Monday 25 January 2021

कुछ बिखरी पंखुड़ियां.....!!! भाग-45

431.
जिंदगी तो किसी की भी सरल नही होती,
कोई सरलता से जी लेता है,
और कोई खुद सरल हो जाता है...

432.
कहने को लॉकडाउन है.... जिंदगी जैसे ठहर सी गयी है,दिल बहलाने के लिए हमने तरह-तरह के व्यंजन बना कर भी देख लिये,....हम कूल है..हम खुश ये ही खुद को समझा रहे है...पर ये सिर्फ दिल ही जानता है कि इस लॉकडाउन में हमारे सपने,उम्मीदे सभी ठहर गयी है...दिल मे सिर्फ एक टीस सी है कि वक़्त तो अपने मुताबिक गुजर ही रहा है,पर हम ठहर गए है... अच्छा क्या है?बुरा क्या है?सही क्या है?गलत क्या है? इन सबसे परे अब दिल भी बगावत करने चाह रहा है....बस मरने से पहले फिर जीना चाह रहा है....

433.
तुम्हारे बिन भी सब कुछ तुमसा ही लगता है...

434.
लिखना दुनिया की सबसे बेहतरीन रचना है☺

435.
तुमसे कहने थी जो सारी बाते...
अब वो सभी मेरी रचनाएँ बन गयी है......☺

436.
बड़ी शिद्दत है कि एक लापरवाह दिन चाहिए.... जिस दिन में ना कोई डर हो किसी का,ना दिखावा हो कोई,ना सुबह उठने की जल्दी हो,जिस दिन राते मेरी हो,ना किसी काम की फिक्र हो...जो हो सिर्फ मेरी मर्जी का हो....ना मुझे किसी को कुछ बताना हो,ना ही किसी से कुछ छुपाना हो...बस वो दिन खुल के जीने का हो...एक लापरवाह दिन चाहिए....

437.
कभी कोई बहाना तुम भी बना लो मुझसे मिलने का,और जब मिल जाओ, तो कह दो..
 कि मैं यूँ ही यही से गुजर रहा था...

438.
तुमसे ही लिखना सीखा है....
पर तुम सा नही लिख पायी हूँ....

439.
जब तुमसे मिले तो सोचा कि जीवनभर का तुम्हारा साथ मिल जाये अब जब जीवनभर का साथ मिल गया तो चाहती हूँ... हर जन्म तुम ही मिलो....ये मन भी कितना स्वार्थी होता है...इक जन्म तो छोड़ो आने वाले हर जन्म की तैयारी करना चाहता है...

440.
सब कुछ तो नही मिलता जिंदगी में,
तुम मिल जाओ तो कुछ और चाहिए ही नही...

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