Wednesday, 30 March 2011

कुछ खुबसूरत पंक्तिया....!!!


अब दूरिया कुछ कम होने लगी है,
पहले उनकी नजर हमे देखती थी,
अब कुछ हमशे कहने लगी है
इन हवाओ मे उनकी सांसो की खुशबू का अहसास होने लगा है,
इस तरह छाया है उनकी बातो का जादू कि हर लम्हा खास होने लगा है...!!!




फिर कोई ख्याब देखने का अहसास चाहिये,
 जिससे प्यार मिले ऐसा कोई आस-पास चाहिये,
 जिंदगी तेरी बातो मेँ कुछ खास चाहिये,
 कुछ पल ऐसे हो जिँदगी मे,
जो कुछ और पल जीने की सांसे दे जाये,
 ऐसा विश्रवास चाहिये,
 जिँदगी फिर तेरी आंखो मेँ कुछ खास चाहिये..!!!



यादो से जिँदगी भर प्यार कर सकते है,
पर यादो के सहारे जिँदगी नही गुजार सकते है,
हम अकेले रह सकते है इस बात से,
 खुद को कुछ देर बहला तो सकते है,
पर हर मोङ पर किसी साथी की जरुरत होती है,
इस बात से हम इंकार नही कर सकते है.....!!!


Saturday, 26 March 2011

जब भी लिखती हूँ मै...!!!


जब भी लिखती हूँ मै,
शब्द मेरे ख्याल तुम्हारा होता है,
 जब भी लिखती हूँ मै,
 सवाल मेरे जवाब तुम्हारा होता है..!

 जब भी लिखती हूँ मै,
 जो बात तुमसे कही नही अभी तक,
 वो बात वो प्यार मेरे शब्दो मेँ उभर जाता है,
 मै लिखती नही कोई कविता,
  तुम्हारा ख्याल कविता बन कर पन्नो पर बिखर जाता है..!

  जब भी लिखती हूँ मै जीत लूँगी इस जीवन को,
 शब्द मेरे विश्राश तुम्हारा होता है,
 मै लिखती नही कोई कविता,
 सिर्फ शब्द मेरे और साथ तुम्हारा होता है...!!!


Tuesday, 22 March 2011

एक सवाल मेरा मुझसे ही रहता है..!!


एक सवाल मेरा मुझसे ही रहता है,
 क्यू हर रिश्ता दर्द देता है?
 हर खुशी के साथ क्यू गम ही होता है?
 होठोँ पर मुस्कान रहती है दिल उदास रहता है,
 चलते है तलाश मे मंजिल की हम,
 पर राहे मुझसे ही सवाल करती है?

 राहे मुझसे पूछती है मेरी मंजिल कहाँ है?
 और मै राहो से कहती हूँ कि जहाँ तक ले चलो,
 चलते-चलते चले है कहाँ किस मोङ पर,
 यूँ लग रहा है कि बहुत दूर चले आये है,
 अपनी मंजिल छोङ कर हम...
 उस सवाल के साथ जो मेरा मुझसे ही रहता है....!!!



Sunday, 20 March 2011

क्या लिखू ....!!!


क्या लिखू कि अब हर अहसास खत्म हो गया ,
क्या कहूँ कि अब हर ज्जबात खत्म हो गये,
क्या याद करु कि अब दिल से हर याद खत्म हो गयी,
कुछ था जो लिखा जो लिखा करती थी,
कुछ छलकता था आंखो से,
कुछ मुस्कराता था होठोँ पे कि अब हर वो अफसाना खत्म हो गया...!!

कुछ उम्मीदे थी जीने के लिये,
कुछ आरजू थी सपनो के लिये,
कुछ चाहत थी अपनो के लिये,
कि अब क्या जीये कि जीने का हर बहाना खत्म हो गया,
क्या लिखू कि जिँदगी का अफसाना खत्म हो गया...!!

Thursday, 17 March 2011

ये होली तो बस हमारी हो...!!!


रंगो से भरी पिचकारी हो,
 ना मेरी हो ना तुम्हारी हो,
 ये होली तो बस हमारी हो...!

