Thursday, 24 December 2015

कैलेंडर के हर दिन का हिसाब लिख दूँ.....!!!


ये साल जा रहा है....
क्यों ना तुम्हारी मुस्कराटे लिख दूँ,
तीन सौ पैसठ दिन की,
सारी शिकायते लिख दूँ....
मैं मिनटों का...
अपना रूठना लिख दूँ,
सेकेंडो में...
तुम्हारा मनाना लिख दूँ,
तुमसे मिलने के उंगलियों पर..
गिने दिन लिख दूँ,
पहरो तुम्हारे इंतजार में...
गुजरे वो पलछिन लिख दूँ,
तारीखों में कैद.....
वो तुम्हारी यादे लिख दूँ,
हर पल जहन में मुस्कराती,
तुम्हारी वो बाते लिख दूँ...
वो सर्द अँधेरी रातो की सिसकिया,
याद में भीगी आँखे लिख दूँ,
वो रात भर जागती आँखो का,
सवेरा लिख दूँ,
क्यों ना कुछ दर्द,
तुम्हारा अपना लिख दूँ,
कुछ रातो को...
बिखरे सपने लिख दूँ,
कुछ् शामो में...
बुनते ख्वाब लिख दूँ,
ये साल जा रहा है क्यों ना,
कैलेंडर के हर दिन का हिसाब लिख दूँ...
फूलों की आयी बहार लिख दूँ,
पल में बिखरे पतझड़ लिख दूँ,
कदम चूमती कामयाबी लिख दूँ,
ठोकरों के संघर्ष लिख दूँ...
ये साल जा रहा है क्यों ना,
हर अर्थ और अनर्थ को बिसरा कर,
पुराने कैलेंडर को हटा कर,
फिर नया कैलेंडर पर,
नया इतिहास लिख दूँ,
ये साल जा रहा है क्यों ना,
कैलेंडर के हर दिन का हिसाब लिख दूँ.....!!!

2 comments:

  1. अनमोल पोस्‍ट

    अापका ब्‍लॉग हमारे ब्‍लॉग संकलक पर संकलित है एक बार अवश्‍य पधारे। धन्‍यवाद
    www.blogmetro.in

    ReplyDelete
  2. kya bat hain...
    har din ka hisab likh dun...
    bahut hi badhia

    ReplyDelete