गुलाबी से एहसास लाता है ये महीना....बहुत कुछ दिया है इस फरवरी ने....तुम्हारा साथ,प्यार एहसास सब कुछ....इस महीना का हर पल हर दिन गवाह है....हमारे होने साथ.... पिछले साल इस दिन से आज से हर दिन गईं रही थी,क्यों कि इस महीने बंधे थे,हम एक-दूजे के संग....बहुत जिम्मेदारियों के चलते में महसूस ही नही कर पायी, वो शादी से पहले वाली दिनों में दिलो का धड़कना....मैं अपनी ही शादी जिम्मेदारी इतनी व्यस्त थी,मुझे सोचने का वक़्त ही नही मिला, मुझे कैसा दिखना है,मैं क्या पहनूँगी...किस तरह सजना है....सब कुछ मन का ही हो रहा था,फिर कुछ मन का कुछ कर ही नही पायी....सब इतनी जल्दी-जल्दी हो रहा था कि मुझे वक़्त ही नही मिला,खुद से ये पूछने का की मैं कैसे महसूस कर रही हूं......ऐसी ही यादों से भरी पड़ी है...ये फरवरी☺☺#आहुति#
Sunday, 31 January 2021
Monday, 25 January 2021
कुछ बिखरी पंखुड़ियां.....!!! भाग-47
451.
मैं कुछ लिखूं और तुम पढ़ लो...
और पढ़ कर समझ भी लो..
इतना तो आसान नही है जीवन....
452.
खूबसूरत सी कुछ बाते थी,
जो तुम्हारे साथ और भी खूबसूरत हो गयी...
453.
बहुत छोटी-छोटी बातों से जिंदगी खुश हो जाती है.
बड़ी बातें तो कोई फर्क नही लाती है.
कोई छोटी सी बात भी बहुत बड़ी हो जाती है...
454 .
इतनी ठंड कि कुछ याद ही नही रहा शिवाय इसके कि दिसम्बर बहुत ठंडा गुजरा....
452.
मैं तो सिर्फ तुम्हे अपनी रचनाओं में ही,
बेहद सरल मानती रही.. वास्तविकता तो ...
तुम बहुत संजीदा हो,उलझे हो...
तुम्हे सरल ना बना कर,
मैं खुद तुम्हारे लिए खुद को सरल बनाती रही...
तो तुमने कभी संजीदा लिया ही नही मुझे...
453.
मेरे साथ मेरे शब्द भी....
बाँवरे हो गये है,
मैं कुछ भी लिखूं,
ये तुम्हे ही लिखते है....
मैं तो थी ही,मेरे शब्द भी...
तुम्हारे हो गये है...
454.
कभी-कभी ऐसा भी लगता है कि...
मेरे मन की बाते कोई लिख दे..
और मैं पढ़ कर कहूँ की तुमने तो मेरे मन की बात कह दी...
455.
रंग,रूप,शक्ल,सूरत हमेशा आपके व्यक्तित्व और सीरत पर भारी पड़ जाता है...मैं आज तक समझ नही पायी,कि महंगे कपड़े,जेवर,इतने मायने कब हो जाते है,किसी का व्यहवार कोई महत्व ही नही रखता है..क्या आपके व्यक्तित्व, आपकी सोच ...इन सब बातों से ज्यादा खूबसूरत नही लग सकती है....खूबसूरत लग्न,दिखावा इतना जरूरी है....???
456.
कुछ पल सदा के लिए होते है...जैसे कि तुम्हारा साथ....☺
457.
सुख हो ना हो...
सुकून होना बहुत जरूरी है....☺
458.
आपके लिए decision के साथ लोग साथ खड़े तो हो सकते है...पर आपके लिए decision ले नही सकते है...तो शुरुआत खुद ही करनी होती है....
459.
मैं हर बार उसे उम्मीद नई बांध कर,खुद टूट जाती हूँ....
560.
