबू मेरी सांसो मे घुलने लगा....!
भावुक...
सुन्दर...
मर्मस्पर्शी भावाभिव्यक्ति....
खूबसूरत और नाजुक एहसासों को बखूबी समेत दिया है शब्दों में,वाह!!!!!!
ReplyDeleteअति सुंदर, दिल की गहराई छूने वाली रचना है
ReplyDeleteyaden aise hi bahanon se bar bar hamare samaksh prastut ho jati hain .bahut sundar rachna .
ReplyDeleteAnchhuye bhavo ko shabd deti sundar kavita
ReplyDeleteइन हवाओ के साथ,
ReplyDeleteतुम्हारे साथ बीती हुई अनछुई यादो का सिलसिला ,
बनके खुशबू मेरी सांसो मे घुलने लगा..
dusri baar padhee, fir bhi achhi lagi.....
very nice poem................
ReplyDeleteits really cool.
very sentimental..............something beyond word.............well tied
सुषमाजी, आज दुबारा आपकी कविता पढ़ी और बिना कमेंट के जा नहीं सका। सचमुच बहुत अच्छा लिखा है आपने।
ReplyDeleteबधाई।
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विलुप्त हो जाएगा इंसान?
कहाँ ले जाएगी, ये लड़कों की चाहत?
preet me bheege bheege bhavo kee sunder abhivykti.
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