वही बचपन का प्यार,
वही गुलाबो का इकरार...
किसी को ढूंढती हमारी आँखों की कशिश,
वही सिद्दत कि मिल जाये कोई,
तो न्योछावर जन्मो का प्यार...
बचपना ही तो था,पागलपन था,
पर बहुत खूबसूरत किसी के ना होने,
पर उसके मिल जाने का इंतजार...
फिर वही गुलाबो की महक है,
फिर वही आँखों की कशिश है...
फिर वही फरवरी है....!!!
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 02-02-2017 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2588 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
Very nice. bachpan ki yaad dila di
ReplyDeleteVery nice. bachpan ki yaad dila di
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