एक सवाल मेरा मुझसे ही रहता है,
क्यू हर रिश्ता दर्द देता है?
हर खुशी के साथ क्यू गम ही होता है?
होठोँ पर मुस्कान रहती है दिल उदास रहता है,
चलते है तलाश मे मंजिल की हम,
पर राहे मुझसे ही सवाल करती है?
राहे मुझसे पूछती है मेरी मंजिल कहाँ है?
और मै राहो से कहती हूँ कि जहाँ तक ले चलो,
चलते-चलते चले है कहाँ किस मोङ पर,
यूँ लग रहा है कि बहुत दूर चले आये है,
अपनी मंजिल छोङ कर हम...
उस सवाल के साथ जो मेरा मुझसे ही रहता है....!!!
sushma ji,
ReplyDeletebahut achchha lekhan hai aapka,
sundar rachna ke liye bahut bahut badhai
सुषमा जी,
ReplyDeleteआपने ऐसा सवाल उठाया है जो सबके दिल में दर्द बनकर उभरता है ! संवेदना को जीती सुन्दर,भावमय कविता !
बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteकुछ सवाल ऐसे हैं कि जवाब मिलते नहीं,
परछाई की तरह साथसाथ चलते रहते हैं.
सलाम.
dard jivan ka satya hota hai
ReplyDeleteराहे मुझसे पूछती है मेरी मंजिल कहाँ है?
ReplyDeleteऔर मै राहो से कहती हूँ कि जहाँ तक ले चलो .
खूबसूरत अभिव्यक्ति
bahut sundar bhavabhivyakti .badhai
ReplyDeletevery very nice....
ReplyDeleteMai samjhti thi ki manzil pr pahuch,aana jana khatm ho jayega,par hajaro baar hi aisa hua, pas aakar dur jana pda...
खूबसुरत अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteशुभागमन...!
नये ब्लाग लेखकों के लिये उपयोगी सुझाव.
उन्नति के मार्ग में बाधक महारोग - क्या कहेंगे लोग ?
कोमल अहसासों से परिपूर्ण एक बहुत ही भावभीनी रचना जो मन को गहराई तक छू गयी ! बहुत सुन्दर एवं भावपूर्ण प्रस्तुति ! बधाई एवं शुभकामनायें !
ReplyDeleteरविन्द्र जी मुझे कहने में कोई संकोच नहीं की ब्लॉग पर ऐसी ही रचनाएँ होनी चाहिए, पर अफ़सोस होता है की यहाँ भी राजनिति शुरू है. और उसी राजनिति में शामिल होने को विवश होना पड़ा, क्या करें मजबूरी हैं. कुछ बुरा लोंगो के लिए बुरा होना भी जरुरी है आखिर हार हमी लोग क्यों मानते हैं. हर जगह झुकना पड़ता है. कभी कभी बड़ी घुटन सी होती है. खैर देखते हैं. हा आपको पढना मुझे अच्छा लगता है.
ReplyDeleteभारतीय ब्लॉग लेखक मंच शहीद दिवस पर आज़ादी के दीवाने शहीद-ए-आज़म भारत माता के वीर सपूत भगत सिंह सहित उन सभी वीर सपूतो को नमन करता है जिन्होंने भारत माता को आजाद करने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी.
आईये हम सब मिलकर यह संकल्प ले की भारत की आन-बान और शान के लिए हम सदैव तत्पर रहेंगे. यह मंच आपका स्वागत करता है, आप अवश्य पधारें, यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो "फालोवर" बनकर हमारा उत्साहवर्धन अवश्य करें. साथ ही अपने अमूल्य सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ, ताकि इस मंच को हम नयी दिशा दे सकें. धन्यवाद . आपकी प्रतीक्षा में ....
भारतीय ब्लॉग लेखक मंच
bahut khoob
ReplyDeletekafi shandar poem hai
really nice blog
check out mine also
and i hope you will like my blog
http://iamhereonlyforu.blogspot.com/
pyari si khubsurat abhivyakti...:)
ReplyDeletesunder abhivyakti
ReplyDeletebahut achcha.....
ReplyDeleteसुषमा जी, मैं चाहता हू की "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" पर ५० फ़ीसदी लेखक महिलाएं रहे. आप चाहे तो अपनी मेल आइ डी हमें editor.bhadohinews@gmail.com भेज दे.
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति बधाई और शुभकामनाएं |
ReplyDeleteजीवन में दर्द औए आनंद का अनुपात सामान ही है भाव बहुत सुन्दर , बधाई
ReplyDeleteजीवन में सुख केवल कुछ समय से ज्यादा का नहीं होता है ख़ुशी कभी स्थाई नहीं होती है ...जो मजा दुःख और गम में होता है वोह सुख और ख़ुशी में नहीं होता है ......क्योंकि आदमी हमेशा अकेला ही आता है और अकेला ही जाता है .....कुछ देर बात करने से कोई अपना नहीं बन पाता है जिसे की हम अपने दिल का दर्द बाँट सकें और खोने का डर भी हमेशा बना रहता है वो अलग से .....ये मेरे जीवन की एक कडवी सच्चाई है क्योंकि सभी रिश्ते स्थायी न होकर पल पल अपना रंग बदलते रहते है ज़िन्दगी में ऐसा कोई रिश्ता नहीं होता है जिसे कि हम गर्व से अपना कह सकें...सभी में छल फरेब अवश्य होता है ......और शायद यही जीवन का दी एंड होता होगा ......
ReplyDeleteहर शाम कह जाती है एक कहानी, हर सुबह ले आती है एक नई कहानी, रास्ते तो बदलते हैं हर दिन ... न कुछ खोने की, न कुछ पाने की अभिलाषा......कुछ ना कह पाने की कसक ...अपने विचारों को मिटाए जाने का बहुत दुःख होता है
ReplyDeleteआपकी सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति बहुत अच्छी लगी,सुषमा जी.
ReplyDeleteस्वयं से सवाल करते रहना अच्छा है... क्यूंकि उत्तर तो सारे भीतर ही हैं चेतना की भूमि पर!
ReplyDeleteसुन्दर भाव....अच्छी रचना...
ReplyDeleteसादर...