Sunday 1 January 2017

कुछ बिखरी पंखुड़ियां.....!!! भाग-29

261.
तुम्हारे ही ख्वाब मेरी आँखों में बसते है...
तुम्हारी ही बाते मेरे होंठो पर हँसती है..

262.
जब भी मुझे तुम्हारी याद आती है.....
मुझे और भी यकीन हो जाता है...
कि तुमने मुझे याद किया है.....

263.
तुम्हारा होना ऐसा होता है......
जैसे शामिल करे कोई,
मेरे होने में तुम्हारा होना.......

264.
तुम्हारी याद में गुलाल आज भी,
अपने हाथों से गालो पर,
लगा लेती हूँ....
चेहरे की उदासी को तुम्हारे नाम के,
रंगो में छुपा लेती हूँ...आहुति

265.
इस बार होली में,
मुझ पर रंग सभी तुम्हारे नाम के होंगे....

266.
रंग तुम्हारी पसंद के सभी लगा लिये मैंने,
इस उम्मीद में ना जाने किस,
रंग में तुम्हे पसंद आऊं मैं....

267.
वो मेरे इतने करीब से हो,
कर गुजरा है...
उसके जाने के बाद भी...
मेरे आस-पास..इक अरसे तक,
उसका एहसास बिखरा रहा....

268.
कुछ ख्वाब अधूरे थे...
कुछ बाते पूरी थी...
तुम्हारे साथ प्यार तो पूरा था...
तुम्हारे बिन जिन्दगी अधूरी थी..

269.
कोई सफ़र तुम्हारे बैगेर,
अब मुमकिन नही...
ये और बात है कि,
किसी सफ़र पर तुम मेरे साथ नही..

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