प्यार वक़्त के साथ बदलता है,या वक़्त प्यार के साथ बदलता है...साथ रहने की बाते,वादे,सब किताबी हो गई....प्यार तो अब just pretical हो गया है...
कुछ बिखरी पंखुड़ियां.....!!! भाग-46
441.
कभी मुझे जो जानना चाहना....तो मुझे पढ़ लेना फुरसत में......
442.
जब किसी अपने को आपकी तकलीफ महसूस होना खत्म हो जाये,
तो समझ लेना चाहिये,
कि अब उस रिश्ते की सभी जरूरते खत्म हो गयी है....
443.
तुम मेरे साथ कुछ इस तरह रहो,हर कोई हमारे साथ जैसे ही साथ रहना चाहे..
444.
फुरसुतो के पल भी....बहुत फुरसत से मिले हमको....
445.
रिश्ते बहुत नाजुक होते है...हर कोई सही होता है...फिर भी कुछ गलत होता है...बस हम सबको खुश करने के लिए उनके हिसाब से रिश्तो को संजोने चलते है...गलती शायद यही हो जाती है..जब कि हमे हमेशा अपने ही तरीके और अपने उसूलो पर रिश्तो को निभाना चाहिए...खुद ओर यकीन करना चाहिए...बस...
446.
हमारा रिश्ता इतना सच्चा और गहरा हो जाये...
कि ग़र तुम मुझे सच बता ना पाओ,
तो झूठ भी कहना मुश्किल हो....
447.
मायका कभी नही छूटता ना ही कभी पराया होता है...बस बेटियां शादी होते ही मान लेती है कि वो घर अब नही रहा उनका वो पराई हो गयी है....
अरे पागलो...बेटियों का घर तो हमेसा बेटियों का ही होता है...क्यों कि बेटियों से ही वो घर होता है...,वो घर तो बेटियों को ही पहचानता है...तुम्हारे हर खुशी-गम के पलों को संजोए हुए है,पूरे अधिकार से हर पल तुम्हारा इंतजार करता है...अपने मन मे कभी ये ना लाना की कुछ पराया हो गया... शादी हो जाने से बेटियां कभी परायी नही होती है...समझी.................
448.
इस फाल्गुन मुझ पर रंग सभी तुम्हारे नाम के होंगे....
449.
जहां से सफर शुरू किया था वही तुम मिल गए हमसफर बन कर.....
450.
अब तो है तुमसे हर खुशी अपनी,,....☺☺☺☺कुछ एहसास कहे नही जाते सिर्फ समझे जाते है...वही सारे अहसास तुम्हारे है....
कुछ बिखरी पंखुड़ियां.....!!! भाग-45
431.
जिंदगी तो किसी की भी सरल नही होती,
कोई सरलता से जी लेता है,
और कोई खुद सरल हो जाता है...
432.
कहने को लॉकडाउन है.... जिंदगी जैसे ठहर सी गयी है,दिल बहलाने के लिए हमने तरह-तरह के व्यंजन बना कर भी देख लिये,....हम कूल है..हम खुश ये ही खुद को समझा रहे है...पर ये सिर्फ दिल ही जानता है कि इस लॉकडाउन में हमारे सपने,उम्मीदे सभी ठहर गयी है...दिल मे सिर्फ एक टीस सी है कि वक़्त तो अपने मुताबिक गुजर ही रहा है,पर हम ठहर गए है... अच्छा क्या है?बुरा क्या है?सही क्या है?गलत क्या है? इन सबसे परे अब दिल भी बगावत करने चाह रहा है....बस मरने से पहले फिर जीना चाह रहा है....
433.
तुम्हारे बिन भी सब कुछ तुमसा ही लगता है...
434.
लिखना दुनिया की सबसे बेहतरीन रचना है☺
435.
तुमसे कहने थी जो सारी बाते...
अब वो सभी मेरी रचनाएँ बन गयी है......☺
436.
