Saturday, 9 February 2013

नवां ख़त .......Valentine special..........


आज जब मैं मंदिर की सीढियाँ चढ़ रही थी......
तो तुम भी मेरे साथ हर एक कदम मेरे साथ चल रहे थे......
मैने भगवान् से तुम्हारी तरफ इशारा करते हुए कहा......
कि ये जो मेरे साथ मुझमे तुम्हारे दर तक चला आया है......
बस इसी के साथ मेरे जीवन की डोर बांध दीजिये......
और इसकी जितनी भी तकलीफे मुझे दे दीजिये......
तब तुम भी भगवान् से यही कह रहे थे.......
की मैं जो मांग रही हूँ.........वो मुझे मिल जाए.......
हम दोनों की दुआ सुनकर.....भगवान् भी मुस्करा रहे थे.......
हम दोनों जब एक-दुसरे के लिए दुआ कर रहे थे...........
तब वो भी हमारी तकदीरे मिला रहे थे..............!!!
                                                                  आहुति 
                                                                           
                                                                       
                                                     

4 comments:

  1. आज जब मैं मंदिर की सीढियाँ चढ़ रही थी......
    तो तुम भी मेरे साथ हर एक कदम मेरे साथ चल रहे थे......
    मैने भगवान् से तुम्हारी तरफ इशारा करते हुए कहा......
    कि ये जो मेरे साथ मुझमे तुम्हारे दर तक चला आया है......
    बस इसी के साथ मेरे जीवन की डोर बांध दीजिये

    बहुत ही खुबसूरत चाहत जहां निष्ठा समर्पण की इन्तहां ...

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  2. दुआ से बढ़ कर कुछ नहीं होता।
    खूबसूरत मर्मस्पर्शी एहसास!


    सादर

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  3. बहुत सच्चा प्रेम लगता है ....सुन्दर अभिव्यक्ति

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