जब भी लिखती हूँ मै,
शब्द मेरे ख्याल तुम्हारा होता है,
जब भी लिखती हूँ मै,
सवाल मेरे जवाब तुम्हारा होता है..!
जब भी लिखती हूँ मै,
जो बात तुमसे कही नही अभी तक,
वो बात वो प्यार मेरे शब्दो मेँ उभर जाता है,
मै लिखती नही कोई कविता,
तुम्हारा ख्याल कविता बन कर पन्नो पर बिखर जाता है..!
जब भी लिखती हूँ मै जीत लूँगी इस जीवन को,
शब्द मेरे विश्राश तुम्हारा होता है,
मै लिखती नही कोई कविता,
सिर्फ शब्द मेरे और साथ तुम्हारा होता है...!!!
कविता लिखते तो नहीं बस ख़याल ही कविता बन जाता है ..खूबसूरत अभिव्यक्ति
ReplyDeleteआपकी इस कविता को बस पढते रहने का मन हो रहा है.बहुत ही खूबसूरत शब्दों से सजाया है मन के भावों को.
ReplyDeleteकिसकी बात करें-आपकी प्रस्तुति की या आपकी रचनाओं की। सब ही तो आनन्ददायक हैं।
ReplyDeleteaapka biswas shabdo se jhalak raha hai...aisa hi bana rahe..:)
ReplyDeletebahut bahut sundar....
ReplyDeleteLaajbaab.........!
ReplyDeleteसुंदर कविता बधाई और शुभकामनाएं |
ReplyDeletebhut khubsurat....
ReplyDeletelikh rahi kalm meri,
aur sabd bhi mai dhundh layi
lekin es ehsash ko ARTH to tumne diya hai..!!!
जब भी लिखती हूँ मै जीत लूँगी इस जीवन को,
ReplyDeleteशब्द मेरे विश्राश तुम्हारा होता है,
मै लिखती नही कोई कविता,
सिर्फ शब्द मेरे और साथ तुम्हारा होता है...!!
sunder prem bhavna chipi hai aapki is rachna me . badhai.........
बहुत खूब.
ReplyDeleteदिल को छू गयी आपकी कविता.
sunder ehsas-
ReplyDeleteprempoorna astha darshati rachna -
Ishwar ka sar par haath ho achhe vichar aate hi hain .
सुन्दर भावाभिव्यक्ति.
ReplyDeleteकविता,खयाल और भावनाओं पर तैरते शब्दों में चाहत के असीम स्पंदन स्वंय को करीने से बयां कर रहे हैं। एक मिश्री घुली कविता।
ReplyDeleteमै लिखती नही कोई कविता,
ReplyDeleteसिर्फ शब्द मेरे और साथ तुम्हारा होता है...!!!
खूबसुरत प्रस्तुति...
bahut khoob
ReplyDeletenice poem
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बहुत सुन्दर रचना ! कोमल अहसासों से परिपूर्ण एक बहुत ही कोमल सी प्रस्तुति ! बधाई स्वीकार करें !
ReplyDeleteमन की कोमल भावनाओं को बड़ी ही खूबसूरती से आपने पन्नों पर उकेरा है !
ReplyDeleteआभार एवं शुभकामनाएँ!
सुन्दर रचना .... वाह...
ReplyDeleteSushma Ji jo bhi aapne likha hai wo dil ki gahrayee se nikli huyi antahsalila hai jo amrit dhar ki tarah hai...kisi ka saath ya uski yaad ya ehsaas ki khushbu poori tarah ubhar kar aayee hai is kavita mein.Aap bahut accha likhti hain
ReplyDeleteकल 10/10/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
बहुत सुन्दर भावो को संजोया है।
ReplyDeleteसुषमा जी, टेक्स्ट की लेंग्वेज पढने में असमर्थ हूँ.... पता नहीं क्या मामला है...
ReplyDeleteखूबसूरत..!!!!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर विचाराभिव्यक्ति............
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