Tuesday 29 December 2015

इस साल को ना जाने दूँ.....!!!!

दिसम्बर जा रहा है,...
नए साल की आहट है...
फ़िजा में है शोर, जश्न है,....
पर मैं चुप हूँ,
इस इंतजार में कि...
तुम मुझे अपने साथ गुजरे साल,
तुम्हारे बीते पलों का,
तुम्हारी होटो पर सजाई..
हर ख़ुशी का..
तुम भी मुझसे कुछ कहोगे,
तुम्हारे वो दो शब्द सुनने के लिये,
मेरी धड़कनो में शोर है...
बेचैन कब से गुजरते हर पल,
हर सेकेंड को गिन रही है..
कभी खुशी से बादलो में उड़ रही हूँ,
तो कभी उदास हो कर बैठ जाती हूँ,
कि ये साल भी.....
इंतजार में ना गुजर जाये,
तुम सभी को तो बधाई दे दो,
बस मुझसे कहना रह जाये....
क्यों ना गुजरते हर लम्हे को,
मैं बांध कर रख लूँ....
जब तक तुम मुझसे,
वो दो शब्द ना कहो,
तब तक मैं...
इस साल को ना जाने दूँ.....!!!!

4 comments:

  1. "वो दो शब्द ना कहो,
    तब तक मैं...
    इस साल को ना जाने दूँ.....!!!!"
    सच ..दो शब्दों जीवन में बहार ला देते हैं
    इंतज़ार के घड़ियाँ बहुत लम्बी होती है ..
    नव वर्ष की हार्दिक मंगलकामनाएं

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  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 31-12-2015 को चर्चा मंच पर अलविदा - 2015 { चर्चा - 2207 } में दिया जाएगा । नव वर्ष की अग्रिम शुभकामनाओं के साथ
    धन्यवाद

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  3. Nice poem
    Wishing best for a happy new year 2016

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