 ना रहने देगे किसी की भी जिंदगी बेरंग,
 रंगो के साथ खुशियो से भरी हर पिचकारी हो,
 ना मेरी हो ना तुम्हारी हो, 
 ये होली तो बस हमारी हो...!!

 इस तरह मिले रंगो मे रंग
 चेहरे ही नही रंगीन जिँदगी सारी हो...!!
ना मेरी हो ना तुम्हारी हो,
 ये होली तो बस हमारी हो.....!!!

Tuesday, 15 March 2011

मेरी बाँवरी आंखो ने एक ख्याब देखा है...!!!


मेरी बाँवरी आंखो ने एक ख्याब देखा है,
इन अंधेरी राहो पर दूर कही जलता हुआ चिराग देखा है,
आँसमा मे खूबसूरत चाँद चमकते हुये सितारे तो सभी देखते है,
मेरी बाँवरी आंखो ने आसमाँ मे टुटते हुये तारो के साथ किसी का टुटता हुआ ख्याब देखा है...!

मेरी बाँवरी आंखो ने एक ख्याब देखा है,
सभी को जिँदगी से शिकवा शिकायते सवाल होते है,
जिँदगी की आंखो मे मेरी बाँवरी आंखो ने उन सवालो का जवाब देखा है...

मेरी बाँवरी आंखो ने एक ख्याब देखा है.....!!!

Sunday, 13 March 2011

तुमसे प्यार करना चाहती हूँ मै....

इस तरह तुमसे  प्यार करना चाहती हूँ मै,
 तुझमे खुद को कही खो देना चाहती हूँ मै..
 तुम्हारी सांसो मे शामिल हो जाना चाहती हूँ  मै,
 तुम्हारी धङकन बन जाना चाहती हूँ मै....!

 तुम्हारे हर राज की हमराज बन जाना चाहती हूँ ,
तुम्हारी आँखो के ख्याब बन जाना चाहती हूँ मै,
 तुम्हारे कदमो की आहट बन जाना चाहती हूँ मै,
 तुम्हारे दिल का हर अहसास हो जाना चाहती हूँ मै,
 तुम्हारे मन का विश्वास  बन जाना चाहती हूँ...!

 तुम्हे मंजिल तक जो ले जाये वो राह बन जाना चाहती हूँ मै,
 तुम्हारी जिँदगी के हर लम्हे मे शामिल,
 तुम्हारी जिँदगी बन जाना चाहती हूँ मै....!

 तुम्हारी हर निराशा मे जो आशा की उम्मीद बन जाना चाहती हूँ मै,
 तुम्हारे हर दर्द हर उदासी को जो समेट ले वो आँचल बन जाना चाहती हूँ मै....!


कितनी पागल हूँ मै,
 तुम्हारे प्यार मे पागल हो जाना चाहती हूँ मै...!!!

Saturday, 12 March 2011

जब जिक्र जिँदगी का आया है....!!!

जब जिक्र जिँदगी का आया है,
 हमने जिँदगी से नजरे चुरायी है,
 कोई ना कोई बहाना बनाया है,
 मिल ना जाये जिँदगी किसी मोङ पर कोई सवाल ले कर,
 उस मोङ से अलग रास्ते कर लिये है,
 किसी के दिल मे बसने के जुनून मे,
 हमने जिँदगी से फासले कर लिये है.....!!!


Friday, 11 March 2011

ये कैसी रीति बनाई है....!!!

ये आँगन छोड़ते वक़्त मेरी आखे क्यों भर आयीं है 
हमने तो बस दुनिया की एक रस्म निभायी है 
ये कैसी घडी है किसी से मिलन किसी से जुदाई है... 

दिल में कही कुछ टूटता जा रहा है, 
लगता है अपनों से मेरा दामन छूटता जा रहा है, 
हमने तो दुनिया की रीति निभायी है, 
बाबुल की हर बेटी होती पराई है, 
आँखों से जो आंसू निकले तो थमते ही नही, 
न जाने क्यों दिल ने आज रोने की कसम खायी है... 