बड़ी शिद्दत है कि एक लापरवाह दिन चाहिए.... जिस दिन में ना कोई डर हो किसी का,ना दिखावा हो कोई,ना सुबह उठने की जल्दी हो,जिस दिन राते मेरी हो,ना किसी काम की फिक्र हो...जो हो सिर्फ मेरी मर्जी का हो....ना मुझे किसी को कुछ बताना हो,ना ही किसी से कुछ छुपाना हो...बस वो दिन खुल के जीने का हो...एक लापरवाह दिन चाहिए....
437.
कभी कोई बहाना तुम भी बना लो मुझसे मिलने का,और जब मिल जाओ, तो कह दो..
कि मैं यूँ ही यही से गुजर रहा था...
438.
तुमसे ही लिखना सीखा है....
पर तुम सा नही लिख पायी हूँ....
439.
जब तुमसे मिले तो सोचा कि जीवनभर का तुम्हारा साथ मिल जाये अब जब जीवनभर का साथ मिल गया तो चाहती हूँ... हर जन्म तुम ही मिलो....ये मन भी कितना स्वार्थी होता है...इक जन्म तो छोड़ो आने वाले हर जन्म की तैयारी करना चाहता है...
440.
सब कुछ तो नही मिलता जिंदगी में,
तुम मिल जाओ तो कुछ और चाहिए ही नही...
कुछ बिखरी पंखुड़ियां.....!!! भाग-44
421.
जिंदगी में हर दिन कुछ बदलने की उम्मीद लिए मैं फिर उठ जाती हूँ,शाम होते-होते फिर उसी जगह खुद को पाती हूँ,...एक उदासी लिए दिन गुजरता है,जितना समेटती हूँ खुद को,उससे कहीं ज्यादा टूट कर बिखर जाती हूँ...
422.
रिश्तो को बचाने के लिए बिना किसी गलती के भी हमे झुकना पड़ता है...
हम सही होते है,फिर भी माफी भी हमे मांगनी पड़ती है....ताकि रिश्ते मुस्कराते रहे....
423.
रिश्तो को कुछ इस तरह निभाया जाए....
हर रिश्ते के लिए दोस्त बन जाया जाए...
424.
पता नही मैं क्यों दिख नही पाती वो जो मेरे दिल मे होता है...रिश्तो के लिए वो प्यार जो हमेशा मेरे दिख में होता है,वो फिक्र जो मैं आने ही अंदर महसूस करती हूं...हर रिश्ते के किये मान-सम्मान,लाड़-प्यार सब होता है,पर नही बाहर आता है वैसे जैसे सब चाहते है...नही बोलना चाहती किसी को कुछ भी बुरा,समझना चाहती हूँ,सबको उनकी ही तरह,पर ना जाने क्यों सब कुछ होते हुए भी समझा नही पाती किसी को खुद को...और राह जाती हूँ अकेली...बस खुद में ही....
425.
कभी-कभी हम भी सोचते है,
तुम्हारे दोनो हाथो को थाम कर,
तुम्हारी आँखों मे झांकते हुए तुमसे से कहुँ,
कि जिंदगी में जो कमियां होंगी,
वो सभी मैं भर दूंगी..
तुम्हारे हिस्से का भी सारा प्यार,
तुम्हे ही दे दूँगी मैं...
426.
सावन ही शिव हो जाये,
शिव ही सावन हो जाये...शिव जो मिल जाये तो मेरा जीवन पावन हो जाये...
427.
हर खुलती गांठ के साथ...मैं तुमसे बंधती जा रही थी....
428.
कुछ बारिशें अपने साथ सब कुछ बहा ले जाती है...
इतना आसान नही होता हर किसी का दर्द समेटना..
बारिशें बरसो से आंखों में ठहरे आंसुओ को भी बहना सिखाती है...
429.
इक तरफ तो तुम्हारी यादो का मेला सा रहता है,
कभी-कभी तुम साथ भी होते हो,
तो भी मन मे खालीपन सा रहता है...
430.
