मेरी पंक्तियों को पढ़ कर,
जितना आसान था...
तुम्हारे लिये खामोश होना,
उतना ही मुश्किल था...
मेरे लिये, तुम्हे लिखना....
जितना आसान था..
तुम्हारा मुझे देख कर भी,
नजरअंदाज करना,
उतना ही मुश्किल था,
मेरे लिये तुम्हारे अंदाज़ लिखना...
जितना आसान था...
तुम्हारा मेरी मुस्कराहटों पर,
सवाल करना..
उतना ही मुश्किल था,
मेरे लिए तुम्हे जवाब लिखना...
जितना आसान था,
तुम्हारे लिये मुझे भूल जाना..
उतना ही मुश्किल था,
मेरे लिये तुम्हारी यादे लिखना...!!!
जितना आसान था...
तुम्हारे लिये खामोश होना,
उतना ही मुश्किल था...
मेरे लिये, तुम्हे लिखना....
जितना आसान था..
तुम्हारा मुझे देख कर भी,
नजरअंदाज करना,
उतना ही मुश्किल था,
मेरे लिये तुम्हारे अंदाज़ लिखना...
जितना आसान था...
तुम्हारा मेरी मुस्कराहटों पर,
सवाल करना..
उतना ही मुश्किल था,
मेरे लिए तुम्हे जवाब लिखना...
जितना आसान था,
तुम्हारे लिये मुझे भूल जाना..
उतना ही मुश्किल था,
मेरे लिये तुम्हारी यादे लिखना...!!!
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (22-02-2016) को "जिन खोजा तीन पाइया" (चर्चा अंक-2260) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 22 फरवरी 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
ReplyDeleteसार्थक व प्रशंसनीय रचना...
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है।