बेटी की सुनी आखे माँ की तरफ देखकर, 
शायद कुछ पूछ रही,दिल में जो बात आई है, 
की माँ क्या तुम मुझे इतना ही प्यार करती थी? 
क्यों आज तुमने अपनी बेटी करी पराई है?
माँ की ममता कोई समझौता करने के लिए तैयार नही,
वो कैसे कह दे की उसे अपनी बेटी से प्यार नही, 
वो बार-बार यही कह रही है, 
दुनिया में कौन सी माँ अपनी बेटी को घर पर रख पायी है, 
मेरी लाडली ये ज़माने की रीति है, 
जो हमने निभायी है.... 

बेटी ने रोते हुए अपने बाबुल की तरफ देखा और कहा, 
बाबुल क्यों तुमने मुझे इतना प्यार दिया,
क्या इसी दिन के लिए मुझे इतना बड़ा किया? 
की कर दोगे एक दिन तुम अपनी बेटी की विदाई, 
बाबुल ने आंसू भरी आखो से अपने,
कांपते हाथो को बेटी के सर पर रख कर कहा
 मेरी लाडली तू बाबुल के घर दुसरो की अमानत बन कर आई है, 
मैंने तो सिर्फ दुनिया की रीति निभायी है, 
बेटी तो होती पराई है..... 

बेटी ने अपने भैया की तरफ देखा और कहा, 
मेरे भैया तुम मुझे अपने घर पे रोक लो,
मैं अब न अरुंगी तुमसे सैतानी,
तुम जो कहोगे वही करुँगी,नही तुमसे करुँगी मनमानी, 
भाई जो अभी तक अपने आंसू रोके,
दिल में रो रहा था,
अब फूट-फूट कर रोने लगा उसने कहा,
मेरी बहना तेरी बचपन की यादे मेरी सौगात है, 
तू रो न मेरी बहना,
ये खुशी की घडी है..

मेरे द्वारे आई मेरी बहना की बारात है,
मैं बहूत खुशनसीब हूँ जो मैंने अपनी बहना की 
डोली अपने कंधे उठायी है,
ये तो दुनिया की रीति है हम सबने निभायी है, 
तू खुश रहे मेरी बहना मैंने तेरी कर दी विदाई है... 



इस तरह रोते रोते उस फूल सी गुडिया की हो गयी विदाई,
वो दिल ही दिल में सोचती रही क्यों विधाता?
तुमने ये कैसी रीति बनाई है....!!! 


Wednesday, 9 March 2011

यादे....!!!

यादे कुछ खुबसूरत लम्हों की साथ रहती है,
वो यादे अपनी जिंदगी की कही पीछे छोड़ आये है.!

वो लम्हे जब कुछ जायदा नही,
थोड़े में ही खुश हो जाया करते थे...!
दोस्तों के साथ बैठे तो कभी बाते खत्म न होती थी,
दिन गुजर जाया करते थे..!
न डर था कुछ खोने का,
सिर्फ विश्वास था दूर आंसमा में उड़ जाने का..!

हर रोज़ खुली आखो में एक नया सपना सजाया करते थे,
कही देखते आंसमा में टूटते तारे को आखे बंद करके मेरा सपना पूरा हो जाये,ये दुआ माँगा करते थे..!

पर जैसे- जैसे मंजिल की तलाश में आगे बढे,
वो लम्हे खुशियों के,वो बाते सखियों की,कही छुट गयी..!
हर कड़ी उन सपनो की आखो में टूट गयी..!

नही पता था जिस तारे से हम अपने सपने को पूरा करने की दुआ कर रहे थे,
वो खुद किसी का सपना बन कर टूट रहा है,
हम आगे बड़े जा रहे है जाने किस मंजिल की तलाश में,ये जानते हुए की पीछे कही कुछ छुट रहा है....!!


भीगी सी एक शाम हो ...!!!


एक शाम कुछ भीगी सी हवाओ मे कुछ नमी हो,
कोई एक ऐसा हो मेरे साथ जिसके होने का अहसास ही उस शाम को खास बना रहो,
उसका हाथ मेरे हाथ मे हो और बारिश ना थमने का नाम ले हम चल रहे हो,
साथ मेरे गिरने से पहले वो मुझको थाम ले...!!