अंधेरा भी इतना नही डराता...
जितना कि तुम्हारा रूठ जाना....
ऐसा है साथ हमारा....!!!
हमारे तुम्हारे साथ को कभी साबित करने की जरूरत नही होगी,क्यों कि जो साबित किया जाये को साथ ही नही है...प्यार तो सिर्फ महसूस किया जाता है,जो किसी तोहफे से बयां नही किया जाता है...प्यार का विश्वास तो तुम्हारी आँखों मे दिखता है,जो कहने से समझा नही जाता, जरूरी ये भी नही कि जो तुम्हे पसंद हो वो हमें भी पसंद हो,और जो मुझे पसंद हो,वो तुम्हे भी पसंद हो...पर हमें एक दूसरे की पसंद और इच्छा का सम्मान करना आना चाहिए...हमारा साथ में किसी भी जबरदस्ती के लिए कोई जगह ना हो...सहज ही एक दूजे की बातों को समझना ही प्यार है...जहाँ एक दूजे के परिवार का सम्मान बिना कहे हम एक-दूसरे के लिए करते रहे..ना तुम्हे कोई शिकायत हो,ना मुझे कोई शिकवा हो....
ऐसा है साथ हमारा....
सब खत्म होते देखते रहते है...!!!
कुछ तकलीफे हमको खामोश कर देती है...एक अजीब सी उदासी हर वक़्त रहती है,पता है कि अब इस दर्द के साथ ही जीना है,पर मन फिर भी चाहता है,वक़्त थोड़ा पीछे चला जाता,जो छूट रहा था हमारे हाथों से हम उसको रोक लेते,नही रोक पाते तो कुछ तो समेट लेते उसके बिना जीने की वजह ही बना लेते...पर नही होता है कुछ भी,ना हम कुछ बदल सकते है,ना ही दर्द को कम किया जा सकता है...बस शांत हो जाते है,और सब खत्म होते देखते रहते है...
कुछ बिखरी पंखुड़ियां.....!!! भाग-43
411.
कभी-कभी चीजे तो वही रहती है,
सिर्फ उनकी जगह बदल देने से भी नयापन आ जाता है...
412.
कुछ तुम्हारे किये वादे...
मैं पूरे कर रही हूँ...☺
413.
ना जाने क्यों मन बहुत बेचैन है कुछ खो देने का डर है,...कुछ पाना भी चाहती हूं,बहुत सिद्दत से,...पर कुछ चाहते गर पूरी भी हो जाये,तो उनके पूरे होने से डर लगता है...ये बहुत कम होता है,पर एक बार जीवन मे जरूर होता है...जब आप जो पाना चाहते है,पर पाना नही चाहते है...ये भी अजीब एक कशमकश रहती है...
414.
हादसे जब तक दूर से दिखते है तो सिर्फ तकलीफ होती है,पर जब खुद की जिंदगी में हादसे होते है,तो वो दर्द महसूस होने लगते हैं...तब पता चलता है,कि दुनिया की किसी भी डिक्शनरी में नही होते है वो शब्द जो हमे दिलासा दे सके..हम बैठ कर रो सकते है....और वक़्त के गुजरने का इंतजार करते है...
415.
कुछ तकलीफे हमको खामोश कर देती है...एक अजीब सी उदासी हर वक़्त रहती है,पता है कि अब इस दर्द के साथ ही जीना है,पर मन फिर भी चाहता है,वक़्त थोड़ा पीछे चला जाता,जो छूट रहा था हमारे हाथों से हम उसको रोक लेते,नही रोक पाते तो कुछ तो समेट लेते उसके बिना जीने की वजह ही बना लेते...पर नही होता है कुछ भी,ना हम कुछ बदल सकते है,ना ही दर्द को कम किया जा सकता है...बस शांत हो जाते है,और सब खत्म होते देखते रहते है...
416.
कुछ दर्द कभी भी बांटे नही जा सकते,ना ही उनके लिए कोई दिलासा होता है..
