वो मेरे हाथो पर अचानक से, तुम्हारा हाथ रख देना....
और मेरा एकदम से डर कर अपना हाथ हटा लेना........!!
और फिर तुम्हारा मुस्करा कर चल देना....... वो लम्हा तो बीत गया... पर उस लम्हे में, मैं आज भी जी रही हूँ.........!!
आज भी जब मैं तन्हा कहीं चल रही होती हूँ.......
विश्वास को किसी की नज़र ना लगे .....।
ReplyDelete<3 <3
ReplyDeleteउस लम्हे में, मैं आज भी जी रही हूँ.........!!
ReplyDelete... सच कहती पंक्तियां
आमीन ... इस एहसास में जीना ... बहुत खूब ...
ReplyDeleteतुम न जाने कहाँ से आकर .
ReplyDeleteचुपके से मेरा हाथ थाम लेते हो.
मैं गिर न जाऊं..
मैं तन्हा न रहूं किसी मोड़ पर.
तुम यूँ ही मेरे हाथो को थाम कर चलना .
गजब का विश्वास और अद्भुत प्रेम की पराकाष्ठा ....
sundar Abhivyakti....
ReplyDeletehttp://ehsaasmere.blogspot.in/2013/02/blog-post.html
Nice one.
ReplyDeleteये दोष मेरे भाग्य का या वक़्त की साजिश कहें
हम प्यार जिनसे कर रहे बे दूर हमसे रह रहे
देखा तो होती है सुबह , ना पा सके तो रात है
कल तलक जो बश में था ना आज अपने हाथ है
वैलेंटाइन की खुशबू में लिपटे ख़त यूँ ही लिखे जायेंगे - तुम पढो या न पढो
ReplyDeleteज़ारी रखे ......सादर
ReplyDeleteवाह!वाह!वाह!वाह!वाह!
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