मेरा हाथ उसके हाथो मे हो वो बारिश जिँदगी की पहली बारिश लग रही हो,
वो बूँदे मुझे नही मेरे मन को भिगो रही हो,

उस बारिश मे हम दूर कही चले जा रहे हो,
हमे पता भी ना हो कि हम कहाँ जा रहे,
वो मुझे अपनी दिल की बात बता रहा हो,
मै उसे अपनी दिल की बात बता रही हूँ.....!

बाते करते करते हम एक पल के लिए खामोश हो जाये,
फिर हमारी खामोशी भी बाते कर रही हो,
मेरी नजरे उसकी तरफ देख कर कुछ सवाल कर रही हो उसकी नजरे मेरे सवालो का जवाब दे रही हो...!!

उस पल दर्द जाने कहाँ गुम हो गये हो,
धङकने भी धङकना भूल गयी हो,
वो पल जैसे ठहर सा गया हो,
जिँदगी उस पल जैसे थम गयी हो,
दिल कहे शाम यूँ ही ठहर जाये इन पलो मे पूरी जिँदगी गुजर जाये...!!!
काश!
एक शाम कुछ भीगी सी हो,
हवाओ मे कुछ नमी हो.....!!!

" कभी कभी एक लम्हा जिँदगी भर नही गुजरता तो कभी एक लम्हे मे जिँदगी गुजर जाती है"

Sunday, 6 March 2011

एक सपना मेरा भी था.....!!!

नारी के हजारो रूप हमारे सामने है, हर किसी जिन्दगी में उसकी अहम् और खास  जगह है! पर शायद आज कुछ लोगो को छोड़ कर ये अधिकतर लोग नही मानते है, यहाँ तक जो लोग नारी के बारे में लिखते है हमें उन्हें सम्मान देना चाहिए वो लोग भी अपनी जिन्दगी में अपने ही शब्दों को अर्थ नही दे पाते है......... नारी को सम्मान देने के लिए हमने एक दिवस बना दिया है क्या वास्तव में नारी को किसी महिला दिवस की जरुरत है? हमने ये समझने की कोशिश ही नही की नारी क्या चाहती है? वो तो सिर्फ इतना चाहती है की उसे ज्यादा   नही उसका अपना परिवार ही सम्मान और प्यार दे....उसे भी सपने  देखने का हक़ हो और अपने सपनो को पूरा करने का अधिकार हो... ताकि कोई नारी ये न कह सके की एक सपना मेरा भी था....!!!
                

              एक सपना मैने देखा था, एक सपना जो तुमने देखा था, एक सपना जो हर लङकी ने देखा था! एक लङकी जब बङी होती है, तो उसके कुछ सपने होते है वो उनमे कुछ रंग भरना चाहती है! पर उसके सपनो से बङे उसके माता पिता के सपने होते है, जिन्हे पूरा करना वो आपनी जिम्मेदारी मानती है, उन सपनो के आगे वो आपने सपनो को भूल जाती है! हर कोशिश करती है, उन सपनो को पूरा करने की जो उसके अपने उसके लिये देखते है, वो सपनो को अपनी आँखो मे सजा लेती है, अभी ये सपने पूरे भी नही होते कि उसकी जिदंगी मे
 मोङ आ जाते है!
 उसकी शादी होती है फिर उसकी आँखो मे एक सपना होता है, एक ऐसे साथी का जो उसे समझे उसका ख्याल रखे एक ऐसे परिवार का जो उसे कभी अपने परिवार की कमी ना महसूस होने दे! इसी सपने को लेकर वो अपनी दूनिया से उस दूनिया मे जाती है जिनसे वो कभी नही मिली थी इस तरह मिलती है, जैसे की वो सबको बहुत पहले से जानती है, अभी वो ये देखती कि उसके सपनो जैसा साथी या परिवार है या नही कि तभी इस दूनिया के लोगो की आँखो मे भी कुछ सपने होते है, जिन्हे उसे पूरा करना था एक अच्छी बहू एक आदर्श पत्नी के थे! यहाँ भी अपने सपनो को भूल वो सपनो को पूरा करने चल देती है, जो उसके लिए देखे गए थे फिर उस लड़की की जिंदगी में एक और नया मोड़ आता है!
 जब वो माँ बनती है उसको लगता है उसके सारे सपने पुरे हो गए वो उस बच्चे में सब कुछ पा लेती है, अपना हर दर्द हर सपना भुला  देती है, उसकी आखो के सपने अपनी आखो में सजा लेती है! इस तरह वो सबके सपने अपनी आखों  में सजाते-सजाते  खुद सपने  देखना  भूल  जाती  है, वो जिन्दगी  में सबके लिए करते -करते ये भूल जाती है की उसने  कभी  कोई सपना देखा  था! और किसी ने कभी भी उससे ये नही पूछा की 
उसका सपना क्या है ?
 फिर एक दिन उसके  सभी अपने जब अपने-अपने सपने पूरा करने में लग जाते है, तो वो अकेली हो जाती है तब वो सोचती है की वो खुद क्या है ? उससे इस सवाल का कोई जवाब नही मिलता है!
 जिन्दगी के इस मोड़ पर जब वक़्त मिलता है, उससे अपने बारे में सोचने का तो वक़्त बहुत आगे आ चूका होता है, फिर वो अपना सपना सोचती है और कहती है, की" एक सपना मेरा भी था"......!!!

