Wednesday 3 February 2016

Valentine day खतो की डायरी.....!!!

सुबह से ही कुछ बेचैनी सी है,
कि एक ही बात दिल में जैसे ठहर गयी है,
कि हर रोज तुम अपने ख़तो में,
इक नए राज को बताते हो,
तुम्हारे ख़तो को पढ़ते,पढ़ते,
मैं ना जाने किन ख़्यालो में खोती जाती हूँ....
और तुम्हारा हर खत,
मुझे तुम्हारे और करीब ले जा रहा है...
मेरी हीर,
तुमसे ख़्यालो से शुरू तुम्हारे ख़्यालो पर ही खत्म मेरे शब्दों की सीमा है, मैं ना जाने कैसे तुमसे ही तुम तक ही चला जा रहा हूँ....ना जाने शब्द मुझसे खेल रहे है, या ख्याल तुम्हारे मुझसे शब्दों को संजो रहे है...मैं तो तुम्हारे ख़्यालो की बनायीं हुई, तस्वीर सा हूँ..ना मेरे शब्द मेरे है,ना मैं इनका हूँ, मेरा कुछ भी नही मुझमे, मैं तो तुम जैसा हूँ...
                                                   तुम्हारा
                                                     रांझा

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