ख़त दर ख़त खतों का सिलसिला चलता रहा......मैंने तुम्हारी को अपने शब्दों में समेट कर अपने खतों में बिखेर दिया................. हर इक ख़त में जैसे मैंने तुम्हे जी लिया है......तुम्हे खतों में समेट कर कही दिल में अपने छिपा लिया है...........इन खतों का सिलसिला तो यूँ ही थम जायेगा.......पर तुम्हारी यादो का काफिला मेरे साथ जिन्दगी भर जायेगा ...............इतना कुछ कहने बाद भी बहुत कुछ ऐसा रह गया है.............जो मैं तुमसे कह नही पायी............जिसे महसूस तो कर लिया........पर उसे शब्दों में रच नही पायी..............प्यार की कोई इन्तहां नही होती....................प्यार कही खतम नही होता........इसे न तो कोई इक दिन न ही......कोई इक ख़त बता सकता है.....ये सिर्फ महसूस किया जा सकता है.............और महसूस कराया जा सकता है.................मुझे मंजिले मिले न मिले सिर्फ राहे तुम्हारे ही साथ होनी चाहिए...................!!!
आहुति Thursday, 14 February 2013
Wednesday, 13 February 2013
तेरवां ख़त .......Valentine special..........
अब तो गुलाब का रंग और भी सुर्ख लाल लगने लगा है........तुम्हारे साथ हर बात अच्छी लगती है..........हर मौसम खुबसूरत लगता है..............हैरान हूँ मैं कि ........जब से तुमसे मिली हूँ..तब से आज तक में तुम्हे क्या पसंद है.........बस यही याद रह गया है...........मैं तो ऐसी न थी फिर ये क्या हो गया है......क्या कोई इस तरह मेरे ख्यालो में छा सकता है.........इस तरह भी क्या कोई किसी को खुद में सामिल कर ले कि.......खुद को भुला सकता है...................!!!
आहुति बारवां ख़त .......Valentine special..........
जब भी मुझे लगता है तुम्हे कि तुम्हे पा है ......तभी मेरे हाथो कि लकीरों से तुम खो से जाते हो .......चाहे कुछ मुझे यकीन है...........गर तुम मेरे तो हाथों को थाम लो..........तो हाथों की लकीरों का क्या करना..........
मैं नही जानती कि कल क्या होगा..........पर मैं जरुर जानती हूँ कि मेरे आज सिर्फ तुम्हारे साथ है.......कहते कुछ तो जरुर होना होता है.......
नही तो यूँ ही किसी से मुलाकात नही होती................मुझे भी यकीन है आज नही तो कल तुम भी मुझ पर यकीन कर लोगे..............और
मेरे साथ होगे......क्यों कि कोई रिश्ता हालत या वक़्त का मोहताज नही होता........................!!!
आहुति Monday, 11 February 2013
ग्यारवाँ ख़त .......Valentine special..........
सुना है आज .....promise day है.......वैसे तुमसे वादे तो उसी दिन के है......जब से मैंने यह सोचा था..........कि जिन्दगी तुम्हारे साथ जीनी है..........कुछ वादे तो तुमसे हमेसा रहंगे.....मेरा वादा है कि .......मैं हमेसा तुम्हारे साथ रहूंगी......मेरा वादा है कि......तुम्हारे हर फैसले में तुम्हारा साथ दूंगी......मेरा वादा है कि.........तुमसे जुड़े हर रिश्ते को दिल से अपना मानूगी.......मेरा वादा है कि.....अपना हर वादा निभाउंगी.....मेरा वादा है तुमसे भी जयादा तुमसे प्यार करुँगी..........................!!!!
आहुति
आहुति
Sunday, 10 February 2013
दसवां ख़त .......Valentine special..........
आज शाम से ही कुछ कमी सी लग रही है.......तुम हो मेरे साथ फिर भी एक दुरी सी लग रही है...........कभी-कभी तुम ख्यालो में तो होते हो..
पर बहुत सारे सवालो के साथ जिनका जवाब मैं खुद से ही पूछती हूँ....
और कोई जवाब न मिलने पर......खुद ही उदास हो जाती हूँ....
तुमसे निकल कर कुछ और सोच ही नही पाती.......
इस तरह खुद में तुमको शामिल किया है.......की अब अपनी खुद को पहचाना भी मुस्किल हो गया है.......कुछ इस तरह से........................अपनी सुबहो में तुमको शामिल कर लिया है अपनी शामो को तुम्हारे नाम कर दिया है .........!!!
आहुति
Saturday, 9 February 2013
नवां ख़त .......Valentine special..........
आज जब मैं मंदिर की सीढियाँ चढ़ रही थी......
तो तुम भी मेरे साथ हर एक कदम मेरे साथ चल रहे थे......
मैने भगवान् से तुम्हारी तरफ इशारा करते हुए कहा......
कि ये जो मेरे साथ मुझमे तुम्हारे दर तक चला आया है......
बस इसी के साथ मेरे जीवन की डोर बांध दीजिये......
और इसकी जितनी भी तकलीफे मुझे दे दीजिये......
तब तुम भी भगवान् से यही कह रहे थे.......
की मैं जो मांग रही हूँ.........वो मुझे मिल जाए.......
हम दोनों की दुआ सुनकर.....भगवान् भी मुस्करा रहे थे.......
हम दोनों जब एक-दुसरे के लिए दुआ कर रहे थे...........
तब वो भी हमारी तकदीरे मिला रहे थे..............!!!
आहुति
Friday, 8 February 2013
आठवा ख़त .......Valentine special..........
कभी उगते सूरज को तुम्हारे साथ देखना चाहती हूँ......
