हमारे तुम्हारे साथ को कभी साबित करने की जरूरत नही होगी,क्यों कि जो साबित किया जाये को साथ ही नही है...प्यार तो सिर्फ महसूस किया जाता है,जो किसी तोहफे से बयां नही किया जाता है...प्यार का विश्वास तो तुम्हारी आँखों मे दिखता है,जो कहने से समझा नही जाता, जरूरी ये भी नही कि जो तुम्हे पसंद हो वो हमें भी पसंद हो,और जो मुझे पसंद हो,वो तुम्हे भी पसंद हो...पर हमें एक दूसरे की पसंद और इच्छा का सम्मान करना आना चाहिए...हमारा साथ में किसी भी जबरदस्ती के लिए कोई जगह ना हो...सहज ही एक दूजे की बातों को समझना ही प्यार है...जहाँ एक दूजे के परिवार का सम्मान बिना कहे हम एक-दूसरे के लिए करते रहे..ना तुम्हे कोई शिकायत हो,ना मुझे कोई शिकवा हो....
ऐसा है साथ हमारा....
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