Sunday 6 March 2011

एक सपना मेरा भी था.....!!!

नारी के हजारो रूप हमारे सामने है, हर किसी जिन्दगी में उसकी अहम् और खास  जगह है! पर शायद आज कुछ लोगो को छोड़ कर ये अधिकतर लोग नही मानते है, यहाँ तक जो लोग नारी के बारे में लिखते है हमें उन्हें सम्मान देना चाहिए वो लोग भी अपनी जिन्दगी में अपने ही शब्दों को अर्थ नही दे पाते है......... नारी को सम्मान देने के लिए हमने एक दिवस बना दिया है क्या वास्तव में नारी को किसी महिला दिवस की जरुरत है? हमने ये समझने की कोशिश ही नही की नारी क्या चाहती है? वो तो सिर्फ इतना चाहती है की उसे ज्यादा   नही उसका अपना परिवार ही सम्मान और प्यार दे....उसे भी सपने  देखने का हक़ हो और अपने सपनो को पूरा करने का अधिकार हो... ताकि कोई नारी ये न कह सके की एक सपना मेरा भी था....!!!
                

              एक सपना मैने देखा था, एक सपना जो तुमने देखा था, एक सपना जो हर लङकी ने देखा था! एक लङकी जब बङी होती है, तो उसके कुछ सपने होते है वो उनमे कुछ रंग भरना चाहती है! पर उसके सपनो से बङे उसके माता पिता के सपने होते है, जिन्हे पूरा करना वो आपनी जिम्मेदारी मानती है, उन सपनो के आगे वो आपने सपनो को भूल जाती है! हर कोशिश करती है, उन सपनो को पूरा करने की जो उसके अपने उसके लिये देखते है, वो सपनो को अपनी आँखो मे सजा लेती है, अभी ये सपने पूरे भी नही होते कि उसकी जिदंगी मे
 मोङ आ जाते है!
 उसकी शादी होती है फिर उसकी आँखो मे एक सपना होता है, एक ऐसे साथी का जो उसे समझे उसका ख्याल रखे एक ऐसे परिवार का जो उसे कभी अपने परिवार की कमी ना महसूस होने दे! इसी सपने को लेकर वो अपनी दूनिया से उस दूनिया मे जाती है जिनसे वो कभी नही मिली थी इस तरह मिलती है, जैसे की वो सबको बहुत पहले से जानती है, अभी वो ये देखती कि उसके सपनो जैसा साथी या परिवार है या नही कि तभी इस दूनिया के लोगो की आँखो मे भी कुछ सपने होते है, जिन्हे उसे पूरा करना था एक अच्छी बहू एक आदर्श पत्नी के थे! यहाँ भी अपने सपनो को भूल वो सपनो को पूरा करने चल देती है, जो उसके लिए देखे गए थे फिर उस लड़की की जिंदगी में एक और नया मोड़ आता है!
 जब वो माँ बनती है उसको लगता है उसके सारे सपने पुरे हो गए वो उस बच्चे में सब कुछ पा लेती है, अपना हर दर्द हर सपना भुला  देती है, उसकी आखो के सपने अपनी आखो में सजा लेती है! इस तरह वो सबके सपने अपनी आखों  में सजाते-सजाते  खुद सपने  देखना  भूल  जाती  है, वो जिन्दगी  में सबके लिए करते -करते ये भूल जाती है की उसने  कभी  कोई सपना देखा  था! और किसी ने कभी भी उससे ये नही पूछा की 
उसका सपना क्या है ?
 फिर एक दिन उसके  सभी अपने जब अपने-अपने सपने पूरा करने में लग जाते है, तो वो अकेली हो जाती है तब वो सोचती है की वो खुद क्या है ? उससे इस सवाल का कोई जवाब नही मिलता है!
 जिन्दगी के इस मोड़ पर जब वक़्त मिलता है, उससे अपने बारे में सोचने का तो वक़्त बहुत आगे आ चूका होता है, फिर वो अपना सपना सोचती है और कहती है, की" एक सपना मेरा भी था"......!!!

"आत्मविश्वासी ,प्रेरक तू है हौसला हमारी 
माँ बेटी हर रूप में तू है सबसे प्यारी"


5 comments:

  1. hiii...u r rit...har ladki ka sapna sach me aesa hi hota h....very very nice....

    ReplyDelete
  2. hiii.....very very nice sushma ji
    apne bhilkul sahi kha sayd isiliye ek ladki ka dusra roop AHUTI hota hai...!!!!!!!!

    ReplyDelete
  3. आत्मविश्वासी ,प्रेरक तू है हौसला हमारी
    माँ बेटी हर रूप में तू है सबसे प्यारी"
    बहुत ही सारगर्भित पोस्ट, महिला दिवस की शुभकामनायें

    ReplyDelete
  4. महिला दिवस की शुभकामनायें

    ReplyDelete
  5. यत्र नार्यस्य पूज्यन्ते , रमन्ते तत्र देवता |
    अच्छा लिखा है , इसी विषय पर मेरी एक कविता भी है -
    http://shroudedemotions.blogspot.in/2012/08/blog-post_30.html

    सादर

    ReplyDelete