Sunday, 3 February 2013

तीसरा ख़त........ Valentine sepical........

तुम्हे याद है.....यूँ ही इक दिन चलते-चलते रस्ते में 
एक बूढी भिखारिन बैठी थी.......और तुमने कुछ पैसे दिए थे.....
तुम्हे पता है......ना जाने क्यों तब से......
आज तक मैं जब भी उस राह से गुजरती हूँ.....उस बूढी भिखारिन को पैसे देने के लिए मेरे हाथ अपने आप आगे बढ़ जाते है ....पता नही कब मैं तुम बन जाती हूँ....कब तुम्हारी पसंद मेरी हो गयी....
जब से तुमसे मिली हूँ मैं खुद में तुमको जीने लगी हूँ.........
                                                                                      आहुति 

                                               
                                                         

18 comments:

  1. मोहब्बत जो करवाए कम....
    :-)
    कोमल भावाव्यक्ति....

    अनु

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  2. संगमरमर की तरह साफ़ मुहब्बत हो अगर,
    एक दिन ताजमहल बनके दिखा देती है ,,,,,,,

    RECENT POST शहीदों की याद में,

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  3. वाह!
    आपकी यह प्रविष्टि कल दिनांक 04-02-2013 को चर्चामंच-1145 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

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  4. bahut hi sundar aur komal abhivyakti,(NEW POST-KARUGI MOHABBT MAGAR DHIRE DHIRE)

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  5. सहानुभूति बहुत स्वाभाविक है!

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  6. प्रभावी प्रस्तुति |
    शुभकामनायें आदरेया ||

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  7. ये इश्क है ये इश्क है तू मुझमे है मैं तुझमे हूँ .बढ़िया प्रस्तुति .

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  8. बहुत खुबसूरत भाव लिए ङुई है इस ख़त की पंक्तियां :)

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  9. .पता नही कब मैं तुम बन जाती हू....
    जब मन हर वक्‍त किसी के साथ हो किसी का तो
    ऐसा ही होता है .... खूबसूरत एहसास

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  10. जब किसी से प्यार हो तो उसकी हर बात हमें भी अच्छी लगने लगती है...
    कोमल अहसास....
    :-)

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  11. सुन्दर ख्याल

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