Saturday 6 August 2011

जिनको ढूंढ़ रही हूँ....!!!


बिखर गयी हूँ ऐसे,                               
फिर से बिखरे टुकड़ों को जोड़ रही हूँ 
खो गयी अपने बचपन में,
अपने बिछड़ी सखियों को ढूंढ़ रही हूँ...


क्या खेलोगी मेरी साथ, 
मैं उनसे पूछ रही हूँ  
वो मुझको मना रही है,
मैं उनसे रूठ रही हूँ..


उस लुका-छिपी के खेल में,
सब सखिया छिप गयी थी कही,
मैं आज भी दुनिया की भीड़ में,
जिनको  ढूंढ़ रही हूँ... 

56 comments:

  1. बहुत उम्दा, भावात्मक प्रस्तुति...बधाई

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  2. जिनको ढूंढ़ रही हूँ...||

    bachpan ke khel niraale mere bhaiya ||

    sakhi-saheliyan kaise na yaad aayen ||

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  3. Wah..
    kitna apna pan hi poem me.
    sach kam unhe umra bhar to dhundhate hi dunika ki bhid me...!

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  4. उस लुका-छिपी के खेल में,
    सब सखिया गयी छिप गयी थी कही,
    मैं आज भी दुनिया की भीड़ में,
    जिनको ढूंढ़ रही हूँ...
    bahut khoob mam

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  5. वाह!
    दुनिया की भीड़ मे नहीं कोशिश कीजिये आपकी वो बिछुड़ी हुई सखियाँ फेसबुक पर ही कहीं होंगी। :)

    बहुत ही अच्छी कविता रची है।


    सादर

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  6. दोस्ती के सुनहरे गीत के साथ शानदार पोस्ट . ये दुनिया छोटी है और जिन्दगी बहुत लम्बी है . बिछड़े दोस्त तो फिर से मिल ही जायेंगे . फ्रेंडशिप डे की शुभकामनाये .

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  7. बिखर गयी हूँ ऐसे,
    फिर से बिखरे टुकड़ों को जोड़ रही हूँ
    खो गयी अपने बचपन में
    अपने बिछड़ी सखियों को ढूंढ़ रही हूँ.
    .बहुत सुन्दर मासूम रचना...हैपी फैन्डेशिप डे....

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  8. bahut achhi rachna hai. Bachpan bitne ke baad sakha aur sakhiyan aksar yaad aate hain.

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  9. ye to zindgi ki reet hai. kuch purane log juda hote hai to kuch naye log milte hai.

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  10. बहुत अच्छी लगी यह भाव पूर्ण कविता।

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  11. Bahut hi pyari rachna likhi hai mam apne.
    Jai hind jai bharatBahut hi pyari rachna likhi hai mam apne.
    Jai hind jai bharat

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  12. बहुत सुंदर रचना ! लाजवाब प्रस्तुती!

    आपके पास दोस्तो का ख़ज़ाना है,
    पर ये दोस्त आपका पुराना है,
    इस दोस्त को भुला ना देना कभी,
    क्यू की ये दोस्त आपकी दोस्ती का दीवाना है

    ⁀‵⁀) ✫ ✫ ✫.
    `⋎´✫¸.•°*”˜˜”*°•✫
    ..✫¸.•°*”˜˜”*°•.✫
    ☻/ღ˚ •。* ˚ ˚✰˚ ˛★* 。 ღ˛° 。* °♥ ˚ • ★ *˚ .ღ 。.................
    /▌*˛˚ღ •˚HAPPY FRIENDSHIP DAY MY FRENDS ˚ ✰* ★
    / .. ˚. ★ ˛ ˚ ✰。˚ ˚ღ。* ˛˚ 。✰˚* ˚ ★ღ

    !!मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाये!!

    फ्रेंडशिप डे स्पेशल पोस्ट पर आपका स्वागत है!
    मित्रता एक वरदान

    शुभकामनायें

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  13. खूबसूरत भावाभिव्यक्ति.
    A real friend is he who gives his shoulder to lean upon in sorrow.

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  14. आपकी यह सुन्दर प्रविष्टि कल दिनांक- 08-08-2011 सोमवार के चर्चा मंच पर भी होगी, सूचनार्थ

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  15. vkt ki bat hai ykeen maniye vo bhi khin n khi aise hi aapko bhi khooj rhi hongi

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  16. too gud dear
    Wish you a very happy friendship day .........

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  17. masoom si rachna....achhi lagi...


    humara bhi hausla badhaaye:
    http://teri-galatfahmi.blogspot.com/

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  18. प्रिय सुषमा जी
    सस्नेहाभिवादन !

    आपने हमेशा निर्मल हृदय की कोमल भावनाएं अपनी रचना के माध्यम से व्यक्त की हैं -
    सब सखियां छिप गयी थी कही,
    मैं आज भी दुनिया की भीड़ में,
    जिनको ढूंढ़ रही हूं…

    … और मुझे विश्वास है आप उन्हें पा लेंगी
    कहा भी है जिन ढूंढ़ा तिन पाइया … :)

    … और महात्मा कबीर तो कह गए हैं मो'को कहां ढूंढ़े रे बंदे , मैं तो तेरे पास में
    आपके प्रिय , जो सचमुच आपके प्रिय हैं कभी दूर होते नहीं …आपके पास ही होते हैं :))

    सुंदर रचना हेतु साधुवाद ! आभार ! बधाई !

    मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ


    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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  19. क्या खेलोगी मेरी साथ,
    मैं उनसे पूछ रही हूँ
    वो मुझको मना रही है,
    मैं उनसे रूठ रही हूँ..
    kitana sneha liye aakrshan .... prabhavi srijan ....shukriya ji .

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  20. bachpan ke dosto se ek bar fir doti karne ka ji chahata hai.....apni nam aankho se unke yaadon me dubne ko ji chahata hai......bahut sundar likha hai aapne...ati uttam

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  21. bahut bhaav poorn prastuti.aapko bhi mitrta divas ki badhaai.pahli baar aai hoon bahut sunder blog hai.musical...vaah.apne blog par bhi aamantrit karti hoon.

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  22. बहुत उम्दा, भावात्मक प्रस्तुति...बधाई

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  23. बहुत उम्दा प्रस्तुति ......

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  24. बहुत ही भावपूर्ण और सुंदर ...

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  25. अतीत की याद दिलाती ये पोस्ट शानदार है |

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  26. वाह! वाह! खूबसूरत अभिव्यक्ति...
    मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं..
    सादर...

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  27. bachpan ki sakhiyon ko dhundti friendship day per sunder prastuti badhaai aapko.
    happy friendship day.

    "ब्लोगर्स मीट वीकली {३}" के मंच पर सभी ब्लोगर्स को जोड़ने के लिए एक प्रयास किया गया है /आप वहां आइये और अपने विचारों से हमें अवगत कराइये/हमारी कामना है कि आप हिंदी की सेवा यूं ही करते रहें। सोमवार ०८/०८/११ को
    ब्लॉगर्स मीट वीकली में आप सादर आमंत्रित हैं।

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  28. उस लुका-छिपी के खेल में,
    सब सखिया छिप गयी थी कही,
    मैं आज भी दुनिया की भीड़ में,
    जिनको ढूंढ़ रही हूँ...
    kitna sundar likha hai ,wo din phir aaye .

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  29. बहुत खूब .......

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  30. बहुत सुंदर..... मित्रता दिवस पर सुंदर प्रस्तुति....शुभकामनायें

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  31. बहुत सुन्दर...अच्छा लगा पढ़कर.

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  32. कम शब्दों में गज़ब की अभिव्यक्ति.मानवीय संवेदनाओं की सुंदर प्रस्तुति. हमें भी याद आया अपना बचपन .

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  33. उस लुका-छिपी के खेल में,
    सब सखिया छिप गयी थी कही,
    मैं आज भी दुनिया की भीड़ में,
    जिनको ढूंढ़ रही हूँ...

    बहुत सुंदर.
    विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

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  34. बहुत ही सुंदर कविता बधाई और शुभकामनायें

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  35. बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !
    हार्दिक शुभकामनायें !

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  36. I wish ki aapki sakhiyaan jaldi hi mil jaaen...
    meri bhi kuch sakhiyaan kho gaee hain, kuch mili par kuch abhi bhi nahi mili hain... :(
    bas unhi ko khoj rahi hu...

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  37. bahut sundar rachna, aabhar.

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  38. bahut sundar rachna...mere blog par aane ke liye shukriya..

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  39. अति सुंदर, साधुवाद

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  40. ह्रदय की वेदना को स्वर और शब्द देती रचना...
    बचपन........ भुलाने से भी नहीं भूलता

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  41. कल 12/08/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  42. क्या बात है जैसे बचपन आ गया हो...बहुत सुंदर कविता है

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  43. आपका सुन्दर लेखन दिल को छूता है.
    नयी पुरानी हलचल से आपकी पोस्ट का लिंक मिला.
    सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
    देश भक्ति से पूर्ण सुन्दर धुन सुनवाने के लिए भी आभार.
    रक्षा बंधन के पावन पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएँ.

    मेरे ब्लॉग को न भूलिएगा.आपका इंतजार है.

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  44. सुषमा जी बहुत सुन्दर रचना ..दुवा है की जिसे आप ढूंढ रही है जल्दी मिले ये बचपन की सखी सहेली दिल में छाई रहती हैं -
    सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा ... देश गान सुन के मन हँस पड़ा -देवी की कृपा से आनंद आ गया
    शुक्ल भ्रमर ५

    क्या खेलोगी मेरी साथ,
    मैं उनसे पूछ रही हूँ

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  45. क्या खेलोगी मेरे साथ कर दीजिये

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  46. बहुत लाजवाब रचना ... उन पलों को सभी ढूंढ रहे अहिं बचपन के वो पल जो खो गएर हैं कहीं ...

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  47. bahut acche se bhav spasht ho kar saamne aaye....

    sach sabdoorho jate hain..waqt ke sath sath ye badlaav bhi na....

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