जब से तुम्हारा साथ मेरा हमसफ़र हुआ है
दिन प्यार के चलने लगे है ...!
जब से तुम्हारी हर बात का मुझ पर
असर होने लगा है..
जब से मेरी नींदो का तुम्हारी आँखों में कंही
कभी खेल लगता था मुझे प्यार
अल्हड़ प्यार मेरा
तुमसे मिलकर..
न जाने कब समर्पण होने लगा ...!
कभी एक जिद थी कि
सब कुछ मुझे मिल जाये...
आज सिद्दत से चाहती हुँ
कि हर ख़ुशी तुम्हारी हो....!
इस कदर चाहुँ तुम्हे कि
हर किसी को
मुझमे तुम दिखने लगो.!
फिर धड़कने हों गयी है तेज
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बृहस्पतिवार (13-02-2014) को दीवाने तो दीवाने होते हैं ( चर्चा - 1522 ) में "अद्यतन लिंक" पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (14.02.2014) को " "फूलों के रंग से" ( चर्चा -1523 )" पर लिंक की गयी है,कृपया पधारे.वहाँ आपका स्वागत है,धन्यबाद।
ReplyDeleteयही प्रेम है शायद ... अंजानी से चाहतें ...
ReplyDeletekhubsurat post
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट "समय की भी उम्र होती है",पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत रचना
ReplyDeleteइस कदर चाहुँ तुम्हे कि
ReplyDeleteहर किसी को
मुझमे तुम दिखने लगो.!
फिर धड़कने हों गयी है तेज
दिन प्यार के चलने लगे है ...!
sunder bhav
rachana
बहुत खुबसूरत रचना है
ReplyDeletenew post बनो धरती का हमराज !