Sunday 20 March 2011

क्या लिखू ....!!!


क्या लिखू कि अब हर अहसास खत्म हो गया ,
क्या कहूँ कि अब हर ज्जबात खत्म हो गये,
क्या याद करु कि अब दिल से हर याद खत्म हो गयी,
कुछ था जो लिखा जो लिखा करती थी,
कुछ छलकता था आंखो से,
कुछ मुस्कराता था होठोँ पे कि अब हर वो अफसाना खत्म हो गया...!!

कुछ उम्मीदे थी जीने के लिये,
कुछ आरजू थी सपनो के लिये,
कुछ चाहत थी अपनो के लिये,
कि अब क्या जीये कि जीने का हर बहाना खत्म हो गया,
क्या लिखू कि जिँदगी का अफसाना खत्म हो गया...!!

14 comments:

  1. ...very very nice
    Beautiful as always.
    It is pleasure reading your poems.

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  2. बहुत अच्छा लिखती हैं आप! क्या लिखूं के जवाब में इतना और कहूँगा-

    मिल जाएंगे बहाने जीने के
    राहें खोज कर तो देख
    आसमान के पन्ने पे
    हर हर्फ तेरा ही होगा!

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  3. zindagi ka afsaana kabhi khatm nahin hota , jitna likhenge, zindagi karwaten legi

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  4. very very nice...
    zindgi tujhse btau kya...???? mujhe kya chahiye....muskilo k sath jine ka salika chahiye....!!!!!!

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  5. Recent Visitors और You might also like यानी linkwithin ये दो विजेट अपने ब्लाग पर लगाने के लिये इसी टिप्पणी के प्रोफ़ायल द्वारा "blogger problem " ब्लाग पर जाकर " आपके ब्लाग के लिये दो बेहद महत्वपूर्ण विजेट " लेख Monday, 7 March 2011 को प्रकाशित देखें । आने ब्लाग को सजाने के लिये अन्य कोई जानकारी । या कोई अन्य समस्या आपको है । तो "blogger problem " पर टिप्पणी द्वारा बतायें । धन्यवाद । happy bloging and happy blogger

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  6. सुन्दर शब्दों की बेहतरीन शैली । भावाव्यक्ति का अनूठा अन्दाज । बेहतरीन एवं प्रशंसनीय प्रस्तुति ।

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  7. वाह ,भावपूर्ण है आपकी कविता.

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  8. वाह !! बहुत खूब ...
    अच्छी रचना ....शुभकामनायें आपको !

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  9. याद रखने योग्य लेख, लिखते रहो हर तरह की बातें

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  10. बहुत भावना पूर्ण कविता ! Nice...

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  11. आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल २३-६ २०११ को यहाँ भी है

    आज की नयी पुरानी हल चल - चिट्ठाकारों के लिए गीता सार

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  12. ज़िंदगी का अफसाना कभी खत्म नहीं होता यह जिंदगी के साथ ही जाता है ...

    अभी बहुत कुछ लिखना बाकी है ...

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  13. अफसाने ख़त्म होते नहीं,नए तराने बन जाते हैं
    और भी मीठे लगते जब गीत पुराने बन जाते हैं.

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