तो कभी ढलती शाम को तुम संग गुजारना चाहती हूँ......
कभी रात का लम्बा सफ़र.......तुम्हारी गोद में सर रख कर,
चाँद को एकटक निहारते गुजारना चाहती हूँ.........
चाहती तो मैं यह भी हूँ....................
एक दिन हम आसमान के सारे तारो को गिन डाले........
ना जाने क्यों तुम्हारे साथ अब कुछ भी नामुमकिन सा नही लगता........!!!
आहुति
Thursday, 7 February 2013
सांतवा ख़त .......Valentine special
मैंने फिल्मो में अक्सर देखा था.........की हिरोइन को उसका हीरो हर जगह दिखने लगता है ....!!
यह बाते... मुझे सिर्फ किताबो में ही अच्छी लगा करती थी ........!!
पर आज ....जब मैं हर चेहरेमें तुम्हारा चेहरा देखने लगती हूँ..!!
तो यह मेरा पागलपन लगता है...... न जाने कब हर चेहरा बहुत जाना पहचाना सा, तुमसे मिलता जुलता सा लगने लगने लगता है..... यह पागलपन भी अपना अच्छा लगने लगता है......!!
मेरी आँखे हर तरफ तुम्हे ढूढ़तीहैं...... तुम्हे देखना चाहती हैं.......
कहीं कंही से हर चेहरा तुम जैसा लगता है ....!!
आहुति
Wednesday, 6 February 2013
छठा ख़त...........Valentine Special...
वो मेरे हाथो पर अचानक से, तुम्हारा हाथ रख देना....
और मेरा एकदम से डर कर अपना हाथ हटा लेना........!!
और फिर तुम्हारा मुस्करा कर चल देना....... वो लम्हा तो बीत गया... पर उस लम्हे में, मैं आज भी जी रही हूँ.........!!
आज भी जब मैं तन्हा कहीं चल रही होती हूँ.......
पाँचवा ख़त...........Valentine Special...
न जाने कब.... यूँ साथ चलते चलते मैंने तुम्हारे कंधे पर अपना सर रख दिया था....तुमने कुछ नही कहा कभी,
फिर भी एक यकीं.. एक खुबसूरत अहसास....!
जो पहली बार महसूस किया था....तुमने इस तरह मुझे संभाला था.....
कि मैं बेफ़िक्र हो कर तुम्हारे कंधे पर सर रख कर सो गयी थी....
मैंने अपने घर के बाद अगर कही खुद को सबसे ज्यादा महफूज समझा......... तो वो तुम्हारे साथ महसूस किया....!!
ख्याल तो मैंने बहुत देखे थे, पर तुम्हारे साथ ख्याल भी हकीकत लग रहे थे .........!!!!!
आहुति
Sunday, 3 February 2013
तीसरा ख़त........ Valentine sepical........
तुम्हे याद है.....यूँ ही इक दिन चलते-चलते रस्ते में
एक बूढी भिखारिन बैठी
थी.......और तुमने कुछ पैसे दिए थे.....
तुम्हे पता है......ना जाने क्यों तब से......
आज तक मैं
जब भी उस राह से गुजरती हूँ.....उस बूढी भिखारिन को पैसे देने के लिए मेरे हाथ
अपने आप आगे बढ़ जाते है ....पता नही कब मैं तुम बन जाती हूँ....कब तुम्हारी पसंद
मेरी हो गयी....
जब से तुमसे मिली हूँ मैं खुद में तुमको जीने लगी हूँ.........
आहुति Saturday, 2 February 2013
दूसरा ख़त........ Valentine sepical........
तुम हमेशा कहते हो ना की तुम अपनी feelings को
शब्दों में बता नही सकते...
शब्दों में बता नही सकते...
क्यों कि
तुम्हे जताना नही आता.और एक मैं हमेशा तुमसे कहती रहती हूँ..
कि मैं याद करती
हूँ तुम्हे बहुत प्यार करती हूँ......ऐसा है.....वैसा है......
अपने दिल की हर बात बताती
रही हूँ......
पर आज एक बात तुमसे कहना चाहती हूँ.....कि हाँ मैं तुम्हे समझती हूँ...
तुम्हारी हर अनकही बात को महसूस करती हूँ.....
पर यह भी सच है कि कभी-कभी
तुम्हारी इस ख़ामोशी से डर जाती हूँ.....
मेरे इस डर को मेरी कमजोरी ना बनने
देना.....
तुम्हे पता है कि कभी-कभी हम जानते है कि हमारे बीच प्यार है .....
पर इसे
जताना भी उतना ही जरुरी होता है......
जितना जिन्दगी के लिए साँसों का होना........!!!
आहुति Friday, 1 February 2013
पहला ख़त........ Valentine sepical........
मैं भी तुम्हारी तरह busy रह सकती हूँ.....
मैं अपने बहुत सारे कामो में तुम्हारी बहुत सारी बाते भुला सकती हूँ.....
पर मैं ऐसा कुछ नही करती हूँ....
क्यों कि मेरे busy होने का मतलब तुम्हे भूलना नही है.....
बल्कि गुजरते हुए हर लम्हे के साथ तुम्हे याद करना है....
क्यों
की मैं डरती हूँ...की सब पाने की दौड़ में मैं कही तुम्हे न खो दूँ
....
मुझे सब ना सही थोडा ही मिले पर जो कुछ मिले...
उसके मिलने की ख़ुशी
तुम्हारे साथ महसूस कर सकूँ....
क्यों कि मेरी हर ख़ुशी बिना तुम्हारे साथ के अधूरी
है....
तो क्यों ना कुछ पल जिन्दगी से चुरा लिये जाये.....
आहुति
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