बस असहाय से हम उसके दर्द के साथ बैठ कर रो लेते है..
417.
पूरी जिंदगी खर्च हो गयी सिर्फ अच्छा बने रहने में...
आखिर में अच्छा हुआ कुछ नही...
418.
एक स्त्री चाहे कितना ही क्यों ना समर्पित हो जाये...
पर एक पुरुष उसे अपनी शर्तों पर ही साथ चाहता है...
पुरुष हमेशा उस स्त्री का विकल्प ढूंढ़ता रहता है...
419.
कुछ बारिशें बरसना तो चाहती है...
पर ना जाने किसके इंतजार में ठहरी हुई सी है....
420.
डर लगने लगा है तुम्हारी उम्मीदों पर खरे उतरने का वादा करने से,ना जाने क्यों खुद से उम्मीदे बहुत ज्यादा रही नही है...आत्मविश्वास हिल से गया है....गलत तो कुछ न हुआ है..पर सही भी कुछ नही है...डर लगता है कि क्या कुछ सही हो पायेगा,या जिंदगी यूँ ही गुजर जएँगी...सही और गलत को समझते-समझते.....
बस आसान कुछ नही होता,सिर्फ मुश्किल नही होने देते......!!!
जिंदगी में किसी से प्यार हो जाना,और फिर as a friend से as a wife हो जाना आसान नही होता...बहुत कुछ जो पहले आसान लगता है,एक दोस्त बन कर,वो एक पत्नी के रूप में मुश्किल हो जाता है... हम होते वही है,बस कुछ एहसास गहरे हो जाते है...और अधिकार बढ़ जाते है....जिम्मेदारियां दोनों की एक ही हो जाती है,हाँ एक बात जरूर होती...कम कुछ नही होता....बस बढ़ता जाता है......😊प्यार विश्वास एहसास जिम्मेदारी....😊साथ हम होते है,हमारे साथ के साथ बहुत रिश्ते टिके होते है....बस साथ चलते-चलते पूरी जिंदगी का सफर तय कर लेते है.....बस आसान कुछ नही होता,सिर्फ मुश्किल नही होने देते.......
हमे किसी मे कोई कमी क्यों दिखती है...!!!
हमे किसी मे कोई कमी क्यों दिखती है,क्यों कि हम सामने वाले को अपनी सोच के अनुसार जज करते है..थोड़ी देर में ही सही पर मुझे भी महसूस हुआ कि मैं गलत हूँ, यदि प्यार,परिवार,रिश्ते,ईमानदारी, कमिटमेंट ये सभी कुछ मेरी pairorty है.. सामने वाले के लिए भी वही हो,ये जरूरी नही...उसके लिए कुछ और बाते होंगी जो जरूरी होंगी,पर हम बिना वो समझे किसी को गलत और सही ठहरा देते है...आज एक बात समझ आयी कि सभी अपनी-अपनी जगह सही होते है,अपने-अपने नजरिये से...फिर क्या ...आज ही हमने भी ठान लिया कि किसी को भी अपनी नजरिये से नही जज करँगे...सच्ची...ये मान लेना भी बहुत खूबसूरत एहसास है...ऐसा लगता है जैसे कोई बोझ सा था दिल मे...
कुछ बिखरी पंखुड़ियां.....!!! भाग-42
398.
कुछ हादसे जिंदगी में ऐसे भी होते है...
वो क्यों हुए ये समझने के लिए पूरी जिंदगी भी कम पड़ जाती है...
399.
कोई चीज भी मिलती नही मुकम्मल यहां..
खुशिया भी अधूरी ही आती है,...
400.
सब कुछ तारीखों में कहाँ सिमट पाता है....चाहे जितना समेटो, कुछ ना कुछ छूट जाता है....
401.
कुछ लम्हे कभी नही बदलते ...
बस वो ठहर जाते है...
बदलते है तो बस तारीखे और कलेंडर...l
402.
