किताबे पढ़ते- पढ़ते न जाने कब
लिया है ...!
किसी ने लबो से कुछ न कह कर
आँखों से सब कुछ कहना सीख लिया है ..!
हमने भी किसी कि आँखों से
दिल में उतरना सीख लिया है....!
अब इजहार सारे आँखों के
इशारो से होने लगे है...
दूर थे अभी तक जो हमसे..
करीब दिल के आने लगे है.....!
किसी कि अनकही बातो को
लफ्ज़ दे रहे है हम .......!
किसी कि ख़ामोशी भी हम
समझने लगे है.....
फिर धड़कने हों गयी है तेज
दिन प्यार के चलने लगे है ...!
प्यार अक्सर आँखों से ही बयां हो जाती है ....
ReplyDeleteसुन्दर पंक्तियाँ ...
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteसुन्दर
ReplyDeletebahut pyari rachna
ReplyDeleteshubhkamnayen
किताबे पढ़ते- पढ़ते न जाने कब
ReplyDeleteआँखों को पढ़ना सीख
लिया है ...! wah,kya baat hai......
बहुत सुन्दर रचना सुषमा जी
ReplyDeleteSundar
ReplyDeleteriderfreelance.blogspot.in
Sundar
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क्या बात है...
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