Sunday 1 January 2017

कुछ बिखरी पंखुड़ियां.....!!! भाग-30

270.
तुम रहने दो मेरे मन को बहलाने को,
तुम बिन ही....
मैंने मन को मना लिया है..

271.
उसके हाथो की गिरिफ्त ढीली,
पड़ी तो महसूस हुआ...
यही वो जगह है..
जहाँ रास्ता बदलना है...

271.
गुस्ताखियां भी आपकी
नाराजगिया भी आपकी...
गज़ब अंदाज़ है....
आपकी चाहत के...........

272.
प्यार,एहसास,उम्मीद....जीवन विश्वास...
कुछ यूँ हो तुम मेरे आस-पास...
इक खत में लिखूं...
क्या-क्या दिल की बात..

273.
इन लम्हो को कैद करके,
कुछ तो आसान कर ली है जिंदगी.....!!!

274.
हमने जिंदगी को,खुद को,
कोई विकल्प नही दिया,
तुम हो तो हो...
नही तो कुछ नही चाहिए...
जिंदगी से....

275.
तुम्हारी मुस्कराहटे....
मेरी दम तोड़ती जिन्दगी में.....
साँसों का काम करती है....

276.
तुम्हारे हर झूठ को,
मैं सच मान लेती हूँ,
झूठ के पीछे का भी,
सच जान लेती हूँ...
जब तुम सोचते हो कि,
तुमने मुझे झूठ से बहला दिया,
उस पल मैं तुम्हारे लिए,
सिर्फ तुम्हारे लिए....
खुद को पागल मान लेती हूँ..

277.
तेरी कायनात में ए-खुदा,
कही भी मेरा दिल लगा नही......
मेरे दिल को जो तस्सलिया दे....
ऐसा कोई मिला नही.... .......!!

278.
जब तुम पढ़ लेते हो मुझको,
मैं शब्दो से निकल कर,
सज जाती हूँ तुम्हारे होठो पर...

279.
एक नाम जिस में हमारी,
पूरी दुनिया सिमट जाती है.....
जिसकी एक ख़ुशी के लिए,
हम कुछ भी करने को,
तैयार रहते है....
जिसके इक इशारे पर,
हम पूरी दुनिया,
जीत कर उसके कदमो में,
ला सकते है...
आखिर हम उसी से क्यों,
हार जाते है..... !!

280.
कभी तुम्हारी बातो से बुनी थी,
जो कहानी...पुरी हो ना हो...
तुम्हारी मुस्कराहटों से,
पुरी जिंदगी हो जायेगी..
मेरी आँखों से शुरू तुम्हारी,
आँखों पर खत्म..
ये कहानी मेरे शब्दो में,
सदियों तक पढ़ी जायेगी..

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