Tuesday 22 March 2011

एक सवाल मेरा मुझसे ही रहता है..!!


एक सवाल मेरा मुझसे ही रहता है,
 क्यू हर रिश्ता दर्द देता है?
 हर खुशी के साथ क्यू गम ही होता है?
 होठोँ पर मुस्कान रहती है दिल उदास रहता है,
 चलते है तलाश मे मंजिल की हम,
 पर राहे मुझसे ही सवाल करती है?

 राहे मुझसे पूछती है मेरी मंजिल कहाँ है?
 और मै राहो से कहती हूँ कि जहाँ तक ले चलो,
 चलते-चलते चले है कहाँ किस मोङ पर,
 यूँ लग रहा है कि बहुत दूर चले आये है,
 अपनी मंजिल छोङ कर हम...
 उस सवाल के साथ जो मेरा मुझसे ही रहता है....!!!



22 comments:

  1. sushma ji,

    bahut achchha lekhan hai aapka,

    sundar rachna ke liye bahut bahut badhai

    ReplyDelete
  2. सुषमा जी,
    आपने ऐसा सवाल उठाया है जो सबके दिल में दर्द बनकर उभरता है ! संवेदना को जीती सुन्दर,भावमय कविता !

    ReplyDelete
  3. बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति.
    कुछ सवाल ऐसे हैं कि जवाब मिलते नहीं,
    परछाई की तरह साथसाथ चलते रहते हैं.
    सलाम.

    ReplyDelete
  4. राहे मुझसे पूछती है मेरी मंजिल कहाँ है?
    और मै राहो से कहती हूँ कि जहाँ तक ले चलो .

    खूबसूरत अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  5. bahut sundar bhavabhivyakti .badhai

    ReplyDelete
  6. very very nice....
    Mai samjhti thi ki manzil pr pahuch,aana jana khatm ho jayega,par hajaro baar hi aisa hua, pas aakar dur jana pda...

    ReplyDelete
  7. कोमल अहसासों से परिपूर्ण एक बहुत ही भावभीनी रचना जो मन को गहराई तक छू गयी ! बहुत सुन्दर एवं भावपूर्ण प्रस्तुति ! बधाई एवं शुभकामनायें !

    ReplyDelete
  8. रविन्द्र जी मुझे कहने में कोई संकोच नहीं की ब्लॉग पर ऐसी ही रचनाएँ होनी चाहिए, पर अफ़सोस होता है की यहाँ भी राजनिति शुरू है. और उसी राजनिति में शामिल होने को विवश होना पड़ा, क्या करें मजबूरी हैं. कुछ बुरा लोंगो के लिए बुरा होना भी जरुरी है आखिर हार हमी लोग क्यों मानते हैं. हर जगह झुकना पड़ता है. कभी कभी बड़ी घुटन सी होती है. खैर देखते हैं. हा आपको पढना मुझे अच्छा लगता है.
    भारतीय ब्लॉग लेखक मंच शहीद दिवस पर आज़ादी के दीवाने शहीद-ए-आज़म भारत माता के वीर सपूत भगत सिंह सहित उन सभी वीर सपूतो को नमन करता है जिन्होंने भारत माता को आजाद करने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी.
    आईये हम सब मिलकर यह संकल्प ले की भारत की आन-बान और शान के लिए हम सदैव तत्पर रहेंगे. यह मंच आपका स्वागत करता है, आप अवश्य पधारें, यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो "फालोवर" बनकर हमारा उत्साहवर्धन अवश्य करें. साथ ही अपने अमूल्य सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ, ताकि इस मंच को हम नयी दिशा दे सकें. धन्यवाद . आपकी प्रतीक्षा में ....
    भारतीय ब्लॉग लेखक मंच

    ReplyDelete
  9. bahut khoob
    kafi shandar poem hai
    really nice blog
    check out mine also
    and i hope you will like my blog
    http://iamhereonlyforu.blogspot.com/

    ReplyDelete
  10. सुषमा जी, मैं चाहता हू की "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" पर ५० फ़ीसदी लेखक महिलाएं रहे. आप चाहे तो अपनी मेल आइ डी हमें editor.bhadohinews@gmail.com भेज दे.

    ReplyDelete
  11. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति बधाई और शुभकामनाएं |

    ReplyDelete
  12. जीवन में दर्द औए आनंद का अनुपात सामान ही है भाव बहुत सुन्दर , बधाई

    ReplyDelete
  13. जीवन में सुख केवल कुछ समय से ज्यादा का नहीं होता है ख़ुशी कभी स्थाई नहीं होती है ...जो मजा दुःख और गम में होता है वोह सुख और ख़ुशी में नहीं होता है ......क्योंकि आदमी हमेशा अकेला ही आता है और अकेला ही जाता है .....कुछ देर बात करने से कोई अपना नहीं बन पाता है जिसे की हम अपने दिल का दर्द बाँट सकें और खोने का डर भी हमेशा बना रहता है वो अलग से .....ये मेरे जीवन की एक कडवी सच्चाई है क्योंकि सभी रिश्ते स्थायी न होकर पल पल अपना रंग बदलते रहते है ज़िन्दगी में ऐसा कोई रिश्ता नहीं होता है जिसे कि हम गर्व से अपना कह सकें...सभी में छल फरेब अवश्य होता है ......और शायद यही जीवन का दी एंड होता होगा ......

    ReplyDelete
  14. हर शाम कह जाती है एक कहानी, हर सुबह ले आती है एक नई कहानी, रास्ते तो बदलते हैं हर दिन ... न कुछ खोने की, न कुछ पाने की अभिलाषा......कुछ ना कह पाने की कसक ...अपने विचारों को मिटाए जाने का बहुत दुःख होता है

    ReplyDelete
  15. आपकी सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति बहुत अच्छी लगी,सुषमा जी.

    ReplyDelete
  16. स्वयं से सवाल करते रहना अच्छा है... क्यूंकि उत्तर तो सारे भीतर ही हैं चेतना की भूमि पर!

    ReplyDelete
  17. सुन्दर भाव....अच्छी रचना...
    सादर...

    ReplyDelete