Wednesday 13 February 2013

बारवां ख़त .......Valentine special..........

जब भी मुझे लगता है तुम्हे कि तुम्हे पा है ......तभी  मेरे हाथो कि लकीरों से तुम खो से जाते हो .......चाहे कुछ मुझे यकीन है...........गर तुम मेरे तो हाथों को थाम लो..........तो हाथों की लकीरों का क्या करना..........
मैं नही जानती कि कल क्या होगा..........पर मैं जरुर जानती हूँ कि मेरे आज सिर्फ तुम्हारे साथ है.......कहते कुछ तो जरुर होना होता है.......
नही तो यूँ ही किसी से मुलाकात नही होती................मुझे भी यकीन है आज नही तो कल तुम भी मुझ पर यकीन कर लोगे..............और 
मेरे साथ होगे......क्यों कि कोई रिश्ता हालत या वक़्त का मोहताज नही होता........................!!!
                                                                                                                                                                                                                                              आहुति

2 comments:

  1. बहुत बढ़िया सृंखला-
    बधाई आदरेया -

    नखत गगन पर दिख रहे, गुजर गई बरसात |
    लिखी आज ही सात-ख़त, खता कर रही बात |
    खता कर रही बात, लिखाती ख़त ही जाती |
    बीते जब भी रात, बुझे आशा की बाती |
    आओ हे घनश्याम, चुके अब स्याही रविकर |
    हुई अनोखी भोर, चुके अब नखत गगन पर ||

    ReplyDelete
  2. सुन्दर प्रस्तुति...
    प्यार पाने को दुनिया में तरसे सभी, प्यार पाकर के हर्षित हुए हैं सभी
    प्यार से मिट गए सारे शिकबे गले ,प्यारी बातों पर हमको ऐतबार है

    प्यार के गीत जब गुनगुनाओगे तुम ,उस पल खार से प्यार पाओगे तुम
    प्यार दौलत से मिलता नहीं है कभी ,प्यार पर हर किसी का अधिकार है

    ReplyDelete