ये आँगन छोड़ते वक़्त मेरी आखे क्यों भर आयीं है
हमने तो बस दुनिया की एक रस्म निभायी है
ये कैसी घडी है किसी से मिलन किसी से जुदाई है...
दिल में कही कुछ टूटता जा रहा है,
लगता है अपनों से मेरा दामन छूटता जा रहा है,
हमने तो दुनिया की रीति निभायी है,
बाबुल की हर बेटी होती पराई है,
आँखों से जो आंसू निकले तो थमते ही नही,
न जाने क्यों दिल ने आज रोने की कसम खायी है...
बेटी की सुनी आखे माँ की तरफ देखकर,
शायद कुछ पूछ रही,दिल में जो बात आई है,
की माँ क्या तुम मुझे इतना ही प्यार करती थी?
क्यों आज तुमने अपनी बेटी करी पराई है?
माँ की ममता कोई समझौता करने के लिए तैयार नही,
वो कैसे कह दे की उसे अपनी बेटी से प्यार नही,
वो बार-बार यही कह रही है,
दुनिया में कौन सी माँ अपनी बेटी को घर पर रख पायी है,
मेरी लाडली ये ज़माने की रीति है,
जो हमने निभायी है....
बेटी ने रोते हुए अपने बाबुल की तरफ देखा और कहा,
बाबुल क्यों तुमने मुझे इतना प्यार दिया,
क्या इसी दिन के लिए मुझे इतना बड़ा किया?
की कर दोगे एक दिन तुम अपनी बेटी की विदाई,
बाबुल ने आंसू भरी आखो से अपने,
कांपते हाथो को बेटी के सर पर रख कर कहा,
मेरी लाडली तू बाबुल के घर दुसरो की अमानत बन कर आई है,
मैंने तो सिर्फ दुनिया की रीति निभायी है,
बेटी तो होती पराई है.....
बेटी ने अपने भैया की तरफ देखा और कहा,
मेरे भैया तुम मुझे अपने घर पे रोक लो,
मैं अब न अरुंगी तुमसे सैतानी,
तुम जो कहोगे वही करुँगी,नही तुमसे करुँगी मनमानी,
भाई जो अभी तक अपने आंसू रोके,
दिल में रो रहा था,
अब फूट-फूट कर रोने लगा उसने कहा,
मेरी बहना तेरी बचपन की यादे मेरी सौगात है,
तू रो न मेरी बहना,
ये खुशी की घडी है..
मेरे द्वारे आई मेरी बहना की बारात है,
मैं बहूत खुशनसीब हूँ जो मैंने अपनी बहना की
डोली अपने कंधे उठायी है,
ये तो दुनिया की रीति है हम सबने निभायी है,
तू खुश रहे मेरी बहना मैंने तेरी कर दी विदाई है...
इस तरह रोते रोते उस फूल सी गुडिया की हो गयी विदाई,
वो दिल ही दिल में सोचती रही क्यों विधाता?
तुमने ये कैसी रीति बनाई है....!!!
hiii...very very nice....
ReplyDeletekash duniya ki ye reet badal jati....
Atyant Bhavpurn Kavita Hai Yeh.... Na Jaane Yeh Reet Kisne Banai Hai...
ReplyDeleteफूलों पर ओंस की बूंदों जैसी होती हैं बेटियाँ ।
विदा करके उनको निभाना है दस्तूर।
फिर उम्रभर बहुत याद आतीं हैं बेटियाँ ।
Please read my poem also title is :"फूलों पर ओंस की बूंदों जैसी होती हैं बेटियाँ.."
http://shalabhguptapoems.blogspot.com/2009/03/blog-post_23.html
truly brilliant..
ReplyDeletekeep writing..all the best
बाबुल की हर बेटी होती पराई है,
ReplyDeleteBhut sundar ...
hey hiiii sushi....i wish duniyaaaa me bas ye hi ek reet badal jayein...hum jine sabse jayda pyaar karte hai unse hi door jana padta hai...
ReplyDeletebahut khubsurat kavita banai aapne Sushma ji!Dilko chhu gaya .
ReplyDeletelatest post: प्रेम- पहेली
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बेटियां हैं तो...कल है, गर्व करो बेटियों पर
ReplyDeleteबहुत मर्मस्पर्शी रचना । सच बताना इसको लिखते वक्त तुम रोयी नहीं थी । मेरे आँसू तो पढ़कर ही बहने लगे ।
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