अब तो हमारे बीच खतो के
सिलसिले चलने लगे....!
दिल के कोरे पन्नो पर
हम उन्हें और
वो हम जज्बात
अपने लिखने लगे है ......!
मेरी झुकती आँखों का सलाम,
और उनका मुस्कुराना
शब्दो में पिरो कर खतो पर बिखरने लगे है ....!
कितनी ही अनकही बातो को
खतो में लिख कर
हम उन तक भेजने लगे है
हाल खतो से वो भी
हमारा पूछने लगे है....!
फिर धड़कने हों गयी है तेज
दिन प्यार के चलने लगे है ...!
सिलसिले चलने लगे....!
दिल के कोरे पन्नो पर
हम उन्हें और
वो हम जज्बात
अपने लिखने लगे है ......!
मेरी झुकती आँखों का सलाम,
और उनका मुस्कुराना
शब्दो में पिरो कर खतो पर बिखरने लगे है ....!
कितनी ही अनकही बातो को
खतो में लिख कर
हम उन तक भेजने लगे है
हाल खतो से वो भी
हमारा पूछने लगे है....!
फिर धड़कने हों गयी है तेज
दिन प्यार के चलने लगे है ...!
wah ...sundar.....kayi bar jo juban nahi keh pati wo khat keh dete hain
ReplyDeleteहर शब्द में प्यार, हर लब्ध में प्यार।
ReplyDeleteकल 14/02/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDelete[प्यार का गुल खिलाने खतो के सिलसिले चलने लगे..हलचल का Valentine विशेषांक ]
धन्यवाद !
I would be critic this time....The poem is a good read; however its far from 'Sushma' effect... Hope to see some sizzling poem soon :)
ReplyDeleteहम उन तक भेजने लगे है
ReplyDeleteहाल खतो से वो भी
हमारा पूछने लगे है....!
sunder bhav
rachana