Wednesday 9 March 2011

यादे....!!!

यादे कुछ खुबसूरत लम्हों की साथ रहती है,
वो यादे अपनी जिंदगी की कही पीछे छोड़ आये है.!

वो लम्हे जब कुछ जायदा नही,
थोड़े में ही खुश हो जाया करते थे...!
दोस्तों के साथ बैठे तो कभी बाते खत्म न होती थी,
दिन गुजर जाया करते थे..!
न डर था कुछ खोने का,
सिर्फ विश्वास था दूर आंसमा में उड़ जाने का..!

हर रोज़ खुली आखो में एक नया सपना सजाया करते थे,
कही देखते आंसमा में टूटते तारे को आखे बंद करके मेरा सपना पूरा हो जाये,ये दुआ माँगा करते थे..!

पर जैसे- जैसे मंजिल की तलाश में आगे बढे,
वो लम्हे खुशियों के,वो बाते सखियों की,कही छुट गयी..!
हर कड़ी उन सपनो की आखो में टूट गयी..!

नही पता था जिस तारे से हम अपने सपने को पूरा करने की दुआ कर रहे थे,
वो खुद किसी का सपना बन कर टूट रहा है,
हम आगे बड़े जा रहे है जाने किस मंजिल की तलाश में,ये जानते हुए की पीछे कही कुछ छुट रहा है....!!


13 comments:

  1. hiii.....very nice.....
    kash hm bachhe hi hote.......

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  2. very nice poem
    please contact me at
    aprnatripathi@gmail.com

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  3. बहुत सुंदर रचना.... अंतिम पंक्तियों ने मन मोह लिया...

    sanjay bhaskar
    sanjay.kumar940@gmail.com

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  4. Nhi aati, to barso tak nhi aati
    magar jab yaad aate hai,vo pal to bhut yaad aate hai..!!!
    very nice

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  5. नही पता था जिस तारे से हम अपने सपने को पूरा करने की दुआ कर रहे थे,
    वो खुद किसी का सपना बन कर टूट रहा है,

    सच्चाई को कहती सुन्दर रचना

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  6. बहुत ही भावपूर्ण रचना बधाई

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  7. नही पता था जिस तारे से हम अपने सपने को पूरा करने की दुआ कर रहे थे,
    वो खुद किसी का सपना बन कर टूट रहा है,bahut khoobsurat...

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  8. नही पता था जिस तारे से हम अपने सपने को पूरा करने की दुआ कर रहे थे,
    वो खुद किसी का सपना बन कर टूट रहा है,
    हम आगे बड़े जा रहे है जाने किस मंजिल की तलाश में,ये जानते हुए की पीछे कही कुछ छुट रहा है....!!

    बहुत सुंदर...

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  9. touching....
    A toast those memories never faint !!!
    Thanks for sharing !!!

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