Wednesday 30 December 2015

कुछ बिखरी पंखुड़ियां.....!!! भाग-24

210.
जो तुम भी कह ना पाये,
वो मेरी हथेलियों पर रची,
मेहंदी ने कह दिया है...
पिया तुमसे बहुत प्यार करते है.
मेहंदी का रंग देख कर,
मेरी सहेलियों ने मुझसे कह दिया है..

211.
क्यों ना कुछ ऐसा लिख दूँ....
जिसे पढ़ कर तुम मुस्करा दो....
काश ऐसे शब्द मुझे मिल जाये...

212.
लगता है की जीवन यही है.....
 बस यही है.......एक सपना...और 
एक डर.....उस सपने के टूटने का...

213.
काफ़ी की चुस्कियों के साथ...
मेरे हाथों में तुम्हारे.
हाथों की गर्माहट का एहसास.
क्या खूब है.....सुबह की शुरुआत..

214.
क्या कहूँ.. कि अब डाकिए नही आते...
या यूँ कहूँ कि...
अब खत लिखे नही जाते...

215.
ना जाने वो क्या है.....
जिसे ढूंढते...
मैं भी खो गयी हूँ.....

216.
प्यार,एहसास,उम्मीद....
जीवन विश्वास...
कुछ यूँ तुम्हारे आस-पास...
इक खत में लिखूं...
क्या-क्या दिल की बात..

217.
कभी जब मुझे लगे कि,
तुम्हारा ये वक़्त मेरा नही,
तभी जो तुम कह दो मुझसे,
कि मेरी पुरी जिन्दगी तुम्हारी है...

218.
अपनी फुरसतो में जो,
मुझे याद किया तो क्या किया..
गर अपनी मशरूफियत में,
जो मेरे वक़्त निकाल ना पाये...

3 comments:

  1. आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (01.01.2016) को " मंगलमय नववर्ष" (चर्चा -2208) पर लिंक की गयी है कृपया पधारे। वहाँ आपका स्वागत है, नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें, धन्यबाद।

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  2. बेहतरीन रचना और उम्दा प्रस्तुति....आपको सपरिवार नववर्ष की शुभकामनाएं...HAPPY NEW YEAR 2016...
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