"आत्मविश्वासी ,प्रेरक तू है हौसला हमारी 
माँ बेटी हर रूप में तू है सबसे प्यारी"


Saturday, 5 March 2011

कश्ती सहारा चाहती है....!!!


कुछ लम्हे ऐसे होते है जो जीवन बन जाते है,
 एक मीठा सा अहसास जगा जाते है...!

 अकेलेपन मे चुपके से दस्तक दे कर एक मीठा सा अहसास जगा जाते है,
 किसी कि बाते इतनी प्यारी लगती है कि मन के किसी कोने मे बस जाती है,
 फिर चुपके चुपके इस दिल को गुदगुदाती है,
मुस्कराता एक चहेरा और थामने को बढे हाथ नजर आते है,


 फिर कभी-कभी  मन मे ना जाने क्यू एक तुफान सा उठ जाता है..!!

मन की नैया सवालो के मझँधार मे फंस जाती है,
 पर किसी की आहट दिल को सुकून दे जाती है,
 मझँधार मे फंसी नाव को उसका साहिल दिखा जाती है,
 इस मन के कोरे कागज को एक लहर यू ही भिगो कर चली जाती है,
 कि इस कोरे कागज पर एक धुधँली सी तस्वीर नजर आती है,
 जिसमे इस नाव को उसका साहिल नजर आता है...!!!

 तब नाव को महसूस होता है यही तो है वो किनारा जिसकी उसे तलाश थी,
 पर नाव का मन घबराता है यह सोच कर कि कही यह तस्वीर ओझल ना हो जाये,
 जीवन की उठक-पटक मे उसका साहिल ना खो जाये,
 दूनिया का दस्तूर है बहूत कुछ पाकर भी और पाने की चाहत रह जाती है,
 डगमगाती हुई कश्ती किसी की बाहोँ का सहारा चाहती है...!!!!

Friday, 4 March 2011

एक लम्हा...!!!



एक लम्हा जो जिँदगी से कभी गया नही,
 हम भूले हो उसे एक पल के लिये ऐसा भी कभी हुआ नही..!

 रास्ते बहुत थे कुछ जाने पहचाने कुछ अन्जाने,
 पर मंजिल तक जो जाता,
 हमे ऐसा कोई रास्ता मिला नही..!!

 हमे वो मिला है जो नसीब मेँ था,
 किसी से शिकवा कोई गिला नही,
 हमने निभाया है जिँदगी का साथ हर हालात मे,
 मुकाम और भी मिल सकते थे,
 पर वक्त ने साथ दिया नही...!!!

 एक लम्हा जो बदल सकता था जिँदगी के मायने,
 बहुत कोशिश की जिँदगी को बदलने की,
 पर जिँदगी से वो लम्हा मिला नही......!!!!