इस तरह तुमसे प्यार करना चाहती हूँ मै,
तुझमे खुद को कही खो देना चाहती हूँ मै..
तुम्हारी सांसो मे शामिल हो जाना चाहती हूँ मै,
तुम्हारी धङकन बन जाना चाहती हूँ मै....!
तुम्हारे हर राज की हमराज बन जाना चाहती हूँ ,
तुम्हारी आँखो के ख्याब बन जाना चाहती हूँ मै,
तुम्हारे कदमो की आहट बन जाना चाहती हूँ मै,
तुम्हारे दिल का हर अहसास हो जाना चाहती हूँ मै,
तुम्हारे मन का विश्वास बन जाना चाहती हूँ...!
तुम्हे मंजिल तक जो ले जाये वो राह बन जाना चाहती हूँ मै,
तुम्हारी जिँदगी के हर लम्हे मे शामिल,
तुम्हारी जिँदगी बन जाना चाहती हूँ मै....!
तुम्हारी हर निराशा मे जो आशा की उम्मीद बन जाना चाहती हूँ मै,
तुम्हारे हर दर्द हर उदासी को जो समेट ले वो आँचल बन जाना चाहती हूँ मै....!
कितनी पागल हूँ मै,
तुम्हारे प्यार मे पागल हो जाना चाहती हूँ मै...!!!
pyaar me doobne ke baad hosh kahan hota , sabkuch bas pyaar hota hai !
ReplyDeleteआग का दरिया है और डूब के जाना है . सही ही फ़रमाया है .
ReplyDeleteसुषमा जी
ReplyDeleteसादर सस्नेहाभिवादन !
बहुत सुंदर कविता रची है आपने , भावनाओं का एक समुद्र है जैसे ।
बहुत बहुत आभार , बधाई और शुभकामनाएं !
त्याग , ममत्व और स्नेह की प्रतिमूर्ति नारी तो निस्संदेह देना ही देना जानती है …
लेकिन उसके दिए जाने वाले ख़ज़ाने को पाने की पात्रता रखने वाले बंदे भी होते हैं … … … ?
आपका लेखन उत्तरोतर प्रगति पथ पर अग्रसर हो , साथ ही आपके जीवन में ईश्वर अभीष्ट आत्मिक आनन्द प्रदान करे , यही कामना है … तथास्तु !
होली की अग्रिम शुभकामनाओं सहित
चंद रोज़ पहले आ'कर गए
विश्व महिला दिवस की हार्दिक बधाई !
शुभकामनाएं !!
मंगलकामनाएं !!!
♥मां पत्नी बेटी बहन;देवियां हैं,चरणों पर शीश धरो!♥
- राजेन्द्र स्वर्णकार
bahut bahut sundar kavita hai...
ReplyDeletePyar to bs pyar hota h.......
bhut khubsurat kavita hai..
ReplyDeletevery nice
sab kuch smarpit karke bhi jo chahe
vo pagalpan sirf pyar hi hota hai...
main aap sabhi log jinhone meri kavita ki sarhana ki hai bhut.bhut dhanyevaad karti hu...
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर शब्द रचना ।
ReplyDeleteसुषमा जी
ReplyDeleteनमस्कार !
.........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
तारीफ के लिए हर शब्द छोटा है - बेमिशाल प्रस्तुति - आभार.
main aap sabhi log jinhone meri kavita ki sarhana ki hai bhut.bhut dhanyevaad karti hu...
ReplyDeleteकितनी पागल हूँ मै,
ReplyDeleteतुम्हारे प्यार मे पागल हो जाना चाहती हूँ मै...!!!
हम महिलाए वाकई में पागल ही होती है सब से प्यार पाना चाहती है --
bahut bahut sundar rachna , shabd nahi hai tareef ke liye .. aapne itni rachna jo likhi hai .. badhayi ..
ReplyDelete-------------------
मेरी नयी कविता " तेरा नाम " पर आप का स्वागत है .
आपसे निवेदन है की इस अवश्य पढ़िए और अपने कमेन्ट से इसे अनुग्रहित करे.
"""" इस कविता का लिंक है ::::
http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/02/blog-post.html
विजय
har sakhsh yahi kehta hai duniya-e-ishq mein,
ReplyDeleteyun meri tareh to koi pareshan nahi hota...!!!
Ek achhi nazm sushma ji
ReplyDeleteआपने चाहती हूँ शब्द का प्रयोग अपनी बहुत कविताओं में किया है | मुझे लगता है कि ये शब्द आपको बहुत व्याकुल करता है | :)
ReplyDeleteसादर