तुम्हे याद है.....यूँ ही इक दिन चलते-चलते रस्ते में
एक बूढी भिखारिन बैठी
थी.......और तुमने कुछ पैसे दिए थे.....
तुम्हे पता है......ना जाने क्यों तब से......
आज तक मैं
जब भी उस राह से गुजरती हूँ.....उस बूढी भिखारिन को पैसे देने के लिए मेरे हाथ
अपने आप आगे बढ़ जाते है ....पता नही कब मैं तुम बन जाती हूँ....कब तुम्हारी पसंद
मेरी हो गयी....
जब से तुमसे मिली हूँ मैं खुद में तुमको जीने लगी हूँ.........
आहुति
मोहब्बत जो करवाए कम....
ReplyDelete:-)
कोमल भावाव्यक्ति....
अनु
संगमरमर की तरह साफ़ मुहब्बत हो अगर,
ReplyDeleteएक दिन ताजमहल बनके दिखा देती है ,,,,,,,
RECENT POST शहीदों की याद में,
वाह!
ReplyDeleteआपकी यह प्रविष्टि कल दिनांक 04-02-2013 को चर्चामंच-1145 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
बढिया
ReplyDeleteबहुत बढिया
खूबसूरत एहसास ....
ReplyDeleteसुन्दर ख्याल |
ReplyDeleteTamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
bahut hi sundar aur komal abhivyakti,(NEW POST-KARUGI MOHABBT MAGAR DHIRE DHIRE)
ReplyDeleteसहानुभूति बहुत स्वाभाविक है!
ReplyDeleteप्रभावी प्रस्तुति |
ReplyDeleteशुभकामनायें आदरेया ||
sundar khat....
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ReplyDeleteये इश्क है ये इश्क है तू मुझमे है मैं तुझमे हूँ .बढ़िया प्रस्तुति .
Nice one. Good presentation.
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत भाव लिए ङुई है इस ख़त की पंक्तियां :)
ReplyDelete.पता नही कब मैं तुम बन जाती हू....
ReplyDeleteजब मन हर वक्त किसी के साथ हो किसी का तो
ऐसा ही होता है .... खूबसूरत एहसास
ek saral sa ehsas.....
ReplyDeleteजब किसी से प्यार हो तो उसकी हर बात हमें भी अच्छी लगने लगती है...
ReplyDeleteकोमल अहसास....
:-)
सुन्दर ख्याल
ReplyDeleteवाह!
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