करके मैं साजों श्रृंगार...
माथे पर उनके नाम का सिंदुर,
गले में उनकी बाहों का हार...
मैं आईना बना कर,
उनकी आखों में खो गयी..
रे सखी...
मैं तो पिया सी हो गयी....
हाथों में रचा कर,
उनके नाम की महंदी,
होटों पर सजा कर,
उनके नाम की लाली...
मैं तो सावरें की छवि में खो गयी,
रे सखी...
मैं तो पिया सी हो गयी....
पहन कर पैरो में पयाल..
की छम-छम ,
पहन तुम्हारे नाम के कंगन,
मैं रंग बिरँगी चूड़ियों में खो गयी...
रे सखी....
मैं तो पिया सी हो गयी....
कर सारे सोलह श्रृंगार,
कि अब दिख जाये चाँद,
लो मैं उनके लिए तैयार हो गयी,
कह दूंगी...चाँद से भी आज कि,
मैं पिया सी हो गयी..!!!
माथे पर उनके नाम का सिंदुर,
गले में उनकी बाहों का हार...
मैं आईना बना कर,
उनकी आखों में खो गयी..
रे सखी...
मैं तो पिया सी हो गयी....
हाथों में रचा कर,
उनके नाम की महंदी,
होटों पर सजा कर,
उनके नाम की लाली...
मैं तो सावरें की छवि में खो गयी,
रे सखी...
मैं तो पिया सी हो गयी....
पहन कर पैरो में पयाल..
की छम-छम ,
पहन तुम्हारे नाम के कंगन,
मैं रंग बिरँगी चूड़ियों में खो गयी...
रे सखी....
मैं तो पिया सी हो गयी....
कर सारे सोलह श्रृंगार,
कि अब दिख जाये चाँद,
लो मैं उनके लिए तैयार हो गयी,
कह दूंगी...चाँद से भी आज कि,
मैं पिया सी हो गयी..!!!
kya baat hai .... bht badhiya
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति करवा चौथ की।
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति
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