आज रात फिर गुजरी है तुम्हारे ख़तो,
तुम्हारे ख़्यालो में,तुम्हारे ख़तो के,
इक-इक शब्द जैसे मेरे दिल की,
इक-इक बात कहते है.....
गुजरता है हर इक दिन इस ख्याल में,
कि कल तुम्हारा खत,
कितने लम्हों को संजो कर,
मेरे पास होगा..सच ही है ये ख़तो में,
तुम्हारे प्यार का अंदाज़ खूब है...
क़ि फिर आज तुम्हारा खत पढ़ा है...
मेरी हीर,
तुमसे बाते करते-करते मै भूल जाता हूँ,की मुझमे भी तुमसे कुछ कहना है, पर तुम्हारी बाते इतनी प्यारी थी, बस सुनता जाता था,कौन सा रंग तुम्हे पसंद हैं कौन सी बात तुम्हे पसंद है, मेरा कौन सा अंदाज़ तुम्हे पसंद है, सभी कुछ जानना चाहता था, या यूँ कहूँ कि मैं जानना चाहता था की मैं तुम्हारी धड़कनो के साथ धड़कता हूँ या नही....मैं जानना चाहता कि वो पल जब तुम मुझे याद मुस्करा देती हो...मैं तुम्हे बताना चाहता था,कि तुमसे बाते करने के बात भी,मेरे लिये कुछ भी तो गुजरता नही....दिल के किसी कोने में ठहर जाता है...याद बनकर..
तुम्हारा
राँझा
Thursday 4 February 2016
Valentine day खतो की डायरी...!!!
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