Wednesday, 6 February 2013

पाँचवा ख़त...........Valentine Special...


न जाने कब.... यूँ साथ चलते चलते मैंने तुम्हारे कंधे पर अपना सर रख दिया था....तुमने कुछ नही कहा कभी, 
 फिर भी एक यकीं.. एक खुबसूरत अहसास....! 
जो पहली बार महसूस किया था....तुमने  इस  तरह मुझे संभाला था.....
कि  मैं बेफ़िक्र  हो कर  तुम्हारे कंधे पर सर रख कर सो गयी थी.... 
मैंने अपने घर के बाद अगर कही खुद को सबसे ज्यादा महफूज समझा......... तो वो तुम्हारे साथ महसूस किया....!! 
ख्याल तो मैंने बहुत  देखे थे,  पर तुम्हारे साथ ख्याल भी  हकीकत लग रहे थे .........!!!!!                                                                               
                                                                                                  

                                                                                   आहुति                      

                                          




6 comments:

  1. तुमने कुछ नही कहा कभी,
    फिर भी एक यकीं.. एक खुबसूरत अहसास....! ...................
    Latest postअनुभूति : चाल ,चलन, चरित्र (दूसरा भाग )

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  2. ख्याल तो मैंने बहुत देखे थे, पर तुम्हारे साथ ख्याल भी हकीकत लग रहे थे .... उनका साथ हो तो ख्याल भी हकीक़त बन जाते हैं... बहुत खूबसूरत अहसास

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  3. हर ख़त दिल का आईना.
    सुन्दर !!

    अनु












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  4. पर तुम्हारे साथ ख्याल भी हकीकत लग रहे थे .........!!!!!
    बिल्‍कुल सच

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  5. superb.


    अपना दिल कभी था जो, हुआ है आज बेगाना
    आकर के यूँ चुपके से, मेरे दिल में जगह पाना
    दुनियां में तो अक्सर ही ,संभल कर लोग गिर जाते
    मगर उनकी ये आदत है की गिरकर भी सभल जाना

    आकर पास मेरे फिर धीरे से यूँ मुस्काना
    पाकर पास मुझको फिर धीरे धीरे शरमाना
    देखा तो मिली नजरें फिर नजरो का झुका जाना
    ये उनकी ही अदाए हैं मुश्किल है कहीं पाना

    जो बाते रहती दिल में है ,जुबां पर भी नहीं लाना
    बो लम्बी झुल्फ रेशम सी और नागिन सा लहर खाना
    बो नीली झील सी आँखों में दुनियां का नजर आना
    बताओ तुम कि दे दूँ क्या ,अपनी नजरो को मैं नज़राना ......

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  6. बहुत खूबसूरत

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