किसी खुशी को एक डर में जीना...
जानते है कैसे लगता है,
शायद बहुत कम लोग इस एहसास से गुजरे होंगे...
जहां पर हर पल ये डर होता है,वो खुशी न कब आप से दूर हो जाये...
एक मजाक सी जिंदगी बन जाती है...
जब हर लम्हा खो जाने के डर में हम वो खुशी जीते है..
403.
रिश्ते बनाना बहुत आसान होता है..
रिश्तों में हमेशा जान बनी रहे...
हमेशा सोने की तरह खरे रहे,इसके लिए....
इन रिश्तों के लिए तपना पड़ता है...कुछ लोग ऐसे भी देखे है हमने रिश्ते निभाने में तो बहुत पीछे रहते है,पर परवाह करने का ढोंग बहुत अच्छे से कर लेते है....ऐसे लोगो से सतर्क रहें,और सावधान रहें.....
404.
तुम्हे भेजी है लिफाफे में भर कर प्यार की गर्माहट...
यही है तुम्हारे लिए मेरी सर्दियों की चिट्ठीया.. .
405.
आ जाओ आज कुछ बाते चाय पर हो जाये,
दिसम्बर का महीना भी है...
गुजरा वक्त फिर रिवाइंड कर लिया जाए...
शिकायतें सारी जो पूरे साल तुम्हे मुझसे रहती है..
मैं रख लूंगी अपने पास,
तुम बस एक दफा चाय पर आ जाना...
406.
चल दिसम्बर तुम्हारा हाथ पकड़ कर बिठा लूं...
अभी तो गुजरे साल का तुझसे हिसाब बाकी है....
407.
कुछ ख्वाइशें ऐसी भी होती है,
जो चाहते तो है कि पूरी हो जाये,पर पूरी होने से भी डर लगता है...जिंदगी ऐसे भी मोड़ लाती है....
408.
कुदरत हमसे हर ख्वाइश की कीमत ले ही लेती है..
किसी ना किसी रूप में..
डर सा लगता है कुदरत से कुछ भी मांगने से,
ना जाने वो उस ख्वाइश की क्या कीमत लगा ले.....
कहते है ना मुकम्मल तो कुछ भी नही मिलता.. .
409.
कभी तुम्हारी बातो से बुनी थी,
जो कहानी...पुरी हो ना हो...
तुम्हारी मुस्कराहटों से,
पूरी जिंदगी हो जायेगी..
मेरी आँखों से शुरू तुम्हारी आँखों पर खत्म..
ये कहानी मेरे शब्दो में सदियों तक पढ़ी जायेगी..
410.
क्यों ना इस बार सफाई उन शिकायतों की जाए जो बेवजह कुछ रिश्तों पर भारी है....
दर्द खुशियों में लिपटा हुआ आ रहा है.. !!!
आज हमने दर्द को एक नए रूप-रंग अंदाज़ में देखा है..खुशियों में लिपट कर हमको मिल रहा है...
और शर्त भी रखी है,कि मुस्कराना होगा... कुछ लोग तो ऐसे भी है,जिन्हें वो सब मिला जो वो चाहते थे...फिर भी उन्हें दर्द है इस बात का जो मिला वो चाहा ही क्यों था...और अगर चाहा भी था,तो मिल ही क्यों गया.. .कुछ लोग ऐसे भी है जिनके रिश्ते जुड़ नही पा रहे रहे और कुछ लोग ऐसे भी जिन्हें रिश्ते,प्यार,परिवार सब मिल गया...तो वो उसे सम्हाल नही पा रहे है.....किसी को अपनी खुशियों की कीमत देनी पड़ रही है,तो कोई खुशियों की कीमत लगा रहा है...दर्द में हर कोई है...किजी से ईश्वर ने सब छीन लिया है,तो कोई खुद को ही दर्द पहुँचा रहा है....दर्द खुशियों में लिपटा हुआ आ रहा है.. #आहुति#
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